National Herald Case: नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और अदालत के बीच कानूनी बहस जारी है। राउज एवेन्यू की विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा कि अनुसूचित अपराध मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एक ट्रिगर हो सकता है, लेकिन हर कंपनी की गतिविधि को मनी लॉन्ड्रिंग नहीं माना जा सकता। इसके जवाब में अदालत ने ईडी से कड़े सवाल किए कि क्या जांच एजेंसी के पास ऐसा ठोस सबूत है जिससे कहा जा सके कि शेयर, संपत्ति या किराया अपराध से उत्पन्न हुई आय है।
अदालत ने पूछा, क्या ये शेयर अपराध की कमाई हैं? (National Herald Case)
सुनवाई के दौरान अदालत ने ईडी से पूछा कि क्या यंग इंडियन कंपनी के पास जिन शेयरों का आरोप है, वे अनुसूचित अपराधों से मिली कमाई का हिस्सा हैं। अदालत ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग की कार्रवाई के लिए यह तय करना जरूरी है कि क्या शेयर, संपत्ति और किराया अपराध से उत्पन्न हुई आय मानी जा सकती है या नहीं। अदालत का मानना है कि जांच एजेंसी को स्पष्ट तौर पर पहचान करनी होगी कि कौन सी संपत्ति अपराध की कमाई है।
ईडी का पक्ष: यंग इंडियन के पास कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं
ईडी ने कोर्ट को बताया कि यंग इंडियन कंपनी के पास लाभ के लिए कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं थी, बल्कि केवल शेयर जारी करने का काम किया गया। ईडी का दावा है कि शेयर, संपत्ति और किराया अपराध से प्राप्त धन की आय हैं, जबकि विज्ञापन और ऋण को इस मामले से अलग रखा गया है। इसके चलते अदालत ने ईडी से फोरेंसिक ऑडिट करने वाले विशेषज्ञों की जानकारी मांगी ताकि कंपनियों की वित्तीय गतिविधियों और शेयर जारी करने की प्रक्रिया की जांच की जा सके।
शेयर जारी करना धोखाधड़ी का मामला
ईडी ने कहा कि यंग इंडियन को आल इंडिया कांग्रेस कमेटी की एक कंपनी एजेएल के शेयर धोखाधड़ी के जरिए जारी किए गए हैं। सुनवाई में ईडी ने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल अपराध से मिली संपत्ति से संबंधित है। एक बार शेयर जारी हो जाने के बाद इसे संपत्ति माना जाता है, लेकिन उसकी उत्पत्ति अपराध से हुई हो तो वह मनी लॉन्ड्रिंग में आती है।
अप्रैल में दाखिल किया था आरोपपत्र
प्रवर्तन निदेशालय ने 15 अप्रैल को इस मामले में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत अन्य आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। आरोपपत्र में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े विभिन्न पहलुओं को सामने रखा गया है, जिसके तहत यंग इंडियन कंपनी द्वारा कथित तौर पर फर्जी तरीके से शेयर जारी करने का आरोप है।
अगली सुनवाई कब?
अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए फोरेंसिक ऑडिटर की रिपोर्ट पर ध्यान देने की बात कही है। जांच एजेंसी से इस मामले की प्रामाणिकता और कंपनियों की वित्तीय गतिविधियों के सही दस्तावेज कोर्ट के सामने पेश करने को कहा गया है। इस बीच, इस केस पर कानूनी लड़ाई जारी रहने की संभावना है और आने वाले दिनों में अदालत में मामले की सुनवाई महत्वपूर्ण मोड़ ले सकती है।