Yasin Malik: जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख और तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर खुद पर लगे गंभीर आरोपों को खारिज कर दिया है। मलिक ने कहा है कि कश्मीरी पंडितों की हत्या और किसी भी तरह की आतंकी साजिश में उसकी कोई भूमिका नहीं रही है। मलिक ने यहां तक दावा किया है कि अगर उस पर लगे आरोप सच साबित हो जाएं, तो वह खुद को फांसी लगा लेगा।
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आरोप साबित हुए, तो खुद को फांसी लगा लूंगा- Yasin Malik
अपने हलफनामे में यासीन मलिक ने साफ कहा है, “अगर मुझ पर लगाए गए आरोप जैसे कश्मीरी पंडितों की हत्या, आतंकी साजिश, या सांप्रदायिक हिंसा साबित हो जाएं, तो मैं बिना मुकदमे के खुद को फांसी लगा लूंगा।” उसने दावा किया कि उसके खिलाफ इन आरोपों को बेवजह उछाला जा रहा है और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) पुराने टाडा केसों को उठाकर उसकी छवि खराब करने की कोशिश कर रही है।
मेरी छवि पर नहीं कोई दाग
मलिक ने अपने बचाव में कई बड़ी मुलाकातों और घटनाओं का हवाला भी दिया है। उसने बताया कि उसकी विभिन्न प्रधानमंत्रियों चंद्रशेखर, नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के शासनकाल में कई बार बातचीत हुई थी। सिर्फ इतना ही नहीं, उसने यह चौंकाने वाला दावा भी किया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेताओं के साथ भी दिल्ली में पांच घंटे की लंबी बातचीत हुई थी।
आरएसएस और शंकराचार्य भी मिले थे
मलिक के अनुसार, 2001 में एक एनजीओ ‘सेंटर फॉर डायलॉग एंड रिकंसिलिएशन’ ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में उसकी और कुछ आरएसएस नेताओं की मीटिंग करवाई थी। ये बातचीत करीब पांच घंटे चली थी। इसके अलावा, मलिक ने यह भी बताया कि विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के अध्यक्ष एडमिरल के.एन. सूरी ने भी उसे कई बार निजी भोज के लिए बुलाया था।
हलफनामे में यासीन मलिक ने यह भी दावा किया कि दो शंकराचार्य उसके श्रीनगर स्थित घर आए थे और वे उसके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल हुए थे। उसने सवाल उठाया कि “अगर मैं सांप्रदायिक या हिंसक सोच वाला होता, तो क्या ऐसे धर्मगुरु मेरे घर आते?”
मैंने कश्मीरी पंडितों के साथ हमदर्दी जताई
मलिक ने बताया कि उसने 1996 के बाद संग्रामपोरा, वंधामा, डोडा और शोपियां में हुए कश्मीरी पंडितों की हत्याओं की सार्वजनिक तौर पर निंदा की थी। उसके मुताबिक, उसने कई बार कश्मीरी पंडितों से मुलाकातें कीं, जिनकी तस्वीरें और रिपोर्टें उस समय की अखबारों में भी छपी थीं।
क्या है मामला?
यासीन मलिक पर NIA ने आतंकी फंडिंग, देशविरोधी गतिविधियों और कश्मीरी पंडितों की हत्या में शामिल होने के आरोप लगाए हैं। वह फिलहाल तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। इन आरोपों को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है, जिसमें अब यासीन मलिक ने यह विस्तृत हलफनामा दायर कर खुद को निर्दोष बताया है।