Uttarakhand’s Chamoli Glacier burst: कुदरती कहर से कांप उठा उत्तराखंड, 100-150 लोगों के मरने की आशंका

Uttarakhand’s Chamoli Glacier burst: कुदरती कहर से कांप उठा उत्तराखंड, 100-150 लोगों के मरने की आशंका

बीजेपी शासित उत्तराखंड एक बार फिर से कुदरती कहर से कांप उठा हुआ है। उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल रेंज स्थित चमोली जिला के जोशीमठ डैम (Chamoli Glacier burst) के ढहने से भारी तबाही की आशंकाएं प्रबल हो उठी है। राज्य में हाईअलर्ट जारी कर दिया गया है। गंगा किनारे बसे गांवो और शहरों में हाईअलर्ट जारी कर दिया गया है।

प्राकृतिक आपदा की जानकारी मिलते ही सभी एजेंसियां बचाव कार्य में जुट गई हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद घटनास्थल पर पहुंच चुके हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत चमोली पहुंच गए हैं। वहां उन्होंने जोशीमठ का जायजा लिया। तपोवन में मुख्यमंत्री रावत को बाढ़ की स्थिति के बारे में भारतीय सेना और ITBP के जवानों ने जानकारी दी।

राहत कार्य में लगे सेना के 6 कॉलम 

चमोली पहुंचे मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि नंदप्रयाग के बाद अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है। अभी पानी का स्तर सामान्य से 1 मीटर ज्यादा है और ये लगातार घट रहा है। तमाम वरिष्ठ अधिकारी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। खबरों के मुताबिक सेना के 6 कॉलम को स्थिति से निपटने के लिए लगाया गया है। बताया जा रहा है कि भारतीय सेना ने उत्तराखंड सरकार और NDRF की बाढ़ की स्थिति से निपटने में मदद के लिए चौपर्स और सैनिकों को तैनात किया है। ऋषिकेश के पास स्थित मिलिट्री स्टेशन स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्य में मदद कर रहा है।

100-150 लोगों की मौत की आशंका

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस मसले पर कहा है कि NDRF की 3 टीमें प्रभावित इलाके में पहुंच चुकी है। कई टीमें दिल्ली से उत्तराखंड एयरलिफ्ट की जा रही है। उन्होंने कहा, मैं उत्तराखंड के लोगों को आश्वासन देता हूं कि इस मुश्किल समय में मोदी सरकार उनके साथ खड़ी है और हर संभव मदद पहुंचाई जाएगी। (Chamoli Glacier burst)

बता दें, जोशीमठ तपोवन धौलीगंगा में ग्लेशियर टूट गया था। इससे अलकनंदा नदी में भी अचानक बेतहाशा जलस्तर बढ़ गया।  इस प्राकृतिक आपदा में 100 से 150 लोगों की मौत होने की आशंका है। उत्तराखंड में रेड अलर्ट जारी किया गया है। बताया जा रहा है कि प्रभावित इलाकों से होते हुए पानी नंदप्रयाग से आगे निकल गया है। साथ ही अलकनंदा के किनारे बसे गांवों में किसी भी तरह के नुकसान की खबर नहीं है।

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