Operation Sindur Trademark Controversy: भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक सैन्य कार्रवाई, जो 6-7 मई की रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर की गई, अब एक अप्रत्याशित विवाद का केंद्र बन गई है। इस ऑपरेशन के नाम को ट्रेडमार्क के रूप में रजिस्टर करने की होड़ में रिलायंस इंडस्ट्रीज भी शामिल है। रिलायंस ने 7 मई को ट्रेडमार्क रजिस्ट्री में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को वर्क मार्क के तौर पर रजिस्टर करने के लिए आवेदन किया है। इस रजिस्ट्रेशन के तहत, रिलायंस ने क्लास 41 के तहत आवेदन किया है, जो मुख्य रूप से शिक्षा और मनोरंजन सेवाओं से संबंधित है।
अन्य आवेदकों की भी मांग- Operation Sindur Trademark Controversy
रिलायंस के अलावा, मुकेश चेतराम अग्रवाल, ग्रुप कैप्टन (रि.) कमल सिंह ओबेरह, और आलोक कोठारी जैसे तीन अन्य व्यक्तियों ने भी इस शब्द के ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है। यह तब हुआ जब देश पहलगाम आतंकी हमले के दर्द से उबरने की कोशिश कर रहा था, जिसमें 25 भारतीयों की जान चली गई थी। इस हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों पर हमला किया था।
सेना के जवान और आम इंसान की लाशों पर कमाई करता रिलायंस का मुकेश अंबानी।
अभी देश की आधी जनता को “ऑपरेशन सिंदूर” की ख़बर भी नहीं थी, और मुकेश अंबानी इस शब्द को “ट्रेडमार्क रजिस्टर” कराने चला गया, ताकि इसमें कमाई की जा सके। pic.twitter.com/dpa1bDfT9f
— Sangha/ਸੰਘਾ/संघा/سنگھا (@FarmStudioz) May 8, 2025
ट्रेडमार्क का क्या उपयोग होगा?
सभी चार दावेदारों ने नाइस वर्गीकरण की श्रेणी 41 के तहत आवेदन किया है, जिसमें शामिल हैं:
- शिक्षा और प्रशिक्षण सेवाएं
- फ़िल्म और मीडिया उत्पादन
- लाइव प्रदर्शन और कार्यक्रम
- डिजिटल सामग्री वितरण
- सांस्कृतिक और खेल गतिविधियाँ
यह श्रेणी OTT प्लेटफॉर्म, प्रोडक्शन हाउस, ब्रॉडकास्टर्स, और इवेंट कंपनियों द्वारा सामान्यत: इस्तेमाल की जाती है, जिससे संभावना जताई जा रही है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को फ़िल्म, वेब सीरीज़ या डॉक्यूमेंट्री के रूप में उपयोग किया जा सकता है। यह एक संकेत है कि इसे व्यावसायिक परियोजनाओं में रूपांतरित किया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम को ट्रेडमार्क के रूप में रजिस्टर करने के प्रयास ने सोशल मीडिया पर नाराजगी और निंद की लहर पैदा कर दी है। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे सेना के बलिदान और शहादत का व्यावसायीकरण करार दिया है। एक पोस्ट में कहा गया, “रिलायंस का मुकेश अंबानी, जो सेना के जवानों और आम नागरिकों की मौत पर कमाई कर रहा है। देश की आधी जनता को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की खबर भी नहीं थी, और मुकेश अंबानी इस नाम को ट्रेडमार्क कराने के लिए दौड़ पड़ा।” वहीं एक अन्य यूजर ने इसे ‘शर्मनाक’ बताया और सेना से इस कदम का विरोध करने की अपील की।
क्या यह सही कदम है?
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि रिलायंस और अन्य दावेदार इस ट्रेडमार्क का क्या उपयोग करने वाले हैं। क्लास 41 के तहत रजिस्ट्रेशन आमतौर पर मनोरंजन, शिक्षा, और सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़ा होता है, जिससे संभावना जताई जा रही है कि यह फ़िल्म, वृत्तचित्र, या अन्य मीडिया प्रोजेक्ट्स के लिए उपयोग किया जा सकता है। यह कदम यह सवाल खड़ा करता है कि क्या सैन्य ऑपरेशन के नाम को, जो देश की सुरक्षा और शहादत से जुड़ा है, व्यावसायिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना उचित है।
नैतिक और भावनात्मक विवाद
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने एक ओर जहां भारत की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई को दर्शाया, वहीं इसके नाम को ट्रेडमार्क बनाने की कोशिश ने नैतिक और भावनात्मक बहस छेड़ दी है। कई लोग इसे व्यावसायिकता की ओर एक कदम मानते हैं, जबकि दूसरों का मानना है कि यह हमारे सैनिकों की शहादत और बलिदान का अनादर करने जैसा है। अब यह सवाल खड़ा होता है कि क्या सरकार या सेना इस मुद्दे पर कोई कदम उठाएगी।