President Draupadi Murmu: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(1)(a) के तहत राज्यसभा के लिए चार नामित सदस्यों की घोषणा की है। यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वे राज्यसभा में ऐसे व्यक्तियों को नामित कर सकें जिन्होंने कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा या सार्वजनिक जीवन में विशेष योगदान दिया हो। इस बार जिन चार दिग्गजों को नामित किया गया है, वे अपने-अपने क्षेत्रों में एक अलग पहचान रखते हैं—कानून, विदेश नीति, शिक्षा और इतिहास जैसे विविध लेकिन अहम क्षेत्रों से ताल्लुक रखते हुए।
उज्ज्वल निकम: अदालतों में न्याय की आवाज़- President Draupadi Murmu
प्रसिद्ध सरकारी वकील उज्ज्वल देवराव निकम का नाम भारतीय न्याय व्यवस्था में एक भरोसे के रूप में जाना जाता है। वे कई हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों में अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 1993 के मुंबई सीरियल बम धमाकों, गुलशन कुमार हत्याकांड, प्रमोद महाजन मर्डर केस, और सबसे प्रमुख तौर पर 26/11 मुंबई आतंकी हमले में अजमल कसाब के खिलाफ केस लड़कर उन्होंने देशभर में ख्याति अर्जित की। कोपर्डी बलात्कार कांड जैसे मामलों में भी उनकी भूमिका निर्णायक रही। 2016 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया, जो उनके योगदान की स्वीकृति का प्रतीक है। उनकी नियुक्ति न्यायिक क्षेत्र के अनुभव को संसद में प्रतिनिधित्व देने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
सी. सदानंदन मास्टर: संघर्ष से सेवा तक का सफर
केरल से आने वाले सी. सदानंदन मास्टर एक समर्पित समाजसेवी और शिक्षाविद हैं। वे राष्ट्रीय शिक्षक संघ के केंद्रीय उपाध्यक्ष होने के साथ-साथ ‘नेशनल टीचर्स न्यूज़’ के संपादक भी हैं। साल 1994 में राजनीतिक हिंसा का शिकार बनने के कारण उन्होंने अपने दोनों पैर खो दिए, लेकिन इस हादसे ने उनके जज़्बे को नहीं तोड़ा। इसके बाद उन्होंने खुद को पूरी तरह समाजसेवा और शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित कर दिया। उनकी नियुक्ति, दिव्यांगजनों और शिक्षकों के योगदान को सम्मान देने के साथ-साथ समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने वालों को प्रतिनिधित्व देने की पहल भी है।
हर्ष वर्धन श्रिंगला: भारत की विदेश नीति के आर्किटेक्ट
पूर्व विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रिंगला भारतीय कूटनीति का एक महत्वपूर्ण चेहरा रहे हैं। 1984 बैच के IFS अधिकारी रहे श्रिंगला ने अमेरिका, बांग्लादेश और थाईलैंड में भारत के राजदूत के रूप में सेवाएं दीं। वे 2020 से 2022 तक विदेश सचिव पद पर रहे, जहां उन्होंने कोविड संकट, भारत की वैश्विक रणनीति और G-20 की अध्यक्षता जैसे अहम मोर्चों पर नेतृत्व किया। हाल में भारत की G-20 अध्यक्षता में वे मुख्य समन्वयक की भूमिका निभा चुके हैं। उनकी नियुक्ति से यह स्पष्ट है कि भारत की विदेश नीति से जुड़े अनुभव अब संसद में सीधा प्रतिनिधित्व पाएंगे।
डॉ. मीनाक्षी जैन: भारतीय इतिहास की सशक्त स्वर
इतिहास की प्रख्यात विद्वान डॉ. मीनाक्षी जैन को भी राज्यसभा में स्थान मिला है। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के गर्गी कॉलेज में इतिहास पढ़ा चुकी हैं और भारतीय संस्कृति और परंपराओं पर उनके शोध कार्य को व्यापक मान्यता मिली है। ‘सती’, ‘राम और अयोध्या’ तथा ‘फ्लाइट ऑफ डीइटीज़’ जैसी पुस्तकों के जरिए उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों को जनमानस तक पहुंचाने का कार्य किया है। 2020 में उन्हें पद्म श्री से नवाज़ा गया था। उनकी नियुक्ति भारतीय इतिहास की गहराइयों को संसद तक लाने का एक सशक्त प्रयास है।