Mitesh Khapra Success story: हर साल वर्ल्ड फेमस अमेरिकी मैग्जीन टाइम (Time Magazine) मैग्जीन दुनिया के 100 सबसे ज्यादा प्रतिभाशाली(100 most influential people) लोगों की लिस्ट निकालती है। इन मैगजीन में राजनीति, कला, तकनीक के साथ साथ अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोगों को भी शामिल किया जाता है। टाइम मैग्जीन ने साल 2025 के लिए भी टॉप 100 सबसे प्रतिभाशाली व्यक्ति की लिस्ट जारी की है। जिसमे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump), बिजनेसमैन एलन मस्क(Elon musk), सैम ऑल्टमैन(Sam Altman), बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनिस(mohammad yunis) इस सभी को जगह दी गई। लेकिन उन नामों में सबसे ज्यादा जो जाम हैरान करता है वो है भारत के मितेश खपरा( Who is mitesh khapra)।
मितेश खपरा एक प्रतिभाशाली व्यक्ति है लेकिन उन्हें वो पहचान हासिल नहीं हुई थी लेकिन इस लिस्ट के सामने आने से मितेश खपरा की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। सोशल मीडिया पर केवल वहीं छाए हुए है। ऐसे में सवाल ये उतना है कि कौन है मितेश खपरा, जिन्हें टाइम मैग्जीन ने भी दे दी गई जगह।
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कौन है मितेश खपरा Who is mitesh khapra
मितेश खापरा भारतीय कंप्यूटर साइंस और आईआईटी मद्रास(Indian Computer Science and IIT Madras) में बतौर एसोसिएट प्रोफेसर कार्यरत हैं। आईआईटी बॉम्बे से पीएचडी और एमटेक किया है। मितेश को उनकी रिसर्च के लिए आईबीएम पीएचडी फेलोशिप, माइक्रोसॉफ्ट राइजिंग स्टार अवार्ड और गूगल फैकल्टी रिसर्च अवार्ड से नवाजा गया है। मितेश को इस लिस्ट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारतीय भाषाओं को नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NATURAL LANGUAGE PROCESSING) में कार्य करने के लिए शामिल किया गया है। उन्होंने भारतीय भाषाओं के लिए AI आधारित टूल्स और चैटबॉट बनाया है। मितेश ने आईबीएम रिसर्च इंडिया में मशीन ट्रांसलेशन(Machine Translation) और डीप लर्निंग पर शोध किया। मितेश ने भारतीय भाषाओं को इंग्लिश भाषा के बराबर खड़ा करने के लिए 22 भाषाओं पर मुख्यतः काम किया और करीब 500 जिलों में घूम घूम कर घंटो तक भाषा को रिकॉर्ड करके उन पर शोध किया और 22 भाषाओं को एआई भाषा में जगह दिलाने का काम किया है।
AI4Bharat के संस्थापक Founder of AI4Bharat
मितेश ने 2019 में AI4Bharat की स्थापना की थी। AI4Bharat सरकार की Bhashini परियोजना में करीब 80 प्रतिशत तक डाटा मुहैया कराती है। इसके जरिए भारतीय भाषा में डिजीटल सेवाए आसानी से उपलब्ध हो सकती है। मितेश के शोध के कारण सुप्रीम कोर्ट में दस्तावेज अनुवाद(document translation) और किसानों के लिए वॉइस बॉट जो किसानों को मिलने वाली सभी तरह की सब्सिडी से जुड़ी जानकारी उनकी ही भाषा में मुहैया कराती है।
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रितेश खापरा का लक्ष्य
रितेश खापरा के अनुसार उन्होंने करीब 15 साल पहले ये पाया था कि पहले जब भी पीएचडी या अन्य तकनीक के क्षेत्रों में पढ़ाई होती थी तो वो केवल इंग्लिश में होती थी, या फिर उसका डाटाबेस भी इंग्लिश में ही मुहैया होता था, रितेश ये समझ चुके थे कि अगर हिंदी को आगे बढ़ाना है तो उन्हें ऐसे टूल पर काम करना होगा, जो भारतीय भाषाओं में जानकारी मुहैया कराये। और एआई के आने के बाद उनकी शोध को नए पंख मिले। उन्होंने गांव गांव जाकर 22 मुख्य भाषाओं पर शोध किया और उसका डाटाबेस तैयार किया, जो आज लगभग सभी के काम आ रहा है। उनका ये शोध वाकई में एआई की दुनिया में खासकर भारत में एक क्रांति के समान है।