RO ARO PAPER LEAK: उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों ने उड़ाई नए कानून की धज़्ज़िया

0
5
RO ARO paper leaked, Uttar Pradesh employees violated the paper leak law
Source: Google

पिछले काफी समय से देश में पेपर लीक के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिसकी वजह से बेरोजगारी भी बढ़ रही है। राजस्थान से लेकर यूपी तक हर साल पेपर लीक को लेकर कोई न कोई घटना होती ही रहती है। हालांकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि सरकार इन मामलों से निपटने के लिए काम नहीं कर रही है। सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है लेकिन लगता है कि उनकी कोशिशें भी नाकाम हो रही हैं। दरअसल, पेपर लीक से निपटने के लिए यूपी में कानून बनाया गया था लेकिन दुर्भाग्य से कर्मचारियों ने नए कानून की धज्जियां उड़ा दीं। आइए आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है।

और पढ़ें: अब रील मेकर्स को भी मिलेगी नई पहचान, सरकार नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड से करेगी सम्मानित 

पेपर लीक कानून की उड़ी धज़्ज़िया 

इसी साल 6 फरवरी को लोकसभा में पेपर लीक बिल पास हुआ था, जिसमें पेपर लीक मामले में संलिप्त पाए जाने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन इस कानून को लागू हुए 10 दिन भी नहीं बीते हैं, उत्तर प्रदेश में कर्मचारियों ने इसकी धज्जियां उड़ा दीं. मिली जानकारी के मुताबिक 11 फरवरी 2024 को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की ओर से पूरे प्रदेश में समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी आदि (प्रारंभिक) परीक्षा 2023 का आयोजन किया गया था, जो 58 जिलों में बनाए गए 2387 परीक्षा केंद्रों पर कराई गई थी। हालांकि, परीक्षा (UPPSC RO/ARO Exam 2023) में सिर्फ 64 फीसदी अभ्यर्थी ही शामिल हुए।

जिसके बाद अभ्यर्थियों ने प्रदेश भर में आयोजित सहायक समीक्षा अधिकारी और समीक्षा अधिकारी परीक्षा (RO ARO PAPER LEAK) में पेपर लीक होने का दावा किया था, जिसके चलते कई जगहों पर अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था। अभ्यर्थियों का दबाव बढ़ने पर प्रशासन ने कहा कि अभ्यर्थियों के दावों की जांच आयोग करेगा। अभ्यर्थियों द्वारा की गई पेपर लीक की शिकायत की जांच UPSTF भी करेगी। साथ ही आयोग ने एसटीएफ से जांच कराने के लिए शासन को पत्र लिखा है।

बढ़ते जा रहे पेपर लीक के मामले

अगर पेपर लीक के मामले पर गौर करें तो पिछले पांच सालों में 16 राज्यों में पेपर लीक की कम से कम 48 घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया बाधित हुई है। इससे करीब 1.2 लाख पदों पर भर्ती के लिए कम से कम 1.51 करोड़ आवेदकों का जीवन प्रभावित हुआ है। साथ ही बेरोजगारी की संख्या भी बढ़ रही है क्योंकि भारत में ज्यादातर युवा अपना भविष्य संवारने के लिए सरकारी नौकरियों पर ही निर्भर हैं। ऐसे में अगर पेपर लीक के मामलों पर लगाम नहीं लगाई गई तो उन लाखों छात्रों के साथ ये अन्याय होगा जो दिन-रात एक कर पढ़ाई करते हैं और सपना देखते रहते हैं कि वह सरकारी नौकरी लगकर परिवार की गरीबी मिटा देंगे।

और पढ़ें: ED क्या है और कैसे करता है काम, जानें सैलरी और योग्यता समेत पूरी जानकारी 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here