Tension Between India-Pakistan:भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता हुआ तनाव अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुका है। भारत ने हाल ही में पाकिस्तान की हवाई सीमा को प्रतिबंधित कर दिया है, जिसके बाद पाकिस्तान को नई चुनौती का सामना करना पड़ा है। इस कदम से पाकिस्तान की सुरक्षा चिंताओं और आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ा है। इसी बीच, पाकिस्तान ने मई महीने के लिए कराची और लाहौर वायु क्षेत्र को सीमित समय के लिए बंद करने की घोषणा की है, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में और अधिक तनाव देखा जा रहा है।
पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र बंद करने का फैसला- Tension Between India-Pakistan
पाकिस्तान ने घोषणा की है कि मई 1 से 31 तक, कराची और लाहौर का वायु क्षेत्र हर दिन सुबह 4:00 बजे से 8:00 बजे तक बंद रहेगा। यह निर्णय भारतीय हवाई सीमा पर लगाए गए प्रतिबंधों के जवाब में लिया गया है, जिसने पाकिस्तान के लिए नए संकट पैदा किए हैं। पाकिस्तान का यह कदम अब उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक और सुरक्षा मुद्दों का सामना करवा सकता है। पाकिस्तान के नागरिक और व्यापार भी इन प्रतिबंधों से प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि यह कदम उनके वैश्विक संपर्कों को सीमित कर सकता है।
वाघा-अटारी बॉर्डर का बंद रहना
इसी बीच, एक और घटना ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। पाकिस्तान ने गुरुवार को वाघा-अटारी बॉर्डर को नहीं खोला, जिससे भारत से वापस भेजे गए पाकिस्तानी नागरिक वहीं फंसे हुए हैं। यह नागरिक भयंकर गर्मी में सड़कों पर रहने को मजबूर हैं, जबकि पाकिस्तान की ओर से कोई राहत नहीं दी गई। इस घटना ने पाकिस्तान की असमर्थता और उसके कड़े कदमों को और साफ कर दिया है।
चीन का समर्थन: पाकिस्तान के लिए स्थिरता का संदेश
इन घटनाओं के बीच, चीन ने एक बार फिर पाकिस्तान के समर्थन का ऐलान किया है। चीन के राजदूत जियांग जैदोंग ने पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की और उन्हें आश्वस्त किया कि चीन दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए पाकिस्तान के साथ खड़ा रहेगा। इस मुलाकात से यह साबित होता है कि चीन, जो पाकिस्तान के प्रमुख आर्थिक और सैन्य सहयोगी के रूप में उभरा है, भारत के खिलाफ पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा: पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती
चीन के भारी निवेश के चलते, पाकिस्तान के लिए यह आर्थिक और सैन्य सहयोग अहम बन चुका है। पाकिस्तान के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री नजम सेठी ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा था कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होता है, तो चीन इस युद्ध में दखल दे सकता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से चीन का नाम लिया और कहा कि चीन पाकिस्तान को भारत के हमले से बचाने के लिए सैन्य और आर्थिक मदद दे सकता है।
चीन का 62 अरब डॉलर का चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। इस गलियारे के तहत कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है, जिनमें से कुछ पहले ही पूरे हो चुके हैं और कुछ अधूरे पड़े हैं, खासकर बलूचिस्तान में। यदि स्थिति खराब होती है, तो चीन इस गलियारे को बचाने के लिए पाकिस्तान की मदद कर सकता है।
भारत के खिलाफ पाकिस्तान का तगड़ा रुख
भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में और तनाव तब आया जब भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कदम उठाते हुए सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया। पाकिस्तान इसे भारत द्वारा छेड़े गए युद्ध के रूप में देख रहा है और इससे उसकी चिंता और बढ़ गई है। पाकिस्तान के मंत्री और सांसद लगातार भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं, और उनके रक्षा मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि भारत कभी भी पाकिस्तान पर सैन्य हमला कर सकता है।
चीन: पाकिस्तान का भरोसेमंद साझीदार
इस बीच, चीन ने हमेशा पाकिस्तान का सहयोग किया है। पाकिस्तान के लिए चीन एक मजबूत साझीदार साबित हो रहा है, जो न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि सैन्य दृष्टिकोण से भी पाकिस्तान की मदद कर सकता है। चीन का समर्थन पाकिस्तान के लिए एक सुरक्षा कवच बन सकता है, जिससे वह भारतीय सैन्य दबाव का मुकाबला कर सके।