Operation Sindoor News: भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच एक नया विवाद सामने आया है। इंडोनेशिया में भारतीय डिफेंस अताशे, कैप्टन शिव कुमार (नौसेना) द्वारा दिए गए एक बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। कैप्टन कुमार ने दावा किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के शुरुआती चरण में भारतीय वायुसेना को अपने “कुछ लड़ाकू विमान गंवाने पड़े” क्योंकि राजनीतिक नेतृत्व ने सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला न करने और केवल आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाने का आदेश दिया था।
सेमिनार में दिया गया बयान- Operation Sindoor News
10 जून को जकार्ता में आयोजित एक सेमिनार में कैप्टन कुमार ने अपने बयान में कहा, “केवल इसलिए हमें नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि राजनीतिक नेतृत्व की ओर से पाकिस्तान की सैन्य संरचनाओं या एयर डिफेंस को टारगेट न करने को कहा गया था।” उन्होंने आगे बताया कि शुरूआती नुकसान के बाद भारतीय सेनाओं ने अपनी रणनीति बदली और दुश्मन के एयर डिफेंस को नष्ट करते हुए ब्रह्मोस मिसाइलों से सफल हमले किए। इस बयान ने न केवल रक्षा विशेषज्ञों, बल्कि आम जनता में भी सवाल उठाए हैं कि क्या भारत को अपने सुरक्षा हितों से समझौता करने के लिए मजबूर किया गया था।
भारतीय दूतावास की सफाई
कैप्टन कुमार के बयान के बाद विवाद बढ़ता देख भारतीय दूतावास ने बयान दिया कि उनके शब्दों को “बिना संदर्भ के पेश किया गया” और मीडिया ने इसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया। दूतावास ने X प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में स्पष्ट किया कि कैप्टन कुमार का इरादा यह बताने का था कि भारतीय सेना लोकतांत्रिक परंपराओं के तहत राजनीतिक नेतृत्व के अधीन काम करती है। इसके अलावा, दूतावास ने यह भी बताया कि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था और यह उकसावे वाली कार्रवाई नहीं थी।
कांग्रेस का तीखा हमला
कांग्रेस पार्टी ने इस बयान को लेकर मोदी सरकार पर तीखा हमला किया है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा, “यह टिप्पणी सीधे तौर पर सरकार की विफलता को दर्शाती है। प्रधानमंत्री क्यों इस मुद्दे पर ऑल-पार्टी मीटिंग नहीं बुला रहे हैं?” उन्होंने यह भी कहा कि इस बयान ने राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने के आरोपों को और मजबूती दी है।
खेड़ा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पूरी सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में गंभीरता से काम नहीं किया। उन्होंने सेना प्रमुख जनरल अनिल चौहान के बयान का भी हवाला दिया, जिन्होंने पहले ऑपरेशन सिंदूर के प्रारंभिक चरणों में नुकसान की बात स्वीकार की थी, हालांकि उन्होंने नुकसान की संख्या नहीं बताई थी। पिछले महीने, जनरल चौहान ने सिंगापुर में ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि पाकिस्तान के छह भारतीय जेट विमानों को मार गिराने का दावा “पूरी तरह गलत” था और इस तरह की जानकारी को खारिज कर दिया था।
सैन्य रणनीति और राजनीतिक निर्णय
कैप्टन शिव कुमार का बयान और उसके बाद भारतीय दूतावास की सफाई यह सवाल उठाते हैं कि क्या भारत को सैन्य कार्रवाइयों में राजनीतिक निर्देशों को ध्यान में रखते हुए सीमित करना पड़ा। अगर सैन्य निर्णयों को राजनीतिक नेतृत्व के अधीन रखा जाता है, तो क्या यह भारतीय सुरक्षा हितों के लिए सही है? यह सवाल अब सार्वजनिक चर्चा का विषय बन गया है।