Ban on Nankana Sahib Yatra: भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा ननकाना साहिब के दर्शन पर सिख श्रद्धालुओं की यात्रा पर रोक लगाने के फैसले ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस फैसले पर केंद्रीय श्री गुरु सिंह सभा ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि यह सिख समुदाय के धार्मिक अधिकारों और अल्पसंख्यकों की स्वतंत्रता में सीधा दखल है।
शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभा के महासचिव डॉ. कुशल सिंह ने कहा कि बंटवारे के समय से ही भारत और पाकिस्तान के बीच यह सहमति रही है कि सिख श्रद्धालु धार्मिक मौकों पर पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारों, खासकर ननकाना साहिब, जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले सात दशकों से यह परंपरा चल रही है और इसे कभी किसी सरकार ने नहीं रोका, यहां तक कि भारत-पाक युद्ध के समय भी सिखों का जत्था वहां दर्शन के लिए जाता रहा है।
“राजनीतिक कारणों से लगाया गया प्रतिबंध”
डॉ. कुशल सिंह ने साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान में सिख समुदाय को कोई खतरा नहीं है और यह प्रतिबंध पूरी तरह से राजनीतिक कारणों से लगाया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, “बिना सिख संगठनों से चर्चा किए यह एकतरफा फैसला लेना हमें मंजूर नहीं है।”
सिख संगठनों की ओर से जारी संयुक्त बयान में जस्टिस रंजीत सिंह, गुरतेज सिंह, शमशेर कारी, ताज मुहम्मद, डॉ. प्यारे लाल गर्ग समेत कई प्रमुख लोगों के नाम शामिल हैं। सभी ने एक सुर में इस निर्णय को संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन बताया, जो हर भारतीय नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है।
युद्ध के समय भी नहीं रोकी गई थी यात्रा- Ban on Nankana Sahib Yatra
डॉ. कुशल सिंह ने यह भी कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात या 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय भी सिखों की तीर्थ यात्रा पर रोक नहीं लगाई गई थी। उस समय सीमा सील होने के बावजूद भारत सरकार ने श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति दी थी।
करतारपुर कॉरिडोर भी बंद, बढ़ी चिंता
बता दें, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते करतारपुर साहिब कॉरिडोर को भी बंद कर दिया गया है। अब सिख संगठनों ने मोदी सरकार से अपील की है कि इसे जल्द से जल्द खोला जाए, ताकि श्रद्धालु अपने पवित्र स्थलों के दर्शन कर सकें।
पाकिस्तान की ओर से भी अपील
इधर, पाकिस्तान की सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) ने भी भारत सरकार से अपील की है कि वह श्रद्धालुओं को ननकाना साहिब और करतारपुर जैसे धार्मिक स्थलों तक जाने की अनुमति दे। उनका कहना है कि 22 सितंबर को गुरु नानक देव जी की पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित स्मृति कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की उपस्थिति बेहद जरूरी है।
पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (PSGPC) के अध्यक्ष सरदार रमेश सिंह अरोड़ा ने भारत सरकार के रुख पर चिंता जताई और कहा कि 26 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लगाए गए प्रतिबंधों का असर धार्मिक यात्रा पर नहीं पड़ना चाहिए।
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