कर्नाटक के डीजीपी प्रवीण सूद को क्यों बनाया गया CBI निदेशक, जानिए इनसे जुड़े विवाद

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Praveen Sood controversies Hindi – कर्नाटक के DGP प्रवीण सूद इस समय चर्चा का विषय बने हुए हैं क्योंकि उन्हें CBI (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) का डायरेक्टर नियुक्त किया गया है और अब 25 मई को वो डायरेक्टर के पद पर नई जिम्मेदारी संभाल सकते हैं. दरअसल, 25 मई को मौजूदा डायरेक्टर सुबोध कुमार जायसवाल का कार्यकाल पूरा हो रहा है. जिसके बाद कर्नाटक के DGP प्रवीण सूद इस पद को ग्रहण करेंगे और दो साल तक CBI (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) डायरेक्टर के पद पर अपनी सेवाएं देंगे. वहीं इस बीच प्रवीण सूद अपने विवादों की वजह से भी चर्चा में बने हुए हैं.

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जानिए कौन है प्रवीण सूद

प्रवीण सूद का जन्म हिमाचल प्रदेश में साल 1964 में हुआ था. उन्होंने आईआईटी दिल्ली से ग्रेजुएशन किया है और वो 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में कर्नाटक के डीजीपी हैं. 1989 में वो मैसूर के सहायक पुलिस अधीक्षक बने थे. इसके बाद पुलिस अधीक्षक, बेल्लारी और रायचूर भी रहे. फिर बेंगलुरु पुलिस उपायुक्त (DCP) के पद पर सेवाएं दी. इसके बाद प्रवीण सूद 1999 में मॉरीशस में पुलिस सलाहकार रहे  और 2004 से 2007 तक वो मैसूर शहर के पुलिस आयुक्त रहे. इसके बाद 2011 तक बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के रूप में काम किया. साल 1996 में सेवा में उत्कृष्टता के लिए उन्हें मुख्यमंत्री स्वर्ण पदक, 2002 में पुलिस पदक और 2011 में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति द्वारा पुलिस पदक से सम्मानित किया गया. वहीं प्रवीण सूद 2013-14 में कर्नाटक पुलिस आवास निगम के प्रबंध निदेशक रहे. इसके साथ ही उन्होंने राज्य के गृह विभाग में प्रधान सचिव, राज्य रिजर्व पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और प्रशासन में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के रूप में भी काम किया.

प्रवीण सूद को बनाया गया CBI  का डायरेक्टर  

जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और लोकसभा में विपक्ष (कांग्रेस) के नेता अधीर रंजन चौधरी के तीन सदस्यीय पैनल ने शनिवार को उनके नाम पर सहमति की मुहर लगा दी थी लेकिन चौधरी ने सूद के नाम पर ‘असहमति नोट’ दर्ज किया था. अधीर रंजन चौधरी का कहना था कि प्रवीण सूद का नाम अफ़सरों के उस पैनल में शामिल नहीं था, जिनके नाम सीबीआई निदेशक पद शॉर्टलिस्ट किए गए थे.

वहीं कहा जा रहा है कि उनका नाम आखिर में इसलिए जोड़ा गया है क्योंकि मीटिंग से पहले इन उम्मीदवारों के नाम चयनकर्ताओं के पैनल को दिखाए गए थे. सूद के चयन के लिए पैनल की बैठक उस दिन हुई जिस दिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली. वहीं कर्नाटक कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सूद के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सकती थी. और इस वजह से उन्हें इस करवाई से बचाने के लिए कर्नाटक से निकाल लिया गया.

प्रवीण सूद से जुड़ा है ये विवाद

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने डी के शिवकुमार ने प्रवीण सूद (Praveen Sood controversies Hindi) के काम करने की शैली पर सवाल उठाते हुआ कहा था कि कांग्रेस सत्ता में आई तो उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी. दरअसल, शिवकुमार, प्रवीण सूद पर राज्य में बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगाते रहे हैं. पिछले महीने उन्होंने पत्रकारों से कहा,” हमारे डीजीपी अपनी नौकरी में फ़िट नहीं हैं. वो पिछले तीन साल से बीजेपी की सेवा कर रहे हैं. अब और कितने दिनों तक बीजेपी के कार्यकर्ता बने रहेंगे.” वहीं शिवकुमार ने कहा था, ”सूद ने कांग्रेस नेताओं पर 25 मुक़दमे लादे हैं. एक भी मुकदमा बीजेपी नेताओं पर नहीं किया गया है. हमने उनके काम और आचरण के बारे में चुनाव आयोग को लिखा है. अपना काम ठीक से नहीं करने के लिए उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज होना चाहिए. ”

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वहीं, जब प्रवीण सूद 2017 में भी विवादों में आए थे, तब कर्नाटक में सिद्धारमैया की सरकार थी. सूद उन दिनों बेंगलुरू के पुलिस कमिश्नर थे. कन्नड़ समर्थक आंदोलनकारियों की गिरफ़्तारी के आरोप में उन्हें पुलिस कमिश्नर के ओहदे से निचले ओहदे पर भेज दिया गया था. हालांकि सरकार ने इसे रूटीन ट्रांसफ़र बताया था, लेकिन उन्हें एडीजीपी (लॉजिस्टिक्स और कम्यूनिकेशन) बना कर नई तैनाती में भेज दिया गया. सूद पर आरोप था कि उन्होंने कन्नड़ समर्थक आंदोलनकारियों को हिंदी के बिलबोर्ड और साइनबोर्ड पर कालिख पोतने के लिए गिरफ़्तार करवाया था.

जिस वक्त़ उन्हें पदावनत किया गया, उसके तीन महीने बाद वो डीजीपी बनने वाले थे.सूद ने जिन लोगों को गिरफ़्तार करवाया था उन पर सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का केस दर्ज कराया गया था. जबकि लोगों का कहना था कि ये लोग हिन्दी ‘थोपने’ का विरोध कर रहे थे. ये किसी भी तरह सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का काम नहीं है.

बीजेपी सरकार के दौरान बने डीजीपी

जनवरी 2020 में सूद को कर्नाटक का डीजीपी बनाया गया था. वहीं कहा गया कि सूद को असित मोहन प्रसाद की सीनियॉरिटी पर तवज्जो देकर डीजीपी बनाया गया. प्रसाद अक्टूबर 2020 में रिटायर हो जाते. लिहाज़ा उनका छोटे कार्यकाल को देखते हुए सूद को डीजीपी बनाया गया. वहीं मई 2024 होने वाले थे लेकिन  उससे पहले ही उन्हें सीबीआई महानिदेशक बना दिया गया.

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