Success Story: बिहार के रॉकी की कहानी: नौकरी छोड़ी, दिल्ली में चाय का ठेला लगाया, अब हर दिन कमाते हैं 20-25 हजार रुपये

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Success Story: “सपने बड़े हों तो रास्ते खुद बन जाते हैं” — ये बात बिहार के मधुबनी जिले के रॉकी ने सच कर दिखाई है। एक वक्त था जब उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी नहीं की और मामूली नौकरी से गुज़ारा चलाने की कोशिश की, लेकिन आज वही रॉकी दिल्ली के कनॉट प्लेस में चाय का ठेला लगाकर हर दिन हजारों रुपये कमा रहे हैं। उनकी कहानी सिर्फ एक बिजनेस शुरू करने की नहीं, बल्कि हालात से लड़ने और कुछ अलग करने की जिद की कहानी है

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अधूरी पढ़ाई, अधूरी नौकरी… लेकिन सपने पूरे- Success Story

रॉकी ने ग्रेजुएशन का आखिरी साल भी पूरा नहीं किया। उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ जिंदगी की सच्चाई ने जल्दी ही जकड़ लिया। तभी उन्होंने एक दोस्त के साथ दिल्ली आने का फैसला किया। कुछ वक्त उन्होंने बीकानेर में नौकरी की, जहां सैलरी 12 से 15 हजार रुपये महीने थी। लेकिन जल्दी ही उन्हें अहसास हो गया कि ये रास्ता उन्हें उनकी मंज़िल तक नहीं ले जाएगा।

उन्हें लगा कि इस कम सैलरी से वो अपने और अपने परिवार के सपने पूरे नहीं कर पाएंगे। तभी उन्होंने अपने चाचा से सलाह-मशविरा किया और खुद का कुछ करने की ठान ली।

कनॉट प्लेस में “रॉकी की चाय”

साल 2020 में जब लोग कोविड और लॉकडाउन के डर से अपने घरों में थे, उस वक्त रॉकी ने कुछ नया करने की ठानी। उन्होंने दिल्ली के कनॉट प्लेस के बाबा खरक सिंह मार्ग पर “रॉकी की चाय” नाम से अपना ठेला शुरू किया। शुरुआत आसान नहीं थी भीड़भाड़ वाले इलाके में ठेला लगाना, ग्राहकों को समझाना और दिनभर खड़े रहना… लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

धीरे-धीरे उनके स्वाद और मेहनत ने रंग दिखाना शुरू किया। आज उनके ठेले पर चाय, कॉफी, ब्लैक कॉफी, लेमन टी, कुल्हड़ चाय से लेकर मैगी तक मिलती है। सुबह 10 बजे से लेकर रात 10 बजे तक उनका ठेला चलता है, और अच्छे दिनों में वो 20 से 25 हजार रुपये की कमाई कर लेते हैं।

कुल्हड़ चाय बनी पहचान

रॉकी बताते हैं कि वे हर दिन 100 से 150 कप चाय बेचते हैं। उनका कहना है कि 20 रुपये की कुल्हड़ चाय उनके ग्राहकों को बेहद पसंद आती है और कोई भी पीकर निराश नहीं जाता। उनका मानना है कि चाय सिर्फ एक ड्रिंक नहीं, बल्कि लोगों को जोड़ने का ज़रिया है।

गर्मी के मौसम में काम थोड़ा धीमा हो जाता है, लेकिन सर्दियों और बारिश के मौसम में उनके स्टॉल पर भीड़ लगी रहती है।

नौकरी छोड़ने पर कोई पछतावा नहीं

जब रॉकी से पूछा गया कि क्या उन्हें पढ़ाई या नौकरी छोड़ने का पछतावा है, तो उनका जवाब सीधा और साफ था –

“नौकरी में पूरी जिंदगी किसी और के सपने पूरे करने में निकल जाती है। लेकिन बिजनेस से न सिर्फ अपना, बल्कि अगली पीढ़ी का भी भविष्य सुधारा जा सकता है।”

रॉकी मानते हैं कि नौकरी या बिजनेस – जो भी करें, उसमें ईमानदारी और मेहनत सबसे ज़रूरी है। उनका यह भी कहना है कि अगर आप अपने काम को लेकर जुनूनी हैं, तो रास्ते खुद बनते चले जाते हैं।

युवाओं के लिए एक प्रेरणा

आज रॉकी की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो छोटी सी सैलरी से परेशान हैं या सोचते हैं कि बिना डिग्री के कुछ नहीं हो सकता। रॉकी ने दिखाया कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्ची हो, तो कुल्हड़ की चाय भी ज़िंदगी बदल सकती है।

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