PM Modi Japan Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 और 30 अगस्त को दो दिन के दौरे पर जापान पहुंचने वाले हैं। ये न सिर्फ उनका जापान का आठवां दौरा होगा, बल्कि पहली बार नए जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ उनकी मुलाकात भी होगी। इस दौरान 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन का आयोजन होगा, जो दोनों देशों के बीच भविष्य की रणनीतिक दिशा तय करने वाला है।
इस दौरे की खास बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी और उनके समकक्ष शिगेरु इशिबा बुलेट ट्रेन से सेंडाई शहर का सफर करेंगे। यह यात्रा प्रतीक होगी उस तकनीकी सहयोग की जो भारत और जापान के बीच लगातार गहराता जा रहा है। सेंडाई, जो सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के लिए जाना जाता है, भारत की तकनीकी साझेदारी को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।
बुलेट ट्रेन और E10 टेक्नोलॉजी- PM Modi Japan Visit
भारत पहले ही मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट में जापान के साथ मिलकर काम कर रहा है। अब जापान ने भारत को अगली पीढ़ी की E10 सीरीज बुलेट ट्रेन ऑफर की है। यह ट्रेन भूकंप में भी डिरेल नहीं होती और भविष्य में पूरी तरह से ऑटोमेटेड चलने की क्षमता रखती है। जापान की संस्था JICA इस प्रोजेक्ट में करीब 88,000 करोड़ रुपये यानी 81% की हिस्सेदारी निभा रही है, जबकि बाकी राशि भारत सरकार और महाराष्ट्र-गुजरात की राज्य सरकारें देंगी।
सुरक्षा से लेकर सेमीकंडक्टर तक
इस दौरे में 2008 के सुरक्षा सहयोग समझौते को अपडेट किया जाएगा। दोनों देश एक नई इकोनॉमिक सिक्योरिटी इनिशिएटिव शुरू करेंगे, जिसमें सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्रिटिकल मिनरल्स, टेलीकम्युनिकेशन और क्लीन एनर्जी पर खास फोकस होगा।
इस साझेदारी को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का संतुलन बनाने के नजरिए से भी बेहद अहम माना जा रहा है। दोनों देश इस क्षेत्र में व्यावहारिक सहयोग के जरिए अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं।
निवेश का नया लक्ष्य
भारत और जापान पहले ही 2026 तक 5 ट्रिलियन येन निवेश का लक्ष्य तय कर चुके थे, जिसे 2025 में ही हासिल कर लिया गया। अब दोनों देश इसे बढ़ाकर 7 से 10 ट्रिलियन येन तक ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। इससे रेलवे, सड़क, ब्रिज और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में बड़े निवेश की उम्मीद है।
स्थानीय सहयोग और जन-संपर्क
मोदी इस दौरे में जापान के प्रांतीय नेताओं से भी मुलाकात कर सकते हैं, ताकि भारत की राज्य सरकारों और जापानी प्रांतों के बीच ग्रासरूट स्तर पर सहयोग को बढ़ाया जा सके। साथ ही, जापान की बढ़ती उम्रदराज आबादी और भारत की युवा जनशक्ति को जोड़ने पर भी बातचीत होगी।
साझा दृष्टिकोण और वैश्विक संदेश
विदेश सचिव विक्रांत मिस्री ने कहा कि भारत और जापान लोकतांत्रिक मूल्यों, रणनीतिक सोच और परस्पर विश्वास के आधार पर साथ खड़े हैं। यह शिखर सम्मेलन सिर्फ द्विपक्षीय रिश्तों को नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को यह संकेत देगा कि भारत और जापान मिलकर भविष्य की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।