Noida News: नोएडा के यमुना बाढ़ क्षेत्र (Yamuna Floodplain) में बने कथित अवैध फार्महाउसों को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है। इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बड़ा आदेश देते हुए नोएडा अथॉरिटी और फार्महाउस मालिकों को यथास्थिति बनाए रखने (status quo) का निर्देश दिया है। मतलब अब न कोई फार्महाउस गिरेगा और न ही कोई नया निर्माण होगा, कम से कम अगली सुनवाई तक।
यह आदेश कोर्ट ने 30 फार्महाउस मालिकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिन्होंने नोएडा अथॉरिटी द्वारा जारी तोड़फोड़ के नोटिस को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अथॉरिटी ने चुनिंदा फार्महाउसों को निशाना बनाया है, जबकि बाकी को छोड़ दिया गया यानी एक तरह की ‘पिक एंड चूज़’ पॉलिसी अपनाई जा रही है।
फार्महाउस मालिकों का पक्ष क्या है? Noida News
याचिकाकर्ता मालिकों ने कोर्ट में दावा किया कि:
- उनके फार्महाउस यमुना नदी से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित हैं।
- ये ज़मीन High Flood Level (HFL) ज़ोन से बाहर है।
- फार्महाउस अस्थायी किस्म के हैं और नदी के प्रवाह में कोई बाधा नहीं डालते।
उनका कहना है कि उन्हें बिना किसी ठोस कारण के तोड़फोड़ का नोटिस भेजा गया, जबकि कई अन्य फार्महाउस भी ऐसी ही स्थिति में होने के बावजूद अछूते रह गए।
कोर्ट का आदेश क्या कहता है?
कोर्ट ने 26 अगस्त को जारी अपने आदेश में कहा:
“मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर, 2025 को होगी। तब तक यथास्थिति बनी रहेगी। न तो याचिकाकर्ता किसी तरह का नया निर्माण करेंगे और न ही विवादित जमीन पर किसी तीसरे पक्ष को अधिकार देंगे।”
साथ ही कोर्ट ने ये मामला 2023 से चल रही एक पुरानी याचिका के साथ क्लब कर दिया है, ताकि एक ही तरह के मामलों की सुनवाई एक साथ हो सके।
नोएडा अथॉरिटी का पक्ष क्या है?
नोएडा अथॉरिटी का कहना है कि ये फार्महाउस “इकोलॉजिकली सेंसिटिव” यमुना बाढ़ क्षेत्र में बने हैं। इस ज़मीन को River Ganga (Rejuvenation, Protection and Management) Authorities Order, 2016 के तहत संरक्षित घोषित किया गया है।
इसके तहत 2022 में अथॉरिटी ने एक बड़ा एक्शन शुरू किया था। जून 2022 में नोएडा अथॉरिटी ने 125 से ज्यादा फार्महाउस गिरा दिए थे, जिससे दर्जनों याचिकाएं अदालतों में दायर की गईं।
अगस्त 2025 में फिर बड़ी कार्रवाई
ताजा आदेश के कुछ ही दिन पहले, 26 अगस्त को (जो मंगलवार था), नोएडा अथॉरिटी और उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने सेक्टर 150 और 151 के इलाके में कम से कम 23 फार्महाउस गिरा दिए।
ये एक संयुक्त तोड़फोड़ अभियान था, जो बीते एक साल में सबसे बड़ा बताया जा रहा है।
अब आगे क्या?
कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी, NMCG (नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा) और अन्य संबंधित पक्षों को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई 24 सितंबर, 2025 को होगी, जब अदालत तय करेगी कि फार्महाउस वैध हैं या अवैध, और क्या वास्तव में पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।
इस मामले ने एक बार फिर विकास और पर्यावरण संतुलन को लेकर बहस को हवा दी है। एक तरफ निजी डेवलपर्स हैं, जो अपना पक्ष रख रहे हैं कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन नहीं किया, वहीं दूसरी ओर प्रशासन और पर्यावरण विभाग हैं जो मानते हैं कि इन निर्माणों से यमुना की पारिस्थितिकी पर खतरा है।
अब सबकी नजरें 24 सितंबर की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां से ये तय होगा कि यमुना किनारे बसे ये फार्महाउस बचेंगे या ढहाए जाएंगे।