Varanasi News: वाराणसी की तंग गलियों और भव्य घाटों के बीच एक ऐसा घर है, जहां इंसानों से ज़्यादा जानवर रहते हैं और वो भी पूरे ठाठ-बाट के साथ। यहां कुत्ते और बिल्लियाँ न लड़ते हैं, न डरते हैं, बल्कि एक-दूसरे के साथ दोस्ती निभाते हैं। सांड, चील, कबूतर, कुत्ते, बिल्लियाँ कुल मिलाकर 250 से भी ज़्यादा जानवर एक ही छत के नीचे रहते हैं, और इस घर की मालकिन हैं स्वाति बलानी, जिन्हें लोग अब प्यार से “मोगली वुमन” कहने लगे हैं।
नौकरी छोड़ी, शादी नहीं की, लेकिन जानवरों को नहीं छोड़ा- Varanasi News
स्वाति बलानी की कहानी एक आम लड़की जैसी शुरू हुई थी, मुंबई में मल्टीनेशनल कंपनी की अच्छी खासी नौकरी, करियर ट्रैक पर था, लेकिन दिल कहीं और था। बचपन से ही जानवरों के प्रति प्यार धीरे-धीरे जुनून में बदल गया और 2015 में उन्होंने नौकरी छोड़कर वाराणसी में एक नया जीवन शुरू किया, जो की था जानवरों की सेवा का। उन्होंने अपने सपनों का घर किसी इंसानी परिवार के लिए नहीं, बल्कि बीमार, लावारिस और बेसहारा जानवरों के लिए बनाया।
जानवरों का ‘पैट पैलेस’
आज स्वाति के घर में 40 से ज़्यादा कुत्ते, दर्जनों बिल्लियाँ, 2 सांड, सैकड़ों पक्षी और एक चील तक रहते हैं। हर जानवर के लिए अलग कमरा है, और खाने के समय सब एक साथ खेलते, खाते और एक परिवार की तरह व्यवहार करते हैं। हैरानी की बात ये है कि कुत्ते और बिल्लियाँ, जो आम तौर पर एक-दूसरे के दुश्मन माने जाते हैं, यहां अच्छे दोस्त हैं।
हर शाम निकलती है ‘एनिमल आर्मी’
शाम के समय जब ये पूरा ‘एनिमल गैंग’ टहलने निकलता है तो मोहल्ले में मानो जुलूस सा निकल जाता है। लोग खिड़कियों और दरवाज़ों से झांककर देखते हैं सांड, कुत्ते, बिल्लियाँ सब एक साथ, किसी इंसान की निगरानी में बिना झगड़े या अफरा-तफरी के चलते हैं। यह नज़ारा जितना अनोखा है, उतना ही सुकून देने वाला भी।
बीमार, लावारिस जानवरों का सहारा
स्वाति का कहना है कि उनके पास आने वाले ज़्यादातर जानवर वो होते हैं जिन्हें पहले किसी ने पाला होता है, लेकिन जैसे ही वो बीमार होते हैं या ‘परेशानी’ बनने लगते हैं, लोग उन्हें छोड़ देते हैं। “लोग पालतू जानवर शौक से लेते हैं, लेकिन जिम्मेदारी नहीं निभाते,” स्वाति कहती हैं। ऐसे जानवरों को वो न सिर्फ सहारा देती हैं, बल्कि प्यार और सुरक्षा भी।
खुद की शादी नहीं की, लेकिन एक परिवार बसा लिया
स्वाति कहती हैं, “शायद मैंने इंसानी परिवार नहीं बसाया, लेकिन जो परिवार मैंने बनाया है, वो मुझे हर दिन प्यार देता है, बिना किसी शर्त के।” जानवरों के लिए समर्पित इस महिला ने अपने जीवन की प्राथमिकताएं खुद चुनी हैं और वो हैं सेवा, समर्पण और बेजुबानों का सम्मान।
खर्च कैसे चलता है?
इतने सारे जानवरों की देखभाल करना कोई आसान या सस्ता काम नहीं है। स्वाति इसके लिए अपने जान-पहचान वालों से डोनेशन जुटाती हैं और कई बार खुद की बचत से भी खर्च उठाती हैं। उनका मानना है कि अगर दिल में सच्ची भावना हो, तो रास्ते अपने आप बन जाते हैं।