Who is Rohini Ghavari: इंदौर की डॉक्टर रोहिणी घावरी एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह कुछ अलग है। नगीना के सांसद और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद पर उन्होंने रिलेशनशिप में शोषण और धोखा देने के आरोप लगाए हैं। ये आरोप पहले भी सामने आए थे, लेकिन दबा दिए गए थे। अब रोहिणी ने इस मामले को कोर्ट तक ले जाने का फैसला किया है, वहीं चंद्रशेखर आजाद ने इन आरोपों का जवाब कोर्ट में देने का स्टैंड लिया है। इस बीच, रोहिणी घावरी के जीवन और संघर्ष की कहानी भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है।
रोहिणी घावरी का संघर्षमय जीवन- Who is Rohini Ghavari
रोहिणी घावरी का जन्म इंदौर के एक वाल्मीकि परिवार में हुआ था। उनकी मां सफाई कर्मचारी हैं और उनके पिता एक साधारण व्यक्ति थे। गरीब परिवार से निकलकर रोहिणी ने अपनी मेहनत और लगन से शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त की। उन्होंने इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से विदेश व्यापार प्रबंधन में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की, इसके बाद बीबीए करने के बाद, उन्होंने मार्केटिंग में एमबीए किया।
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— Dr. Rohini Ghavari ( रोहिणी ) (@DrRohinighavari) March 16, 2024
लेकिन उनकी यात्रा यहीं नहीं रुकी। रोहिणी को स्विट्ज़रलैंड के प्रसिद्ध स्विस स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट से पीएचडी करने का अवसर मिला, और इसके लिए उन्हें भारत सरकार से एक करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति भी मिली। इस छात्रवृत्ति के तहत, उन्हें विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला, जो सिर्फ कुछ विशेष मेधावी छात्रों को ही मिलता है।
उच्च शिक्षा और डॉक्टरेट
स्विस स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट से पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने के बाद, रोहिणी घावरी ने ‘डॉक्टर घावरी’ के तौर पर अपना नाम बनाया। जेनेवा में रहते हुए, उन्होंने भारत में बहुजन समाज के बीच जागरूकता अभियान चलाने के लिए एक फाउंडेशन की स्थापना की। इसके अलावा, वे सोशल मीडिया पर दलित और बहुजन मुद्दों पर लिखती हैं और अपनी आवाज उठाती हैं।
वैचारिक रूप से रोहिणी आंबेडकरवादी राजनीति से जुड़ी हुई हैं, लेकिन कई मामलों में वे राष्ट्रवादी दृष्टिकोण का समर्थन भी करती हैं। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने भारत की जातीय चुनौतियों को चुनौती दी और बताया कि भारत का संविधान इतना मजबूत है कि एक आदिवासी और पिछड़ा व्यक्ति देश के सर्वोच्च पदों तक पहुंच सकता है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोहिणी घावरी की उपस्थिति
रोहिणी घावरी को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के कार्यक्रमों में बोलने का अवसर भी मिला है। 2024 में एक कार्यक्रम में उन्होंने “जय श्रीराम” से भाषण की शुरुआत की, जिससे उनकी काफी चर्चा हुई। इसके अलावा, 2023 में, उन्होंने भारत में आदिवासी राष्ट्रपति और ओबीसी प्रधानमंत्री की स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के संविधान ने ये सुनिश्चित किया है कि कोई भी व्यक्ति अपनी मेहनत और योग्यता के आधार पर ऊंचे पदों तक पहुंच सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ अंतरराष्ट्रीय एनजीओ भारत के बारे में गलत धारणाएं बनाते हैं, जबकि देश में जातीय समस्याओं के बावजूद कई सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं।
परिवार और संघर्ष
रोहिणी के परिवार में उनके माता-पिता, दो बहनें और एक भाई हैं। उनकी एक बहन मेडिकल अफसर हैं, दूसरी कानून की पढ़ाई कर रही हैं, और भाई इंजीनियरिंग में शिक्षा ले रहा है। रोहिणी ने बताया कि स्कॉलरशिप मिलने के बावजूद उन्हें जेनेवा में रहने के लिए पार्ट-टाइम नौकरी करनी पड़ी, क्योंकि छात्रवृत्ति के पैसे से वहां का खर्च नहीं चल सकता था। उनकी मां ने चार बच्चों की शिक्षा के लिए अपने जेवर तक बेच दिए थे। अब रोहिणी को यह सुकून है कि वह अपनी मां के लिए कुछ जेवर बनवा पा रही हैं।
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