Sonbhadra News: सोनभद्र के ओबरा क्षेत्र की बिल्ली-मारकुंडी खदान में 15 नवंबर को हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे जिले को हिला कर रख दिया था। श्री कृष्णा माइनिंग वर्क्स में अचानक पहाड़ी का बड़ा हिस्सा धंस गया जिसमें सात मजदूर मलबे के नीचे दब गए। करीब 70 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सभी के शव बाहर निकाले जा सके। इस घटना ने न सिर्फ खदान प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए, बल्कि सुरक्षा मानकों और सिस्टम की बड़ी लापरवाही को भी उजागर कर दिया।
शुरुआती FIR से SIT तक (Sonbhadra News)
हादसे में मारे गए एक मजदूर के भाई की तहरीर पर खदान पट्टेदार मधुसूदन सिंह और दिलीप केसरी के खिलाफ गैर इरादन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा ने पहले तीन टीमों को जांच सौंपी, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए अब ओबरा सीओ हर्ष पांडेय के नेतृत्व में एक पांच सदस्यीय एसआईटी गठित की गई। इस एसआईटी में एक इंस्पेक्टर, दो एसआई और अन्य सदस्य शामिल हैं। टीम को रोजाना की प्रगति रिपोर्ट सीधे एसपी को सौंपनी होगी।
SIT की पहली बड़ी कार्रवाई, चार गिरफ्तार
एसआईटी ने गठन के अगले ही दिन बड़ी सफलता हासिल करते हुए दो माइंस मैनेजर और दो स्टाफ कर्मियों सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में अनिल कुमार झा, अजय कुमार, गौरव सिंह और चंद्रशेखर सिंह शामिल हैं। पुलिस की मानें तो इन सभी की नियुक्ति DGM(S) यानी डायरेक्टरेट जनरल माइंस सेफ्टी के नियमों के तहत की गई थी।
माइन मैनेजमेंट की यह जिम्मेदारी थी कि खदान में सुरक्षा मानकों का पालन हो, लेकिन पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि खदान से जुड़ी सुरक्षा रिपोर्ट DGMS को नहीं भेजी गई, मजदूरों को काम से रोकने के बावजूद उनसे जबरन काम करवाया गया। इसके अलावा, ड्रिलिंग का काम बिना सुरक्षा निर्देशों के चलाया जा रहा था और खतरे की जानकारी होने के बावजूद कोई सतर्कता नहीं बरती गई।
एसपी ने साफ कहा है कि अब तक की जांच में खनन में गंभीर लापरवाही और नियम विरुद्ध संचालन सामने आ चुका है। ठेकेदार और मालिक की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है और उन्हें भी जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।
जमीन से 100 फीट नीचे चला था रेस्क्यू अभियान
हादसा इतना बड़ा था कि मलबा हटाने में कई मशीनों और विशेषज्ञ टीमों की मदद लेनी पड़ी। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को भी मौके पर बुलाया गया। खदान का अंदरूनी हिस्सा बेहद खतरनाक था, जिसके बावजूद बचावकर्मियों ने घंटों की कोशिश के बाद मजदूरों के शव बरामद किए। स्थानीय लोगों और परिजनों का कहना है कि अगर खदान में सुरक्षा मानकों का पालन हुआ होता, तो शायद यह त्रासदी टाली जा सकती थी।
मालिक व पट्टेदार अब भी फरार
एसपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि जांच में खदान के मालिक और पट्टेदार की भूमिका बेहद अहम है। दोनों नामजद आरोपी अब भी फरार चल रहे हैं। उनके खिलाफ लगातार दबिश दी जा रही है। एसपी ने कहा, “जो भी इस घटना के लिए जिम्मेदार है, वह चाहे मालिक हो, मैनेजर हो या कोई ठेकेदारकिसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।”
जिले में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं और कार्रवाई का दायरा काफी बढ़ सकता है। यह मामला खनन माफिया और प्रशासनिक लापरवाही के गठजोड़ को उजागर करने वाला साबित हो सकता है।
