Nitin Gadkari Ethanol Promote: इंजन फूंके जनता के, और गडकरी एंड संस ने कर ली तिजोरी फुल! एथेनॉल की आड़ में नितिन गडकरी ने खेल दिया बड़ा दांव

Nitin Gadkari Ethanol Promote
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Nitin Gadkari Ethanol Promote: एक शेयर जो साल भर में 40 रुपये से सीधा 668 रुपये तक उड़ गया… एक कंपनी जिसका मुनाफा 100 गुना बढ़ गया… और एक नीति जिसे ‘देशहित’ कहकर लागू किया गया. पर अब सवाल उठ रहे हैं कि कहीं ये उड़ान सिर्फ शेयर बाजार की नहीं, बल्कि सत्ता और व्यापार के गठजोड़ की तो नहीं? दरअसल इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (E20) को लेकर देशभर में बहस छिड़ी है. लेकिन इस बार बात सिर्फ गाड़ियों की माइलेज या इंजन की नहीं हो रही, निशाने पर हैं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उनके बेटे. सोशल मीडिया से लेकर बाजार तक, हर जगह एक ही चर्चा: क्या एथेनॉल की यह तेजी महज़ इत्तेफाक है या फिर एक योजनाबद्ध ‘फ्यूल फॉर प्रॉफिट’ की कहानी?

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ये विवाद तब शुरू हुआ जब CIAN एग्रो इंडस्ट्रीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (CIAN Agro Industries & Infrastructure Ltd) का शेयर शुक्रवार को ₹668.10 के ऑल-टाइम हाई पर बंद हुआ. पिछले एक साल में इस शेयर ने करीब-करीब 1600% की चौंकाने वाली छलांग लगाई है और यही बिंदु आज सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक चर्चा का विषय बना हुआ है. वजह? केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उनके बेटे निखिल गडकरी का इस कंपनी से सीधा जुड़ाव और केंद्र सरकार की एथेनॉल-नीति का एकाएक तेज़ी से लागू होना।

 

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CIAN एग्रो का रॉकेट शेयर और गडकरी कनेक्शन- Nitin Gadkari Ethanol Promote

सीआईएएन एग्रो के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं निखिल गडकरी, यानी नितिन गडकरी के बेटे. इस कंपनी का शेयर 2024 में ₹41 के आसपास था और अब यह ₹668 पर कारोबार कर रहा है. बीते एक साल में इसका राजस्व जून 2024 में 18 करोड़ रुपये था जो जून 2025 में बढ़कर 510 करोड़ रुपये तक पहुंच गया यानी करीब 28 गुना की वृद्धि! इसी दौरान इसका मुनाफा भी 100 गुना तक उछल गया.

अब सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि यह सब कुछ अचानक कैसे हुआ? क्या यह किसी साजिश की ओर इशारा करता है?

आरोपों की फेहरिस्त

कई यूज़र्स और विश्लेषकों का दावा है कि CIAN एग्रो पारंपरिक रूप से इथेनॉल बनाने वाली कंपनी नहीं थी, लेकिन फरवरी 2024 से इसने इथेनॉल के व्यापार में कदम रखा और देखते ही देखते इसका ग्रोथ चार्ट आसमान छू गया. यही वो समय भी था जब केंद्र सरकार ने देशभर में E20 फ्यूल  यानी 20% इथेनॉल मिले पेट्रोल को तेज़ी से लागू करना शुरू किया.

इतना ही नहीं, नितिन गडकरी के छोटे बेटे सारंग गडकरी भी इथेनॉल के कारोबार में हैं. वे Manas Agro Industries चलाते हैं, जो एक अनलिस्टेड कंपनी है लेकिन इसके रेवेन्यू ग्रोथ के आंकड़े भी हैरान करने वाले हैं. साल 2021 में इस कंपनी का टर्नओवर ₹5990 करोड़ था, जो 2024 में बढ़कर ₹9591 करोड़ तक पहुंच गया.

क्या है सरकार की दलील?

नितिन गडकरी खुद E20 फ्यूल को लगातार प्रमोट करते रहे हैं. उन्होंने कुछ ही समय पहले कहा था कि इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल से अब तक कोई शिकायत नहीं आई है और कुछ लोग इस बारे में जानबूझकर भ्रम फैला रहे हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि इससे पर्यावरण को फायदा होता है, किसानों को अच्छा दाम मिलता है और भारत की तेल निर्भरता घटती है.

पेट्रोलियम मंत्रालय भी यही कहता है कि E20 से इंजन को कोई नुकसान नहीं होता, बस माइलेज में मामूली गिरावट हो सकती है.

पर आम जनता का क्या कहना है?

देशभर में कई वाहन मालिकों का अनुभव इन दावों से मेल नहीं खा रहा. लोगों ने कहा है कि गाड़ियों की माइलेज घट गई है, इंजन की परफॉर्मेंस कमजोर हो गई है और कुछ इंश्योरेंस कंपनियों ने तो ऐसे वाहनों को कवर करने से मना कर दिया है.

खासकर पुराने मॉडल की गाड़ियों में दिक्कतें ज्यादा देखी जा रही हैं क्योंकि इथेनॉल में पानी खींचने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है, जिससे टैंक और पाइपलाइन में जंग लग सकती है.

नीति और नफा: क्या है सच?

यह पूरा मामला इसलिए और संवेदनशील हो गया है क्योंकि अब यह सिर्फ तकनीकी या पर्यावरण की बहस नहीं रह गई  इसमें हितों के टकराव (Conflict of Interest) की संभावना दिखाई दे रही है.

नितिन गडकरी की नीतियों से सीधे तौर पर उनके बेटों के बिज़नेस को फायदा होता दिख रहा है. निखिल की CIAN एग्रो और सारंग की मानस एग्रो, दोनों ही कंपनियां इथेनॉल को अपना प्रमुख उत्पाद बताती हैं. CIAN एग्रो का मुनाफा और शेयर प्राइस जिस तरह से बढ़ा है, वह सवाल खड़े करता है कि क्या नीति बनाते समय कारोबारी फायदे का भी ख्याल रखा गया?

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

प्लेटफॉर्म ‘X’ (पहले ट्विटर) पर कई यूजर्स ने खुलकर कहा कि गडकरी ने राष्ट्रवाद की चादर ओढ़कर एथेनॉल की बिक्री को आगे बढ़ाया, जिससे आम जनता की जेब ढीली हुई, लेकिन उनका पारिवारिक बिजनेस दौड़ने लगा. कुछ ने तो यह भी कहा कि पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने की नीति से “जनता की गाड़ी धीमी और गडकरी परिवार की गाड़ी तेज़ हो गई.”

क्या ये सब सिर्फ संयोग है?

गडकरी का तर्क है कि किसानों को फायदा हो रहा है और देश की तेल निर्भरता घट रही है. यह एक पहलू है, लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि उन्हीं की फैमिली कंपनियां इस नीति से सीधा फायदा कमा रही हैं.

तो सवाल यही है: क्या नीति-निर्माण और निजी बिज़नेस का ये मेल महज़ संयोग है या फिर सोची-समझी योजना? और इस पूरी ‘एथेनॉल इकॉनमी’ का असली बोझ किस पर आ रहा है जनता पर, जो कम माइलेज और ज्यादा मेंटेनेंस में उलझी हुई है?

जवाब किसी के पास नहीं है, पर सवाल अब ज़रूर ज़ोर से पूछे जा रहे हैं.

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