Rajasthan Cough Syrup: राजस्थान की ‘फ्री मेडिसिन स्कीम’ अब लोगों के लिए राहत नहीं, बल्कि खतरे का कारण बनती जा रही है। जयपुर की फार्मा कंपनी केसॉन (Kayson) द्वारा बनाए गए कफ सिरप को पीने से दो बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि कई बच्चे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। यह वही कंपनी है, जिसके खिलाफ पहले भी दर्जनों बार गंभीर लापरवाही के मामले सामने आ चुके हैं।
परेशानी की बात यह है कि केसॉन के सिरप के सैंपल पिछले दो साल में 40 बार फेल हो चुके हैं और इसे कई बार ब्लैकलिस्ट भी किया गया है। इसके बावजूद यह कंपनी सरकारी टेंडरों में वापस शामिल हो जाती है और फ्री दवाओं की सप्लाई करती है। वजह है सरकारी विभागों के साथ उसकी कथित मिलीभगत।
मौत का सिरप: कैसे शुरू हुआ मामला? Rajasthan Cough Syrup
रिपोर्ट्स के मुताबिक, केसॉन का कफ सिरप पीने के बाद दो बच्चों की मौत हुई, जबकि कई अन्य की तबीयत बिगड़ गई। शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि यह सिरप सरकार की ‘मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना’ के तहत सप्लाई किया गया था। आरएमएससीएल (Rajasthan Medical Services Corporation Limited) के ज़रिए जून 2025 में इसकी सप्लाई शुरू हुई थी।
पहले भी फेल हुई है ये दवा
ये पहली बार नहीं है जब केसॉन की दवा को लेकर सवाल उठे हैं। 2020 में भीलवाड़ा में इस कंपनी की दवा के सैंपल फेल हुए थे। इसके बाद सीकर में 4, भरतपुर में 2, अजमेर में 7, उदयपुर में 17, जयपुर और बांसवाड़ा में 2-2, और जोधपुर में 1 सैंपल फेल हुआ था।
इसके बावजूद कंपनी ने कैसे टेंडर हासिल किया, इस पर अब कई सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जब एक लैब से दवा फेल घोषित होती है, तो कंपनी दूसरी प्राइवेट लैब से उसे पास करवा लेती है और फिर सरकारी अफसरों की मिलीभगत से टेंडर हासिल कर लेती है।
फ्री दवा योजना का हाल
आपको बता दें, 2011 में शुरू हुई ‘मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना’ का मकसद था लोगों को सस्ती और सुरक्षित दवाएं मुहैया कराना। लेकिन पिछले कुछ सालों में इसके तहत सप्लाई होने वाली दवाएं खुद खतरा बनती जा रही हैं।
- 1 जनवरी 2019 से अब तक 915 सैंपल फेल हो चुके हैं।
- सिर्फ 2024 में 101 सैंपल, और 2025 में अब तक 81 सैंपल फेल हुए हैं।
- कोरोना काल में सबसे ज़्यादा दवाएं खराब पाई गई थीं।
सरकार ने अब उठाए कदम
मामला तूल पकड़ने के बाद अब सरकार हरकत में आई है। आरएमएससीएल ने सिरप के सभी बैचों की सप्लाई पर रोक लगा दी है। आरएमएससीएल के कार्यकारी निदेशक जयसिंह ने बताया कि दो बैच की जांच कराई जा रही है और बाकी 19 बैच भी होल्ड पर हैं। स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ ने कहा है कि संबंधित दवाओं के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं और रिपोर्ट आने पर सख्त कार्रवाई होगी।
सवाल उठ रहे हैं…
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस कंपनी का रिकॉर्ड पहले से ही दागदार है, उसे बार-बार टेंडर कैसे मिल रहे हैं? क्या सरकारी दवा योजना में लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से मासूम बच्चों की जान जा रही है? सरकार के लिए यह वक्त आत्ममंथन का है। लोगों को फ्री दवा देना अच्छी बात है, लेकिन अगर वो दवा ज़िंदगी की जगह मौत दे, तो ऐसी स्कीम पर दोबारा सोचने की ज़रूरत है। फिलहाल पूरे राज्य में इस मुद्दे को लेकर लोगों में गुस्सा है।