Sonam Wangchuk Arrest: लद्दाख में हाल ही में भड़की हिंसा के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। पुलिस महानिदेशक (DGP) एस.डी. सिंह जम्वाल ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पर्यावरण कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। DGP का दावा है कि वांगचुक का संपर्क पाकिस्तानी खुफिया एजेंट से था, जो उनकी गतिविधियों की जानकारी सीमा पार भेज रहा था।
वांगचुक के वीडियो पाकिस्तान भेजे जा रहे थे- Sonam Wangchuk Arrest
लेह में मीडिया से बात करते हुए डीजीपी जम्वाल ने बताया कि पुलिस ने एक पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव (PIO) को गिरफ्तार किया है जो वांगचुक के संपर्क में था। यह शख्स लद्दाख में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के वीडियो पाकिस्तान भेज रहा था। DGP ने दावा किया कि उनके पास इस बात के सबूत हैं और वीडियो भेजने की रिकॉर्डिंग भी मौजूद है।
हिंसा में चार की मौत, वांगचुक बताए गए मुख्य आरोपी
पुलिस के मुताबिक, बुधवार को हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हुई और कई घायल हो गए। DGP ने साफ शब्दों में कहा कि इस हिंसा के पीछे मुख्य भूमिका सोनम वांगचुक की थी। इसी के चलते उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया और राजस्थान के जोधपुर की जेल भेजा गया है।
हालांकि, पुलिस ने अभी तक पूरी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है। जम्वाल ने कहा, “जांच जारी है, और कई चीज़ें अभी उजागर नहीं की जा सकतीं। लेकिन वांगचुक के भाषणों और विचारों से यह साफ झलकता है कि उनका अपना एक एजेंडा है।” उन्होंने आगे कहा कि वांगचुक ने अपने भाषणों में अरब स्प्रिंग, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे आंदोलनों का जिक्र किया, जो लोगों को भड़काने की दिशा में इस्तेमाल किया गया।
विदेशी फंडिंग और FCRA उल्लंघन की जांच
वांगचुक पर विदेशी फंडिंग और एफसीआरए (FCRA) कानून के उल्लंघन की जांच भी चल रही है। डीजीपी ने बताया कि उनकी कुछ विदेश यात्राएं संदेह के घेरे में हैं। खासतौर पर पाकिस्तान के डॉन मीडिया ग्रुप के एक कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी और बांग्लादेश यात्रा पर सवाल उठाए गए हैं।
आंदोलन को हाईजैक करने का आरोप
सोनम वांगचुक लद्दाख में चल रहे उस आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे हैं जिसमें राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग की जा रही है। लेकिन पुलिस का आरोप है कि उन्होंने आंदोलन को अपने तरीके से मोड़ने की कोशिश की और केंद्र व लद्दाख के नेताओं के बीच हो रही बातचीत को विफल करने का प्रयास किया।
डीजीपी ने बताया कि 25 सितंबर को सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच एक अनौपचारिक बैठक होनी थी, लेकिन वांगचुक ने उस वक्त भी भूख हड़ताल जारी रखी, जो इस प्रयास को कमजोर करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
नेपालियों की भी संलिप्तता, 50 लोग हिरासत में
उपराज्यपाल की ओर से हिंसा में विदेशी साजिश की आशंका पर DGP जम्वाल ने कहा कि तीन नेपाली नागरिक गोली लगने से घायल हुए हैं और कुछ अन्य बाहरी लोगों की भूमिका भी जांच में सामने आ रही है। अब तक कुल 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें से करीब 6 को मुख्य साजिशकर्ता माना जा रहा है।
जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी
फिलहाल पुलिस और खुफिया एजेंसियां वांगचुक और उनके संपर्कों की पूरी जांच कर रही हैं। वांगचुक पर लगे आरोप काफी गंभीर हैं और अगर इनकी पुष्टि होती है, तो लद्दाख का आंदोलन एक अलग ही दिशा ले सकता है। अब सबकी नजरें इस जांच के नतीजों पर टिकी हैं, जो आने वाले हफ्तों में तस्वीर साफ कर सकते हैं।
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