No Fuel Policy: देश की राजधानी दिल्ली में 1 जुलाई से लागू होने वाली ‘नो फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल्स’ नीति पर दिल्ली पेट्रोल डीलर एसोसिएशन (DPDA) ने आपत्ति जताई है और सरकार से इस नीति के तहत पेट्रोल-डीजल देने से मना करने पर दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधानों को हटाने की मांग की है। यह नीति कमिशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट (CAQM) द्वारा 21 जून को जारी की गई थी, जिसके तहत 1 जुलाई से पुराने, यानी एंड-ऑफ-लाइफ (EOL) वाहनों को दिल्ली के किसी भी पेट्रोल पंप से ईंधन नहीं दिया जाएगा, चाहे वे किसी भी राज्य में रजिस्टर्ड हों।
क्या है ‘नो फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल्स’ नीति? (No Fuel Policy)
नई नीति के तहत डीजल वाहनों को 10 साल और पेट्रोल वाहनों को 15 साल बाद ईंधन देने से मना कर दिया जाएगा। इन वाहनों को एंड-ऑफ-लाइफ (EOL) माना गया है। इसका उद्देश्य दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार लाना है, क्योंकि पुरानी और प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियां शहर के वायु प्रदूषण में अहम योगदान देती हैं। इसके तहत ऐसे वाहनों को पेट्रोल-डीजल पंपों पर ईंधन नहीं मिलेगा और उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा।
डीलर्स एसोसिएशन की चिंता
दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन (DPDA) ने इस नीति पर आपत्ति जताते हुए सरकार से दंडात्मक प्रावधानों को हटाने की अपील की है। एसोसिएशन का कहना है कि अगर पेट्रोल पंप डीलर पुरानी गाड़ियों के लिए ईंधन देने से इंकार करते हैं, तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है, जो उनके लिए व्यावहारिक और स्वीकार्य नहीं है। डीलर्स का कहना है कि इस नीति के तहत पंप अटेंडेंट को प्रवर्तन अधिकारी की तरह काम करने की जिम्मेदारी दी जा रही है, जो सही नहीं है।
एसोसिएशन ने यह भी कहा कि अगर पंप अटेंडेंट नियम का पालन नहीं करते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है, जो उनकी सुरक्षा के लिए खतरे की बात हो सकती है। एसोसिएशन ने हाल ही में गाजियाबाद में हुई घटना का उदाहरण दिया, जहां एक पेट्रोल पंप अटेंडेंट को ‘हेलमेट नहीं तो फ्यूल नहीं’ नीति लागू करने पर गोली मारी गई थी। ऐसी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए एसोसिएशन ने सरकार से अपील की है कि पेट्रोल पंपों पर पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया जाए ताकि इस नई नीति को लागू करते समय कोई अप्रिय घटना न घटे।
पेट्रोल पंप डीलर्स की समस्याएं और सरकार से मांगें
डीपीडीए ने सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि पंप डीलरों पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान हटाया जाए। उनका कहना है कि इस तरह के प्रावधानों से न केवल आवश्यक सेवाएं प्रभावित होंगी, बल्कि यह योजना भी असफल हो सकती है। एसोसिएशन ने सरकार से यह भी मांग की है कि उन्हें इस नीति के लिए कोई उचित एसओपी (Standard Operating Procedure) दिया जाए, ताकि नीति को सही तरीके से लागू किया जा सके।
नए आदेश की स्थिति और भविष्य की चुनौतियाँ
इस नई नीति के तहत, दिल्ली के परिवहन मंत्री पंकज सिंह और परिवहन आयुक्त को डीपीडीए ने एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने यह मुद्दा उठाया है कि पेट्रोल पंप डीलरों पर लगाए गए दंडात्मक प्रावधानों को हटाया जाए और नियमों के पालन में उत्पन्न होने वाली समस्याओं का समाधान किया जाए। अगर सरकार इस नीति को पूरी तरह से लागू करती है, तो पेट्रोल पंप डीलर और अटेंडेंट को काफी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, खासकर जब वे कानून के पालन के नाम पर ग्राहकों के साथ टकराव में पड़ सकते हैं।
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