West Bengal Flood: कोलकाता में बीते 48 घंटे की बारिश ने शहर को पूरी तरह से थाम दिया है। 252 मिमी से ज्यादा बारिश ने कोलकाता की सड़कों को दरिया बना दिया, मेट्रो स्टेशन पानी में डूब गए और एयरपोर्ट पर फ्लाइट्स की कतारें रद्द होती चली गईं। गरिया, जोधपुर पार्क और कालीघाट जैसे इलाके जलमग्न हैं। बारिश की ये मात्रा शहर की सालाना बारिश का करीब 20% है और सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि खतरा अभी टला नहीं है। मौसम विभाग ने नए निम्न दबाव के कारण और तेज बारिश की चेतावनी दी है। हालात ऐसे हैं कि 1978 की भयावह बाढ़ की यादें ताजा हो गई हैं।
गरिया में सबसे ज़्यादा पानी बरसा- West Bengal Flood
बारिश की सबसे ज्यादा मार गरिया क्षेत्र ने झेली, जहां 332 मिमी तक पानी बरस चुका है। इसके अलावा जोधपुर पार्क (285 मिमी), कालीघाट (280 मिमी), तोस्पिया (275 मिमी), बल्लीगंज (264 मिमी), चेतला (262 मिमी), मोमिनपुर (234 मिमी), बेलेघाटा (217 मिमी), धापा (212 मिमी), उल्टाडांगा (207 मिमी), थंथनिया (195 मिमी), बेलगछिया (178 मिमी) और मानिकतला (169 मिमी) जैसे इलाकों में भी हालात बेहद खराब हैं। सड़कों पर गाड़ियों की लंबी कतारें, दुकानें बंद और निचले इलाकों में घरों के अंदर तक पानी घुस चुका है।
खतरा अभी टला नहीं, नया सिस्टम बना रहा है दबाव
हालात को देखते हुए मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि ये बस शुरुआत हो सकती है। 25 सितंबर को बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिम में एक और निम्न दबाव बनने वाला है, जो ओडिशा और आंध्र प्रदेश की ओर बढ़ सकता है। क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के डिप्टी डायरेक्टर HR बिस्वास ने कहा कि यह सिस्टम धीरे-धीरे और मजबूत होगा और इसका असर पूरे दक्षिण बंगाल में पड़ेगा। विशेषकर पूजा की शुरुआत तक मध्यम से भारी बारिश की संभावना बनी हुई है।
बारिश बनी जानलेवा, 10 मौतें, ज्यादातर करंट से
इस मूसलधार बारिश ने जान भी ली है। कम से कम 10 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 9 लोग करंट लगने से मारे गए। कई जगह खुले तारों और पानी के संपर्क में आने से खतरा और भी बढ़ गया है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि जलभराव वाले इलाकों में बिजली उपकरणों से दूरी बनाकर रखें।
फ्लाइट्स-ट्रेन्स पर भी पड़ा असर, सफर हुआ मुश्किल
कोलकाता एयरपोर्ट भी इस बारिश की चपेट में आ गया। 90 से ज्यादा फ्लाइट्स प्रभावित हुईं, जिनमें 42 इनबाउंड और 49 आउटबाउंड उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इसके अलावा 33 आने वाली और 62 जाने वाली फ्लाइट्स को देरी का सामना करना पड़ा। एक फ्लाइट को डायवर्ट भी किया गया।
रेलवे का हाल भी कुछ ऐसा ही रहा। कोलकाता मेट्रो के कई स्टेशनों में पानी भर गया, जिसके चलते शहीद खुदीराम से मेडन स्टेशन तक सेवा बंद करनी पड़ी। हावड़ा और सियालदह के यार्ड में भी भारी जलभराव के कारण कई ट्रेनों को रद्द या री-शिड्यूल किया गया।
रद्द की गई प्रमुख ट्रेनें:
- कोलकाता-हल्दीबाड़ी एक्सप्रेस (12363)
- हाजारदुआरी एक्सप्रेस (13113)
- सियालदह-जंगीपुर एक्सप्रेस (13177)
री-शिड्यूल की गई ट्रेनों में शामिल हैं:
- हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी वंदे भारत एक्सप्रेस
- हावड़ा के अन्य इंटरसिटी रूट्स
अल नीनो का भी असर, बारिश की तीव्रता बढ़ी
CEEW के जलवायु विशेषज्ञ विश्वास चितले का कहना है कि इस बारिश की तीव्रता अल नीनो प्रभाव से भी जुड़ी है। उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में दक्षिण बंगाल में भारी बारिश वाले दिनों की संख्या लगातार बढ़ी है। कोलकाता को अब जल्द से जल्द शहरी बाढ़ से निपटने के लिए योजना बनानी होगी, ताकि भविष्य में ऐसे हालात से निपटा जा सके।
साइंस जर्नल में प्रकाशित न्यूयॉर्क के सिटी कॉलेज के प्रोफेसर स्पेंसर हिल के शोध के मुताबिक, अल नीनो अब केवल सूखे की वजह नहीं है, बल्कि ये अत्यधिक दैनिक बारिश को भी बढ़ाता है। उनका कहना है कि यह ट्रेंड वैज्ञानिकों के लिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि लंबे समय से अल नीनो को सिर्फ मानसून में कमी से जोड़ा जाता रहा है।
मेट्रो स्टेशन के अंदर तक पानी, पंप लगाने के बाद भी काबू नहीं
कोलकाता के उत्तम कुमार और रवींद्र सरोवर मेट्रो स्टेशनों के बीच का हिस्सा पूरी तरह जलमग्न हो गया। रेलवे यार्ड और कार शेड्स में पानी भरने से ट्रेनों की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई है। कई जगहों पर वाटर पंप लगाए गए हैं, लेकिन बारिश के लगातार जारी रहने और आसपास के इलाकों से वापस पानी आने के कारण हालात में सुधार नहीं हो पा रहा।
1978 और 1986 की बाढ़ की आई यादें
यह हालात 1978 की उस भयानक बाढ़ की याद दिला रहे हैं, जब दुर्गा पूजा से ठीक पहले कोलकाता पूरी तरह डूब गया था। उस साल एक दिन में 280 मिमी बारिश हुई थी। 1986 में भी 259.5 मिमी बारिश ने पूजा की तैयारियों को बुरी तरह प्रभावित किया था। इस बार फिर वैसा ही संकट मंडरा रहा है।
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