Stray Dogs SC Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देशभर में आवारा कुत्तों को लेकर एक अहम आदेश पारित किया है। तीन जजों की बेंच ने पुराने आदेश में बदलाव करते हुए स्पष्ट किया है कि अब आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में नहीं रखा जाएगा। कोर्ट ने कहा कि इन कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद उसी इलाके में वापस छोड़ा जाएगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। साथ ही कोर्ट ने पब्लिक प्लेसेज पर कुत्तों को खाना खिलाने पर भी रोक लगा दी है।
देशभर में लागू होगा आदेश- Stray Dogs SC Verdict
कोर्ट ने यह फैसला केवल किसी एक राज्य या शहर के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए लागू किया है। कोर्ट ने कहा कि यह एक अंतरिम आदेश है, जिसे देशभर के सभी राज्यों को लागू करना होगा। साथ ही इस मामले से जुड़े सभी हाईकोर्ट्स के केस अब सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किए जाएंगे।
रेबीज व आक्रामक कुत्तों को नहीं छोड़ा जाएगा
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन कुत्तों में रेबीज के लक्षण होंगे या जो अत्यधिक आक्रामक होंगे, उन्हें उनके इलाके में नहीं छोड़ा जाएगा। ऐसे मामलों में स्थानीय प्रशासन को विशेष कदम उठाने होंगे।
नसबंदी और टीकाकरण के बाद ही छोड़ने की अनुमति
कोर्ट ने साफ किया कि सभी आवारा कुत्तों को पहले पकड़कर उनकी नसबंदी और वैक्सीनेशन कराया जाएगा। इसके बाद उन्हें वहीं वापस छोड़ा जाएगा, जहां से वे पकड़े गए थे। इस प्रक्रिया को रोकने की इजाजत किसी को नहीं होगी। अगर कोई इसमें बाधा डालता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सार्वजनिक स्थानों पर फीडिंग पर रोक
कोर्ट ने एक और अहम बात कहते हुए निर्देश दिया कि अब किसी को भी सार्वजनिक स्थलों जैसे पार्क, सड़कों या मोहल्लों में कुत्तों को खाना खिलाने की अनुमति नहीं होगी। खासतौर पर दिल्ली-एनसीआर के संदर्भ में कोर्ट ने एमसीडी को निर्देश दिया है कि वह फीडिंग के लिए निर्धारित स्थान बनाए।
पक्षकार बनने के लिए शुल्क अनिवार्य
कोर्ट ने यह भी तय किया है कि जो व्यक्ति या गैर-सरकारी संगठन इस मामले में पक्षकार बनना चाहते हैं, उन्हें कोर्ट की कार्यवाही में भाग लेने के लिए शुल्क देना होगा। किसी व्यक्ति को ₹25,000 और किसी एनजीओ को ₹2 लाख रुपये देने होंगे। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इससे गैर-जरूरी याचिकाओं की भीड़ से बचा जा सकेगा।
पहले के आदेश के खिलाफ दर्ज हुई थीं याचिकाएं
गौरतलब है कि 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखा जाए। इसके विरोध में डॉग लवर्स ने याचिकाएं दाखिल की थीं और दिल्ली के इंडिया गेट पर कैंडल मार्च भी निकाला था। इसके बाद कोर्ट ने तीन जजों की एक नई बेंच बनाकर इस मामले की दोबारा सुनवाई की और नया आदेश पारित किया।
समाज में संतुलन बनाने की कोशिश
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को एक संतुलित प्रयास माना जा रहा है, जिसमें दोनों पक्षों कुत्तों से परेशान आम जनता और डॉग लवर्स की बातों को ध्यान में रखा गया है। अब देशभर में एक समान नीति लागू होगी, जिससे इस संवेदनशील मुद्दे पर कोर्ट नहीं, समाज में समाधान निकलेगा।