Uttarakhand Cloudburst: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में धराली गांव मंगलवार को बादल फटने की भयंकर घटना से सदमे में है। ये सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं थी बल्कि ऐसा खौफनाक नज़ारा था, जिसे देख पत्थर दिल भी कांप उठा। चंद सैकंडों में गेस्ट हाउस, होटल, दुकानें और घरों को तेज पानी और मलबे ने बहा लिया। लोगों की चीखें, मायूस चेहरों की डरावनी तस्वीर सब कुछ कैमरे में कैद हो गया।
“भागो रे! भागो!” की चीखें- Uttarakhand Cloudburst
जो वीडियो सामने आया है, उसमें रिकॉर्डर आवाज देता है, “भागो रे… भागो!” लेकिन तब तक कई लोग पानी के तेज बहाव में फंसे होते हैं। कीचड़ और मलबा गली-गली फैल चुका है। होटल और गेस्टहाउस की दीवारें टूट कर गिरती हैं, लोग समझ ही नहीं पाते कि किस तरफ भागें और कैसे बचें।
कितनी चोटः उसने तबाही मचाई?
प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि धराली गांव में करीब 20 से 25 होटल और होमस्टे पूरी तरह बह गए। न सिर्फ इमारतें, बल्कि होटल से जुड़े वाहन, दुकानें और निर्माणाधीन ढांचे भी मलबे में समा गए। सब कुछ मिनटों में खत्म हो गया।
चार की मौत, दर्जनों लापता
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि अब तक चार लोगों की मौत दर्ज की गई है। अनुमान है कि 10–12 लोग मलबे में दबे हुए हो सकते हैं। मोबाइल नेटवर्क ठप होने की वजह से राहत कार्यों में दिक्कत आ रही है।
बचाव के लिए ITBP, SDRF, NDRF और आर्मी की टीम तत्काल पहुंचे। नDRf की तीन और टीमें मनैरा, बड़कोट और देहरादून से रवाना की गई हैं।
हेल्पलाइन नंबर जारी, सरकार सक्रिय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आपदा पर दुःख जताया और प्रभावितों के प्रति संवेदना दी। जिला प्रशासन ने आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किए — 01374222126, 01374222722 और 9456556431 — जिससे लोग सहायता प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही जिला आपातकालीन संचालन केंद्र (DEOC) बचाव कार्यों का समन्वय कर रहा है।
प्रत्यक्षदर्शी ने बताया भयावह मंजर
एक स्थानीय निवासी ने बताया कि दोपहर डेढ़ बजे अचानक आई फ्लड ने धराली में तबाही मचा दी। 60–70 लोग अभी लापता हैं और उनसे संपर्क नहीं हो पाया है। उन्होंने याद दिलाया कि साल 1978 (5 अगस्त) को भी कंजोडिया में बाढ़ आई थी, लेकिन धराली की तबाही उससे कहीं ज्यादा भयावह रही।
किस तरह हुआ इतना बुरा हाल?
बादल का अचानक फटना, तेज पानी और मलबा ये तीनों मिलकर लाखों की जिंदगी मुश्किल में डाल गए। जिस गांव में लोग सामान्य रखा-ठेका जैसे जिंदगी जी रहे थे, उसी गांव में सब कुछ एक क्षण में बह गया। खेत, दुकान, घर, मानव सब कुछ।
इंसानी जुड़ाव और इंसानी दर्द
धराली की यह घटना सिर्फ नुकसान नहीं है, बल्कि इंसानी पीड़ा का प्रतीक भी है। बहुत से घायल बुरी तरह डर के मारे फोन तक नहीं कर पा रहे। बचाव दल पानी-पानी कल तक राहत सामग्री बांटने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या रही है राहत कार्य की दिशा?
- प्रभावित इलाकों के लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुँचाया जा रहा है।
- खाने, पीने की सामग्री और मेडिकल किट पहुंचाई जा रही है।
- लापता व्यक्तियों की खोज जारी है—वैसे लोग भी आशंका जताते हैं कि उनमें बच्चे, दुकानदार और होटल कर्मचारी शामिल हो सकते हैं।
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