Woman Judge Resigned: शहडोल जिले में पदस्थ सिविल जज अदिति कुमार शर्मा ने न्यायिक सेवा से इस्तीफा दे दिया है। उनका यह इस्तीफा सिर्फ एक पद छोड़ने का फैसला नहीं है, बल्कि सिस्टम की चुप्पी और न्यायिक व्यवस्था की उदासीनता के खिलाफ एक तीखा सवाल है। अदिति ने अपने इस्तीफे में उन तकलीफों और उस निराशा को शब्दों में पिरोया है, जो उन्होंने एक महिला जज के तौर पर महसूस की।
इस पूरे मामले की शुरुआत उस वक्त हुई जब अदिति कुमार शर्मा ने एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। अब उसी अधिकारी को हाईकोर्ट में जज पद पर पदोन्नत किया जा रहा है। इस कदम का विरोध करते हुए अदिति ने कहा कि जब तक शिकायतों पर निष्पक्ष जांच नहीं होती, तब तक किसी भी आरोपित को इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपना न्याय की मूल भावना के खिलाफ है।
‘यह इस्तीफा मेरे दर्द की नहीं, सिस्टम की नाकामी की कहानी है’ (Woman Judge Resigned)
अपने इस्तीफे में अदिति कुमार शर्मा ने लिखा है, “मैंने न्याय से भरोसा नहीं खोया है, लेकिन उस प्रणाली से टूट चुकी हूं जो खुद को न्याय का संरक्षक कहती है।” उन्होंने यह भी कहा कि उनका इस्तीफा इस बात की गवाही रहेगा कि मध्य प्रदेश में एक महिला जज थी जो न्याय के लिए पूरी ईमानदारी से लड़ी, लेकिन संस्था ने उसका साथ नहीं दिया।
शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं हुई
जज शर्मा का कहना है कि उन्होंने लगातार कई बार शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन न तो कोई जांच बैठाई गई और न ही किसी स्तर पर गंभीरता दिखाई गई। इससे भी चौंकाने वाली बात ये है कि जिन पर आरोप थे, उन्हें पदोन्नति मिल गई। शर्मा ने कहा कि यह सिर्फ उनका निजी मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे न्यायिक तंत्र की जवाबदेही का सवाल है।
पहले भी बर्खास्त हो चुकी हैं अदिति कुमार
गौर करने वाली बात ये भी है कि अदिति कुमार शर्मा पहले उन छह महिला जजों में शामिल थीं जिन्हें जून 2023 में “असंतोषजनक प्रदर्शन” के आधार पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने दखल देते हुए उन्हें बहाल कर दिया था। मार्च 2024 से उन्होंने शहडोल में दोबारा सेवा शुरू की थी।
जुलाई में राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट को लिखा था पत्र
इस्तीफे से पहले जुलाई 2025 में जज अदिति ने भारत के राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट को कॉलेजियम के फैसले पर पुनर्विचार के लिए पत्र लिखा था। उन्होंने कहा था कि आरोपी अधिकारी की पदोन्नति बिना जांच के करना न सिर्फ गलत संदेश देता है, बल्कि यह पीड़िता के साथ अन्याय भी है।
सिर्फ अदिति नहीं, दो और शिकायतें भी दर्ज
अदिति कुमार शर्मा अकेली नहीं हैं जिन्होंने शिकायत की। दो और न्यायिक अधिकारियों ने भी उसी अधिकारी पर आरोप लगाए थे। इसके बावजूद, अधिकारी को क्लीन चिट देते हुए पदोन्नति दी गई। वहीं, संबंधित अधिकारी ने सभी आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि उन्हें कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई थी।