Shubhanshu returns to Earth: भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में मंगलवार दोपहर एक गौरवपूर्ण क्षण जुड़ गया, जब भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला सफलतापूर्वक अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर धरती पर लौटे। वे स्पेसएक्स के “ग्रेस” यान के जरिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से 18 दिनों की ऐतिहासिक यात्रा के बाद भारतीय समयानुसार दोपहर 3:00 बजे कैलिफोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में सुरक्षित लैंड कर गए।
यह मिशन एक्सिओम स्पेस के Ax-4 अभियान का हिस्सा था, जिसमें शुभांशु भारत के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हुए। उनके साथ इस क्रू में अमेरिकी कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोश उज़नांस्की-विस्निव्स्की और हंगरी के टिबोर कपु भी थे।
वैज्ञानिक उपलब्धियों से भरी रही यात्रा- Shubhanshu returns to Earth
25 जून को शुभांशु फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च होकर 26 जून को ISS से जुड़े थे। अपने 18 दिन के प्रवास के दौरान उन्होंने 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया। इनमें मांसपेशियों के क्षय को रोकने, अंतरिक्ष में मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने और जीरो ग्रेविटी में फसल उगाने जैसे महत्वपूर्ण शोध शामिल थे। यह प्रयोग भविष्य में दीर्घकालिक अंतरिक्ष यात्राओं और चंद्र-मार्स मिशनों में सहायक सिद्ध होंगे।
रोमांचक वापसी की कहानी
14 जुलाई को शाम 4:45 बजे (IST) ग्रेस यान ने ISS से अलग होकर पृथ्वी की ओर वापसी शुरू की। यह प्रक्रिया कई चरणों में पूरी हुई:
डीऑर्बिट बर्न: यान ने कक्षा से बाहर निकलने के लिए इंजन का उपयोग किया और रफ्तार घटाई।
वायुमंडलीय प्रवेश: लगभग 27,000 किमी/घंटा की रफ्तार से यान जब पृथ्वी के वातावरण में दाखिल हुआ, तो बाहरी तापमान 1,600°C तक पहुंच गया, जिसे विशेष हीट शील्ड ने सहा।
पैराशूट खुलना: पृथ्वी की सतह से पहले पैराशूट ने गति को धीमा किया।
स्प्लैशडाउन: अंततः यान ने दोपहर 3:00 बजे IST पर प्रशांत महासागर में सुरक्षित लैंडिंग की।
लैंडिंग के दौरान एक जोरदार सोनिक बूम भी सुनाई दिया। कुछ समय के लिए संचार बाधित हुआ, क्योंकि प्लाज्मा परत ने सिग्नल ब्लॉक कर दिए। फिर भी, रिकवरी टीमों ने नावों और हेलीकॉप्टरों के जरिए तुरंत चारों अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला।
भारत का तिरंगा और बेटे का खिलौना साथ लाए
ग्रेस यान ISS से लौटते वक्त 263 किलोग्राम (लगभग 580 पाउंड) वजन के वैज्ञानिक उपकरण, प्रयोगों का डेटा, नासा का हार्डवेयर और अंतरिक्ष स्टेशन से कुछ अपशिष्ट सामग्री लेकर आया। ये सामग्री पृथ्वी पर वैज्ञानिक अध्ययन के लिए इस्तेमाल की जाएगी। शुभांशु ने खास तौर पर भारत का तिरंगा और अपने बेटे का प्रिय खिलौना “हंस जॉय” को अपने साथ रखा था, जो भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक बना।
अब पुनर्वास और अगला कदम
वापसी के बाद सभी क्रू सदस्यों को स्वास्थ्य जांच के लिए भेजा गया है। आने वाले 10 दिन शुभांशु सहित सभी अंतरिक्ष यात्रियों को पृथकवास में बिताने होंगे, ताकि उनका शरीर दोबारा पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल हो सके। इस दौरान विशेषज्ञ उनकी सेहत की निगरानी करेंगे।
प्रेरणा बनेगा यह मिशन
यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक प्रेरणादायक उपलब्धि है। गगनयान जैसे स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशनों की दिशा में यह एक मजबूत कदम माना जा रहा है। शुभांशु शुक्ला ने कहा, “अंतरिक्ष में भारत का झंडा लहराना मेरे जीवन का सबसे गर्वपूर्ण क्षण था। अब हम नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ेंगे।”
शुभांशु की यह यात्रा न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बल्कि भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं के वैश्विक मंच पर बढ़ते प्रभाव का भी प्रतीक है।