One Nation-One Time: केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए यह घोषणा की है कि अब सभी कानूनी, व्यावसायिक, डिजिटल और प्रशासनिक कार्यों में भारतीय मानक समय (आईएसटी) का उपयोग अनिवार्य होगा। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस फैसले की जानकारी दी और कहा कि इस पहल से डिजिटल लेन-देन की सुरक्षा में वृद्धि होगी, सेवाओं की बिलिंग सटीक होगी, साइबर अपराध में कमी आएगी और यातायात व संचार में समय की एकरूपता बनी रहेगी।
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आईएसटी के अनिवार्य उपयोग से होने वाले लाभ– One Nation-One Time
वर्तमान में, कई प्रणालियाँ विदेशी समय स्रोतों, जैसे जीपीएस, पर निर्भर करती हैं। इससे साइबर हमलों, समय मेल न खाने और समय की सही पहचान न होने जैसे खतरे उत्पन्न होते हैं। जोशी ने कहा कि इस कदम से समय आधारित गड़बड़ियां, नेटवर्क की कमजोरियां और डिजिटल जांच में समस्याओं को कम किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि एक समान और सटीक समय प्रणाली राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से वित्तीय बाजार, पावर ग्रिड, टेलीकॉम और परिवहन क्षेत्रों के लिए।
‘एक देश, एक समय’ की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
इस पहल को लेकर मंत्री ने कहा, “अब हम ‘एक देश, एक समय’ की दिशा में बढ़ रहे हैं।” यह कदम समय के निर्धारण में अंतर को समाप्त करेगा और पूरे देश में एक समान समय प्रणाली सुनिश्चित करेगा। जोशी ने यह भी बताया कि आज के डिजिटल युग में, यदि घड़ियां समान न हों, तो इससे कई तरह की डिजिटल गड़बड़ियां और नेटवर्क की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस परियोजना का उद्देश्य भारतीय मानक समय को आधिकारिक और कानूनी रूप से लागू करना है, जो वर्तमान में विदेशी स्रोतों पर निर्भरता को खत्म करेगा।
पारदर्शिता और डिजिटल सुरक्षा को बढ़ावा
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा कि यह पहल भारत में एक सुरक्षित और भरोसेमंद डिजिटल पारिस्थितिकीतंत्र (इकोसिस्टम) स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि अब तक हम विदेशी समय स्रोतों पर निर्भर थे, लेकिन अब समय की पूरी प्रणाली भारतीय हो गई है। खरे ने यह भी कहा कि इस परियोजना के तहत विभिन्न मंत्रालयों और तकनीकी संस्थाओं के साथ लगातार समन्वय किया गया था।
क्षेत्रीय लैब्स और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग
इस पहल के तहत भारत के पांच प्रमुख शहरों—अहमदाबाद, बंगलूरू, भुवनेश्वर, फरीदाबाद और गुवाहाटी में क्षेत्रीय लैब (आरएसएसएल) स्थापित किए जा रहे हैं। इन लैब्स में परमाणु घड़ियां लगाई जाएंगी और एनटीपी (नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल) और पीटीपी (प्रेसिजन टाइम प्रोटोकॉल) जैसी सुरक्षित तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। इससे समय की सटीकता माइक्रोसेकंड तक सुनिश्चित की जा सकेगी, जो डिजिटल और प्रशासनिक कार्यों की दक्षता को बढ़ाएगा।
सार्वजनिक और निजी क्षेत्र का समर्थन
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि 100 से अधिक क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने इस पहल के तहत सम्मेलन में भाग लिया, जिनमें टेलीकॉम, बैंकिंग, रेलवे जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह परियोजना न केवल सरकारी क्षेत्रों में, बल्कि निजी क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह सुनिश्चित करेगा कि सभी कार्यों में समय की सटीकता बनी रहे और लोगों को सही और पारदर्शी सेवाएं मिलें।