Minimum Balance Penalty Report: बैंकों का डाका! राघव चड्ढा का सनसनीखेज सवाल, क्या हिडेन चार्जेज से जनता की जेब हो रही है खाली?

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Minimum Balance Penalty Report: भारत में बैंकिंग व्यवस्था में आम आदमी का भरोसा बेहद मजबूत है। लेकिन हाल के दिनों में बैंकों द्वारा लगाए जा रहे हिडेन चार्जेज और फीस पर सवाल उठने लगे हैं। इन शुल्कों के प्रति बढ़ती चिंता को राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा (Aam Aadmi Party MP Raghav Chadha) ने प्रमुखता से उठाया। उन्होंने बैंकों द्वारा लागू किए गए मिनिमम बैलेंस पेनल्टी जैसे शुल्कों को लेकर सरकार से जवाब मांगा। आइए, जानते हैं कि इस मुद्दे पर राघव चड्ढा की चिंताएं कितनी सही हैं और बैंकों से जुड़ी फीस का असल प्रभाव क्या है।

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राघव चड्ढा का बयान- Minimum Balance Penalty Report

राज्यसभा में अपनी बात रखते हुए राघव चड्ढा ने कहा कि कई बैंक अपने ग्राहकों से सिर्फ मिनिमम बैलेंस न रखने पर भारी पेनल्टी वसूलते हैं। यह पेनल्टी हर माह 100 रुपये से लेकर 600 रुपये तक हो सकती है, और इससे बैंकिंग सिस्टम के प्रति लोगों की धारणा पर असर पड़ रहा है। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि बैंकों ने सिर्फ 2022-23 में इस एक शुल्क के माध्यम से 3500 करोड़ रुपये जमा किए हैं। इसके अलावा, बैंकों द्वारा लगाए गए अन्य शुल्कों जैसे एक्स्ट्रा एटीएम यूज फीस, बैंक स्टेटमेंट फीस, इनएक्टिविटी फीस और एसएमएस अलर्ट फीस ने आम जनता की जेब पर और बोझ डाला है।

बैंकों द्वारा वसूले गए जुर्माने का आंकड़ा

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में भारत के 11 पब्लिक सेक्टर बैंकों ने मिनिमम बैलेंस न रखने पर कुल 2,331 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला। यह रकम पिछले साल के मुकाबले 25.63% ज्यादा थी, जब इन बैंकों ने 2022-23 में 1,855.43 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला था। इसका मतलब है कि बैंकों द्वारा इन शुल्कों के माध्यम से एक बड़ा धनराशि एकत्र किया गया है, जो ग्राहकों के लिए अतिरिक्त बोझ साबित हो रहा है।

कौन से बैंक सबसे आगे?

इस मामले में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) सबसे ऊपर रहा। इसने अपने खाता धारकों से मिनिमम बैलेंस पेनल्टी के नाम पर 633.4 करोड़ रुपये वसूले। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा था, जिसने 386.51 करोड़ रुपये वसूले। इंडियन बैंक ने इस मामले में तीसरा स्थान हासिल किया, और उसने 369.16 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला। इन आंकड़ों से यह साफ है कि यह शुल्क कुछ बड़े बैंकों के लिए एक बड़ा राजस्व स्रोत बन चुका है।

तीन साल में वसूला गया 5,614 करोड़ रुपये

इन 11 बैंकों ने पिछले तीन सालों में कुल 5,614 करोड़ रुपये मिनिमम बैलेंस न रखने पर वसूले थे। इसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक (PNB), यूको बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शामिल थे। यह आंकड़ा दिखाता है कि बैंकों के लिए यह जुर्माना एक महत्वपूर्ण आय स्रोत बन गया है।

भारतीय रिजर्व बैंक के नियम क्या कहते हैं?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, बैंकों को खाता खुलवाने से पहले ग्राहकों को मिनिमम बैलेंस रखने की जानकारी देनी चाहिए। इसके अलावा, यदि बैंक नियमों में कोई बदलाव करते हैं, तो उन्हें ग्राहकों को सूचित करना जरूरी है। यदि कोई ग्राहक न्यूनतम बैलेंस नहीं रखता है, तो बैंक को पहले एक नोटिस देना चाहिए और एक महीने का समय देना चाहिए। इसके बाद भी, बैंकों को जुर्माने के कारण ग्राहकों के अकाउंट को निगेटिव बैलेंस में नहीं लाना चाहिए।

SBI ने लिया कदम: जुर्माना बंद

भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने 2020 से ही मिनिमम बैलेंस न रखने पर जुर्माना लेना बंद कर दिया है।

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