भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक के बीच चल रहे विवाद किसी से छुपे नहीं है. दोनों ने ही एक दूसरे पर जमकर आरोप लगाए थे. इसी खींचतान में विपक्ष ने भी भारत सरकार पर आरोप लगाए कि सरकार आरबीआई से योजनाओं के लिए पैसे की मांग कर रही है. जिससे कि सरकार 2019लोकसभा चुनाव से पहले बहुत सी योजनाओं को पूरा करके जनता के बीच जा सके. क्योंकि देश को देने के लिए अब भारत सरकार के पास कुछ नहीं बचा है.इसलिए ही सरकार आरबीआई पर दबाव बना रही है. इसी मुद्दे पर ब्यान देते हुए वित्त मंत्री अरुण जटेली ने विपक्षी पार्टियों के उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया.अपने ब्यान में जेटली ने कहा कि ‘मुझे अगले छह महीनों तक पैसों की ज़रूरत नहीं है’.विपक्ष का आरोप केवल राजनीतिक था इससे वास्तविकता का कोई लेना देना नहीं है.
जबकि विपक्ष ने केंद्र सरकार पर आरोप लगते हुए कहा था कि सरकार आरबीआई के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. विपक्ष के इस आरोप पर जेटली ने कहा कि हमारी सरकार ने आरबीआई की आज़ादी का पूरा सम्मान किया है.उन्होंने कहा कि हम आरबीआई की स्वायत्ता का सम्मान करते हैं लेकिन उसी समय पर अगर कुछ सेक्टर्स को नकदी की जरुरत है.तब हम उन मुद्दों को उठाएंगे.
आपको बता दें कि पिवहले दिनों कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने आरबीआई और सरकार के बीच संबंधों के टकराव को लेकर मोदी सरकार की कड़ी आलोचना की थी.चिदंबरम ने कहा यूपीए सरकार के समय वित्त मंत्री और आरबीआई के गवर्नर मिलकर काम करते थे.उन्होंने इस सरकार के समय GDP के ऊंचे आकड़ों पर भी सवाल उठाये.
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा आमतौर पर वित्त मंत्री और गवर्नर हर सप्ताह बात करते है लेकिन NDA सरकार में वे साथ मिलकर काम नहीं कर रहे.बस NDA सरकार और पूर्व UPA सरकार में यही मूल अंतर है.उन्होंने कहा इससे पहले कभी भी ऐसी स्थिति नहीं आयी जब आरबीआई ने कानून की धारा7 लगाने की धमकी दी हो.
(हसन हैदर)