Raipur Bhavna Nagar Dispute: रायपुर में पड़ोसी विवाद ने सांप्रदायिक रूप लिया, क्या अब हर विवाद में हिंदू-मुस्लिम जोड़ना जरूरी है?

Raipur Bhavna Nagar Dispute
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Raipur Bhavna Nagar Dispute: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के भावना नगर में एक मामूली पड़ोसी विवाद ने अचानक सांप्रदायिक मोड़ ले लिया है। दो परिवारों के बीच हुई कहासुनी और मारपीट अब हिंदू-मुस्लिम टकराव के रूप में उभर चुकी है। हालात इतने तनावपूर्ण हैं कि पुलिस को इलाके में 24 घंटे का पहरा देना पड़ रहा है। इस विवाद में बजरंग दल के कूदने के बाद मामला और भी संवेदनशील हो गया है।

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शुरुआत कैसे हुई?—घर के खाने से मच गया बवाल- Raipur Bhavna Nagar Dispute

घटना रायपुर के खम्हारडीह थाना क्षेत्र के भावना नगर की है। यहां रहने वाले संजय चौधरी का परिवार अक्सर अपने घर का बचा हुआ खाना बाहर जानवरों के लिए फेंक देता था। इसी बात का लंबे समय से राजेश तिवारी नाम के पड़ोसी विरोध कर रहे थे। 7 जुलाई की रात दोनों के बीच इस मुद्दे को लेकर कहासुनी हुई, जो जल्द ही हाथापाई में बदल गई।

हिस्ट्रीशीटर यासीन शेख की एंट्री से भड़की हिंसा

इस झगड़े में चौधरी परिवार का पड़ोसी यासीन शेख उर्फ सोनी, जो पहले से ही एक हिस्ट्रीशीटर रह चुका है, बीच में कूद पड़ा। जब हाथापाई में उसे चोट पहुंची तो उसने फोन कर अपने साथियों को बुला लिया। देखते ही देखते राजातालाब से आए 40-50 युवक राजेश तिवारी के घर पर हमला बोल बैठे। रॉड, लाठियों, कुल्हाड़ियों और चाकुओं से लैस यह भीड़ तिवारी के परिवार और उनके बेटों पर टूट पड़ी।

अस्पताल तक पहुंचा हमला, पुलिस भी बनी मूक दर्शक

घायल तिवारी परिवार को जब पुलिस इलाज के लिए अस्पताल लेकर गई, तब भी हमलावर पीछे नहीं हटे। अस्पताल पहुंचकर उन्होंने फिर से पीड़ितों पर हमला किया—पुलिस की मौजूदगी में। अस्पताल से सामने आए एक वीडियो में घायल व्यक्ति खुद को छुपाता नजर आ रहा है, जिससे घटना की गंभीरता और सुरक्षा व्यवस्था की लापरवाही उजागर होती है।

गिरफ्तारी और जांच, लेकिन मामला नहीं थमा

राजेश तिवारी की रिपोर्ट पर संजय चौधरी, यासीन शेख, और उनके साथियों इरफान सिद्दकी, अनस आतीफ और राघव अग्रवाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। इन पर जानलेवा हमला और दंगा फैलाने जैसी गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। पुलिस सीसीटीवी फुटेज के आधार पर बाकी आरोपियों की भी तलाश कर रही है।

बजरंग दल की एंट्री, तनाव और बढ़ा

घटना के तीन दिन बाद बजरंग दल के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने थाना घेराव कर दिया और यासीन शेख के घर के सामने प्रदर्शन किया। इसके बाद यासीन का परिवार घर छोड़कर शहर के किसी अन्य हिस्से में चला गया। पुलिस ने मामला अत्यधिक संवेदनशील मानते हुए FIR को सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर साझा नहीं किया और अधिकारियों को मीडिया में बोलने से रोक दिया गया।

गलती मानी, लेकिन सांप्रदायिक रंग पर निराशा

IBC24 की रिपोर्ट में यासीन के परिवार ने माना कि लोगों को बुलाकर हमला करना उनका गलत कदम था, लेकिन उन्होंने इस घटना को धार्मिक रंग देने पर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि यह पूरी तरह एक व्यक्तिगत विवाद था, न कि कोई साम्प्रदायिक साजिश।

स्थिति अब भी तनावपूर्ण

घटना के पांच दिन बाद भी पुलिस बल इलाके में तैनात है। वहीं, बजरंग दल प्रशासन को खुली चेतावनी दे चुका है कि अगर सभी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई, तो शहर में बड़ा आंदोलन होगा।

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