PM Awas Yojana Fraud: प्रधानमंत्री आवास योजना का मकसद था देश के उन लोगों को छत देना, जिनके पास अपना घर नहीं है। लेकिन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले से जो मामला सामने आया है, उसने इस योजना की साख पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के मुताबिक, जिले में 9,000 से ज्यादा लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए इस योजना का लाभ ले लिया, जबकि उनके पास पहले से पक्का घर था। इतना ही नहीं, कई तो दो-मंजिला मकानों में रह रहे थे। इन लोगों ने 1.20 लाख रुपये की पहली किश्त उठा ली, लेकिन घर बनवाने की दिशा में एक ईंट भी नहीं रखी।
शंकरगढ़ ब्लॉक में 3,127 मामलों में सीधी गड़बड़ी – PM Awas Yojana Fraud
सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा शंकरगढ़ ब्लॉक से आया, जहां 3,127 लाभार्थियों ने पहली किश्त लेने के बाद कुछ भी निर्माण कार्य नहीं कराया। जांच में पता चला कि इन लोगों को नए घर की जरूरत ही नहीं थी, फिर भी इन्होंने फर्जी दस्तावेजों से योजना में नाम जुड़वा लिया। ये सब पैसा उन गरीबों का हक मार कर लिया गया, जो वाकई एक छत के लिए तरस रहे हैं।
पेंशन योजनाओं में भी बड़ा फ्रॉड
पीएम आवास योजना की ही तरह पेंशन योजनाएं भी निशाने पर हैं। विधवा पेंशन और वृद्धावस्था पेंशन में भी बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। महिला एवं बाल विकास विभाग की विधवा पेंशन योजना में 100 से ज्यादा ऐसी महिलाओं को पेंशन मिलती रही, जो या तो दोबारा शादी कर चुकी थीं या जिनकी मृत्यु हो चुकी थी। इसके चलते 12 लाख रुपये से ज्यादा का गलत भुगतान हुआ।
इसी तरह वृद्धावस्था पेंशन में 2,351 ऐसे मृतकों को पेंशन दी जाती रही जो एक साल पहले ही दुनिया छोड़ चुके थे। परिजनों ने न तो विभाग को जानकारी दी और न ही पेंशन बंद हुई। इस लापरवाही के कारण सरकार को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा।
40 लाख रुपये से ज्यादा की हेराफेरी
अगर दोनों योजनाओं को मिला कर देखा जाए, तो अब तक करीब 40 लाख रुपये से ज्यादा की हेराफेरी सामने आ चुकी है। जिला अधिकारियों का कहना है कि सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि मौजूदा नियमों में इस तरह से गलत तरीके से दी गई राशि को वापस लेने का कोई पुख्ता प्रावधान ही नहीं है। ऐसे में अब जब रिकवरी की बात आती है, तो कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है।
जिम्मेदार कौन?
अब सवाल उठता है कि जब आवेदन प्रक्रिया में दस्तावेजों की जांच होती है, तो फिर ये गड़बड़ियां कैसे हो गईं? क्या संबंधित अधिकारियों ने जानबूझकर आंखें मूंद लीं, या फिर पूरा सिस्टम ही इतने बड़े स्तर पर लापरवाह था? कहीं यह संगठित तरीके से किया गया फर्जीवाड़ा तो नहीं, जिसमें अधिकारियों की मिलीभगत भी हो सकती है?
कार्रवाई शुरू, जिम्मेदारों पर गिरेगी गाज
मुख्य विकास अधिकारी हर्षिका सिंह ने सभी मामलों की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। अब ऐसे लाभार्थियों से पैसे की वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके अलावा जिन अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेजों को मंजूरी दी थी, उनकी जवाबदेही तय की जा रही है। जिला प्रशासन का कहना है कि इस तरह की गड़बड़ियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।