World Inequality Report 2026: एक तरफ 56 हज़ार करोड़पति, दूसरी तरफ 4 अरब गरीब, दुनिया का यह फर्क डराता है

World Inequality Report 2026
Source- Google

World Inequality Report 2026: दुनिया आज ऐसे मोड़ पर है, जहां एक तरफ़ दौलत की कोई कमी नहीं दिखती, लेकिन दूसरी तरफ़ असमानता इतनी गहरी हो चुकी है कि यह वैश्विक संकट का रूप लेने लगी है। विश्व असमानता रिपोर्ट 2026 के ताज़ा आंकड़े यही बताते हैं कि विश्व की संपत्ति बेहद कम लोगों के हाथों में सिमटती जा रही है। रिपोर्ट का सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह है कि धरती की 0.001% आबादी करीब 56,000 लोग उन 4 अरब गरीब लोगों की कुल संपत्ति से तीन गुना अधिक धन के मालिक हैं, जो दुनिया की आधी जनसंख्या बनाते हैं।

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यह तुलना जितनी सरल है, उतनी ही चुभने वाली भी। यदि दुनिया की आबादी 8 अरब मानी जाए, तो यह साफ दिखता है कि संपत्ति वितरण किस हद तक असंतुलित है। रिपोर्ट बताती है कि यह खाई सिर्फ बनी हुई नहीं है, बल्कि लगातार बढ़ रही है और अर्थव्यवस्था व लोकतंत्र, दोनों के लिए खतरा बनती जा रही है।

टॉप 1% के पास नीचे के 90% से ज़्यादा दौलत (World Inequality Report 2026)

रिपोर्ट के अनुसार लगभग हर क्षेत्र में अमीरों की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है। आज दुनिया के टॉप 1% लोगों के पास नीचे के 90% लोगों की कुल संपत्ति से ज्यादा दौलत है। इसका मतलब यह कि संसाधनों का केंद्रीकरण अब एक खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम लगातार अमीर देशों के पक्ष में झुका हुआ है, जिससे गरीब और विकासशील देशों के लिए बराबरी से आगे बढ़ना और मुश्किल हो गया है।

“असमानता तब तक चुप रहती है, जब तक वह शर्मनाक न हो जाए”

रिपोर्ट के मुख्य लेखक रिकार्डो गोमेज-करेरा ने कहा कि असमानता लंबे समय तक अनदेखी रहती है, लेकिन जब यह शर्मनाक स्तर तक पहुंच जाती है, तभी दुनिया की नजर उस पर जाती है। उनका कहना है कि यह रिपोर्ट उन अरबों लोगों की आवाज है, जिनके अवसर आज की आर्थिक व्यवस्थाओं के कारण लगातार खत्म होते जा रहे हैं।

टॉप 10% के पास पूरी दुनिया की 75% दौलत

डेटा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यह बताता है कि दुनिया की शीर्ष 10% आबादी के पास 75% वैश्विक संपत्ति है, जबकि नीचे के 50% लोगों के हिस्से में सिर्फ 2% संपत्ति आती है। आय के मामले में भी यही तस्वीर सामने आती है सबसे गरीब आधी दुनिया कुल आय का सिर्फ 10% कमाती है, जबकि बाकी रकम टॉप इनकम ग्रुप की जेब में जाती है। इस असमानता का एक और पहलू यह है कि गरीब लोग थोड़ा-बहुत आगे बढ़ भी जाएं तो भी अमीरों की तेज़ रफ्तार उनकी प्रगति को ढक देती है।

1990 के बाद अरबपतियों की संपत्ति में तेज़ उछाल

रिपोर्ट में बताया गया है कि 1990 के दशक से अरबपतियों की दौलत हर साल औसतन 8% की दर से बढ़ी है, जबकि निचले आधे तबके की संपत्ति सिर्फ 4% की रफ्तार से बढ़ पाई है। आय में भी लगभग यही अंतर है। इस तरह की वृद्धि गरीबों की तरक्की को लगातार पीछे धकेलती रहती है।

क्लाइमेट पर भी सबसे अमीरों का सबसे ज्यादा असर

जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे पर भी असमानता साफ झलकती है। दुनिया के सबसे अमीर 10% लोग वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के 77% के लिए जिम्मेदार हैं। इसके उलट, सबसे गरीब 50% लोग सिर्फ 3% प्रदूषण का हिस्सा हैं। यानी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कम हैं, लेकिन सबसे ज्यादा असर गरीबों पर ही पड़ता है।

असमानता कम करने के सुझाव

रिपोर्ट इस समस्या का हल भी सुझाती है। इसमें कहा गया है कि—

  • प्रगतिशील कर प्रणाली को मजबूत किया जाए
  • अरबपतियों पर वैश्विक न्यूनतम टैक्स लगाया जाए
  • टैक्स चोरी रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाया जाए
  • शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और बाल-देखभाल जैसी लोक सेवाओं में भारी निवेश किया जाए
  • कैश ट्रांसफर, पेंशन और बेरोजगारी भत्ता जैसे पुनर्वितरण कार्यक्रमों को बढ़ाया जाए

रिपोर्ट के मुताबिक इन कदमों से संसाधन सही जगह पहुंचेंगे और असमानता को शुरुआती स्तर पर ही कम किया जा सकेगा।

G20 संदर्भ में जारी हुआ तीसरा एडिशन

यह तीसरा एडिशन है, जिसे G20 की साउथ अफ्रीका प्रेसीडेंसी के संदर्भ में जारी किया गया। रिपोर्ट दो बड़े संकटों की ओर ध्यान खींचती है पहला, बढ़ती वैश्विक असमानता और दूसरा, बहुपक्षीय सहयोग यानी मल्टीलेटरलिज़्म का कमजोर होना। साथ ही, इसमें 21वीं सदी में उभर रही नई असमानताओं जैसे जेंडर गैप, मानव पूंजी की कमी और अवसरों की असमान पहुंच को भी विस्तार से समझाया गया है।

कुल मिलाकर, रिपोर्ट दुनिया के सामने एक गंभीर चेतावनी पेश करती है अगर दौलत का यह असंतुलन इसी तरह बढ़ता रहा, तो आने वाला समय आर्थिक, सामाजिक और लोकतांत्रिक सभी स्तरों पर गहरे संकट लेकर आ सकता है।

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