Operation Sindoor News:22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक कड़ा कदम उठाया। इस हमले में 26 निर्दोष हिंदू पुरुषों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, जबकि महिलाओं को छोड़ दिया गया था, ताकि वे सरकार को आतंकवादियों के संदेश दे सकें। यह हमला न केवल भयानक था, बल्कि इसमें आतंकवादियों ने एक घृणित उद्देश्य को पूरा किया – समाज में आतंक और भय फैलाना। इस हमले के बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक सैन्य कार्रवाई शुरू की, जिसे केवल एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि एक करारा जवाब माना जा रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर का नामकरण और उसकी महिमा- Operation Sindoor News
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को इस कायराना हमले का प्रतिकार माना जा सकता है, क्योंकि इस हमले में मारे गए पुरुषों के साथ-साथ उनकी पत्नियों के माथे से सिंदूर भी हटा दिया गया था। यह सिंदूर, जो भारतीय समाज में विवाहित महिलाओं का प्रतीक होता है, उनके सुहाग और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद है, इस हमले में आतंकवादियों ने इसे छल से और बेरहमी से उजाड़ दिया था। इसे देखते हुए ऑपरेशन का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रखा गया, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि जो आतंकवादी सिंदूर उजाड़ते हैं, उनका जवाब भारत जरूर देगा।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
सिंदूर भारतीय संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल एक महिला के विवाहित जीवन का प्रतीक है, बल्कि यह धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्व रखता है। भारतीय समाज में सिंदूर का मतलब केवल एक शृंगारिक वस्तु नहीं है, बल्कि यह भगवान राम के लिए सीता माता की श्रद्धा का प्रतीक है। रामायण में सीता माता का सिंदूर लगाना एक महत्वपूर्ण धार्मिक घटना मानी जाती है। इसी तरह से, देवी पार्वती की पूजा में भी सिंदूर का स्थान महत्वपूर्ण है।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवादियों के खिलाफ कड़ा कदम
ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य केवल एक सैन्य जवाब नहीं था, बल्कि यह उन 26 निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि देने की कोशिश थी, जिन्होंने अपनी जानें गंवाईं। यह उन महिलाओं के लिए भी था जिनकी मांग आतंकवादियों ने सूनी कर दी थी। ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया। इस ऑपरेशन में कुल नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने शामिल थे।
भारत सरकार ने इस कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक कदम के रूप में प्रस्तुत किया। सरकार ने इसे स्पष्ट रूप से एक संदेश के रूप में देखा कि जो लोग आतंकवाद के नाम पर निर्दोष लोगों की हत्या करते हैं, उन्हें इसका जवाब मिलेगा। भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से यह साबित किया कि वह आतंकवाद को लेकर अपने रुख में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा।
भारतीय समाज में सिंदूर का स्थान
भारतीय समाज में सिंदूर का एक गहरा सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है। यह केवल एक महिला के दांपत्य जीवन का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भगवान के आशीर्वाद और सुख-शांति का संकेत भी है। विशेषकर हिंदू विवाहों में, सिंदूर का भरना एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र रस्म होती है। विवाह के बाद महिला का सिंदूर लगाना उसकी शादीशुदा जिंदगी की शुरुआत और सुहाग की निशानी मानी जाती है।
इतिहास में सिंदूर का उल्लेख कई पौराणिक कथाओं में मिलता है। रामायण में सीता माता द्वारा सिंदूर लगाने का महत्व दर्शाया गया है, जिससे यह प्रतीत होता है कि यह किसी भी विवाहित महिला के जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
सिंदूर का प्राचीन महत्व
यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, और इसका इतिहास हड़प्पा सभ्यता तक जाता है, जहां महिला मूर्तियों पर सिंदूर के निशान पाए गए हैं। इसका मतलब यह है कि सिंदूर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व न केवल आज के दौर में, बल्कि प्राचीन समय से ही था।
रामायण, महाभारत और सिंदूर
रामायण में सीता माता और महाभारत में द्रौपदी के सिंदूर के साथ जुड़े पवित्र घटनाक्रम इस बात को प्रमाणित करते हैं कि सिंदूर का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। सीता माता अपनी मांग में सिंदूर भरती थीं, जिससे यह प्रतीक होता है कि यह उनके पति भगवान राम के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। वहीं, महाभारत में द्रौपदी ने दुशासन का लहू से अपने बाल धोने के बाद सिंदूर भरा था, जिससे यह दर्शाता है कि सिंदूर सिर्फ एक शृंगार नहीं, बल्कि नारी शक्ति और प्रतिशोध का भी प्रतीक है।
ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य और प्रभाव
ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल एक सैन्य जवाब दिया बल्कि यह एक सांस्कृतिक और धार्मिक संदेश भी था। यह उन लोगों के लिए एक करारा जवाब था जिन्होंने आतंक के नाम पर महिलाओं के सुहाग और उनके पति की लंबी उम्र का प्रतीक सिंदूर उजाड़ा था। भारत ने यह साबित किया कि उसकी सेना और सरकार आतंकवादियों से लड़ने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।
यह ऑपरेशन उन 26 लोगों को सच्ची श्रद्धांजलि देने का एक प्रयास था, जिन्होंने इस नृशंसा का शिकार हो कर अपनी जान गंवाई। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न केवल एक सैन्य कार्रवाई थी, बल्कि यह एक बड़ा संदेश था कि आतंकवादियों को उनकी हरकतों का कड़ा जवाब दिया जाएगा।