Wilful Defaulters: भारत में बैंकों से कर्ज लेकर उसे चुकाने से बचने वाले कर्जदारों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो भारतीय बैंकिंग सिस्टम के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन चुकी है। हाल ही में सरकार ने इस संबंध में एक चौंकाने वाला आंकड़ा पेश किया है। संसद के मानसून सत्र में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSU Banks) से कर्ज लेकर जानबूझकर न लौटाने वाले कॉरपोरेट कर्जदारों की संख्या 1600 के पार पहुंच चुकी है। इन डिफॉल्टरों (Wilful Defaulters) पर कुल मिलाकर 1.62 लाख करोड़ रुपये का भारी कर्ज चढ़ा हुआ है, जो बैंकों के लिए बड़ा वित्तीय बोझ बन चुका है।
क्या होते हैं ‘विलफुल डिफॉल्टर’? (Wilful Defaulters)
चलिए सबसे पहले समझते हैं कि आखिर ‘विलफुल डिफॉल्टर’ होता क्या है? इस टर्म का मतलब होता है वह व्यक्ति या कंपनी जो जानबूझकर बैंकों से लिया गया कर्ज नहीं चुकाती, जबकि उसकी भुगतान करने की क्षमता मौजूद होती है। इस स्थिति में कर्जदार के पास पैसे होते हैं, लेकिन वह जानबूझकर कर्ज चुकाने से बचता है। इतना ही नहीं, ये लोग कर्ज न चुकाने के लिए खुद को दिवालिया तक घोषित कर देते हैं, जबकि उनका असल उद्देश्य कर्ज का भुगतान न करना होता है।
सरकार के अनुसार, 31 मार्च 2025 तक पीएसयू बैंकों ने 1629 कॉर्पोरेट कर्जदारों को ‘विलफुल डिफॉल्टर’ के रूप में पहचान लिया है। इन पर कुल 1,62,961 करोड़ रुपये का कर्ज है, जो बैंकों के लिए बड़ी समस्या है। यह आंकड़ा केंद्रीय बैंकिंग प्रणाली द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट्स पर आधारित है, जिसमें बड़े कर्जदारों के नाम और उनके कर्ज की सारी डिटेल्स शामिल की गयी है।
सरकार ने उठाए सख्त कदम
वहीं, सरकार ने अब इस गंभीर समस्या को लेकर कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इस मामले पर जानकरी देते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि ‘विलफुल डिफॉल्टर’ पर अब सख्त कार्रवाई की जाएगी। इन्हें भविष्य में किसी भी नए कर्ज की सुविधा नहीं दी जाएगी, और साथ ही इन पर पांच साल तक नया व्यापार शुरू करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इसके अलावा, इन कंपनियों को अब शेयर बाजार से पूंजी जुटाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और बुरी हो जाएगी।
विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
इसके अलावा, सरकार अब ऐसे डिफॉल्टरों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही करने की दिशा में भी कदम उठा सकती है। पंकज चौधरी ने कहा कि बैंकों को इस मामले में स्वतंत्रता दी गई है कि वे इन डिफॉल्टरों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू कर सकते हैं। यह कदम बैंकिंग सेक्टर की स्थिरता और वित्तीय स्वास्थ्य को बचाने के लिए उठाया जा रहा है।
देश छोड़कर भागे कर्जदारों पर शिकंजा
केंद्र सरकार ने केवल घरेलू डिफॉल्टरों तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि जो लोग देश छोड़कर भाग गए हैं, उनके खिलाफ भी कड़े कदम उठाए गए हैं। वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत 9 ऐसे लोगों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है, जिन पर कर्ज की भारी रकम चुकानी थी। इसके अलावा, धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत उनकी 15,298 करोड़ रुपये की संपत्ति भी जब्त की गई है।