Uttarakhand Illegal Mining: उत्तराखंड के गदरपुर से बीजेपी विधायक अरविंद पांडेय ने हाल ही में बौर नदी में बड़े स्तर पर अवैध खनन के आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि खनन माफिया ने 200 मीटर चौड़ी नदी को दो किलोमीटर तक चौड़ा कर दिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि आसपास की जमीन में 60 फीट तक गहरे गड्ढे खोद दिए गए हैं और 300 एकड़ ज़मीन को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने अपनी बात में इतनी गंभीरता जताई कि कहा, यदि ये आरोप गलत साबित हुए, तो वे आगे से चुनाव भी नहीं लड़ेंगे।
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क्या कहती है जांच रिपोर्ट? Uttarakhand Illegal Mining
अब इस मामले पर भूतत्व एवं खनिकर्म, राजस्व, और चकबंदी विभाग की संयुक्त जांच रिपोर्ट सामने आ गई है, जिसमें विधायक के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया गया है।
30 अगस्त को तीनों विभागों की टीम ने रत्नामढ्या, केलाखेड़ा और बाजपुर क्षेत्र का निरीक्षण किया।
जांच में पाया गया कि—
- नदी की चौड़ाई अधिकतम 30 से 40 मीटर तक ही है।
- कहीं भी 60 फीट गहरे गड्ढे नहीं पाए गए।
- अवैध खनन होते हुए भी नहीं मिला।
अधिकारियों का क्या कहना है?
खनन अधिकारी मनीष कुमार की रिपोर्ट में साफ कहा गया कि बौर नदी का बहाव क्षेत्र कहीं भी 50 से 60 मीटर से अधिक नहीं है।
वहीं, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के निदेशक राजपाल लेघा ने भी बयान जारी कर कहा कि जिन इलाकों का जिक्र विधायक ने किया था, वहां जांच के दौरान कोई अनियमितता सामने नहीं आई।
क्या पहले भी हुई थी कार्रवाई?
जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले कुछ महीनों में अवैध खनन पर कई कार्रवाईयां हुई हैं:
- 6 मई को केलाखेड़ा में अवैध खनन की रिपोर्ट दर्ज की गई थी।
- 3 जुलाई को गदरपुर में बिना नंबर प्लेट के डंपर को पकड़ा गया था।
- इस दौरान खनिज निरीक्षक पर हमला करने की कोशिश भी की गई थी।
- ग्राम खुशालपुर में दो लोगों पर 3.24 करोड़ का जुर्माना लगाया गया।
- अब तक 29 डंपर और जेसीबी मशीनें सीज की जा चुकी हैं।
विधायक ने क्या कहा?
जांच रिपोर्ट आने के बावजूद विधायक अरविंद पांडेय अपने दावों पर कायम हैं।
उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि वे रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन व्यंग्य में जोड़ते हुए कहा –
“इस रिपोर्ट के लिए तो विभाग को सम्मानित कर देना चाहिए।”
सोशल मीडिया पर गर्म हुआ मामला
इस पूरे मामले ने सोशल मीडिया पर भी काफी तूल पकड़ लिया है।
विधायक समर्थक पुराने वीडियो और तस्वीरें साझा कर रहे हैं, जिनमें नदी क्षेत्र में गड्ढे और खनन दिखाई दे रहा है। वहीं विरोधी पक्ष इसे सरकार और प्रशासन को बदनाम करने की राजनीतिक साजिश बता रहा है। कांग्रेस की तरफ से इस मुद्दे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
अब आगे क्या?
अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि क्या विधायक अपने आरोपों को साबित करने के लिए और सबूत पेश करेंगे, या ये मामला वक्त के साथ ठंडा पड़ जाएगा। फिलहाल, विभागीय रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि बौर नदी में बड़े स्तर पर खनन नहीं हुआ, जैसा कि दावा किया गया था।