वैक्सीनेशन पॉलिसी को लेकर घिरीं केंद्र सरकार, विपक्ष के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उठाए सवाल, कहा- हम मूकदर्शक नहीं बन सकते

वैक्सीनेशन पॉलिसी को लेकर घिरीं केंद्र सरकार, विपक्ष के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उठाए सवाल, कहा- हम मूकदर्शक नहीं बन सकते

कोरोना की दूसरी लहर का कहर भले ही कम होने लगा हो, लेकिन देश पर थर्ड वेव का भी खतरा लगातार मंडरा रहा है। इस बीच देश में जो वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है, वो लगातार सवालों के घेरे में बना हुआ है। दिल्ली समेत कई राज्यों में वैक्सीन की भारी कमी है, जिसकी वजह से वैक्सीनेशन अभियान की रफ्तार काफी धीमी पड़ी हुई है। 

सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र को फटकारा

वैक्सीनेशन को लेकर विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार पर हमलावर हैं ही। इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र की वैक्सीनेशन पॉलिसी पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने टीकाकरण अभियान को लेकर कड़ा रुख अख्तियार किया और सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि 18-44 एज ग्रुप की मौजूदा वैक्सीन नीति ‘मनमानी और तर्कहीन’ है। 

यही नहीं कोर्ट ने केंद्र से ये भी पूछा कि आम बजट में जो वैक्सीनेशन के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का ऐलान किया, उसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा? 

कोर्ट ने सरकार से मांगा पूरा हिसाब-किताब

इसके अलावा वैक्सीनेशन में देरी पर कोर्ट ने कहा कि जब देश के लोगों के अधिकार संकट में हो, तब अदालत मूकदर्शक नहीं बनकर रह सकता। इसके बाद कोर्ट ने केंद्र से वैक्सीन नीति का पूरा लेखा-जोखा मांगा। जिसके बाद केंद्र को कोर्ट को ये जानकारी देनी होगी कि उसने कब कब वैक्सीन खरीदी? देशभर में वैक्सीनेशन को लेकर सरकार का पूरा प्लान क्या है? कोर्ट ने सरकार को इसका जवाब देने के लिए दो हफ्तों का वक्त दिया। 

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पर भी मांगा जवाब

वहीं कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर फिलहाल ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और स्लॉट बुकिंग हो रही, जिसको लेकर भी कोर्ट ने सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि जो लोग डिजिटल समझ रखते हैं, उनको ही कोविन ऐप पर स्लॉट लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट ने कहा कि देश में एक बड़ा ग्रामीण तबका ऐसा भी है, जिसकी पहुंच इंटेरनेट तक नहीं। ऐसे में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे होगा और टीका कैसे लगेगा? SC ने कहा कि केंद्र को अपनी नीति में बदलाव करना चाहिए और लोगों की परेशानियों को ध्यान में रखकर इसे बनना चाहिए। 

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