Padma Shri awardee scientist dead: देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन, जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूर्व महानिदेशक रहे थे, अब हमारे बीच नहीं रहे। शनिवार, 10 मई को कर्नाटका के श्रीरंगपट्टण स्थित कावेरी नदी के पास साईं आश्रम में उनका शव संदिग्ध परिस्थितियों में पाया गया। पुलिस को सूचना मिलने के बाद शव को कब्जे में लिया गया और उसकी पहचान की गई। इस घटनाक्रम के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, हालांकि उनकी मौत के कारणों की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है।
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डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन का लापता होना और शव की पहचान- Padma Shri awardee scientist dead
डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन 7 मई से लापता थे। उनके लापता होने की खबर सामने आने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की थी। उनका स्कूटर भी कावेरी नदी के किनारे पाया गया, जिससे यह अनुमान लगाया गया कि वह नदी के पास कहीं न कहीं हो सकते हैं। उनके शव की पहचान होने के बाद, पुलिस ने इसे संदिग्ध परिस्थितियों में पाया और इसकी गहरी छानबीन की जा रही है।
डॉ. अय्यप्पन अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ मैसूर में रहते थे। उनके असामयिक निधन ने न केवल उनके परिवार, बल्कि वैज्ञानिक समुदाय को भी गहरा झटका दिया है। उनकी उपलब्धियों और योगदानों को याद करते हुए, उनके परिवार और समर्थकों ने शोक व्यक्त किया है।
डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन के योगदान और जीवन यात्रा
डॉ. सुब्बन्ना अय्यप्पन को ‘नीली क्रांति’ के लिए 2022 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया था। उनका कार्य विशेष रूप से मछली पालन की तकनीकों को उन्नत बनाने में केंद्रित था, जिसने भारत में मछली पालन के पारंपरिक तरीकों को बदल दिया और ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा को मजबूती प्रदान की। उनके द्वारा विकसित की गई तकनीकों ने न केवल तटीय क्षेत्र, बल्कि आंतरिक जल क्षेत्रों में भी उत्पादन को बढ़ावा दिया। यह तकनीक न केवल ग्रामीण जीवन में खुशहाली लाने में सफल रही, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा को भी सुदृढ़ किया।
डॉ. अय्यप्पन का जन्म 10 दिसंबर 1955 को कर्नाटका के चामराजनगर जिले के येलांडूर में हुआ था। उन्होंने 1975 में बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस की डिग्री प्राप्त की, उसके बाद 1977 में मास्टर ऑफ फिशरीज साइंस की डिग्री मंगलूरु से प्राप्त की। 1988 में बेंगलुरु के कृषि विश्वविद्यालय से उन्होंने पीएचडी की। उनका वैज्ञानिक करियर बहुत ही प्रभावशाली रहा, जिसमें उन्होंने मुंबई में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन (CIFE) और भुवनेश्वर में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर (CIFA) में निदेशक के रूप में काम किया।
सार्वजनिक सेवा में योगदान
डॉ. अय्यप्पन ने कई महत्वपूर्ण संस्थाओं में कार्य किया। वह हैदराबाद में राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) के संस्थापक मुख्य कार्यकारी रहे और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के सचिव के रूप में भी कार्य किया। इसके अलावा, वे राष्ट्रीय परीक्षण और कैलिब्रेशन प्रयोगशालाओं के मान्यता बोर्ड (NABL) के अध्यक्ष और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAU), इम्फाल के कुलपति भी रहे। उनके कार्यों ने न केवल मछली पालन, बल्कि कृषि और जलवायु के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण सुधार किए।