आज पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जन्म तिथि है.कांग्रेस सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने आज उनको अलग-अलग तरह से याद किया. वह भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थी.लेकिन उनको जिन कार्यों के लिए जाना जाता है, वह है उनकी प्रशासनिक नीति और इमरजेंसी. इंदिरा गांधी एक ऐसा नाम जिसको पढ़ते एवं सुनते ही उसके राजनीतिक निर्णयों की याद आती है. जून 1975 में इंदिरा गांधी की बन्द जेल वाली इमरजेंसी और 2018 की नरेंद्र मोदी की खुली जेल वाली इमरजेंसी दोनों का मतलब एक है कि जो कुछ भी है वह कुर्सी ही है.
कुर्सी नैतिक है और विचार,मूल्य,लोकतंत्र,संविधान,विकास, चरित्र,चेहरा फालतू! मेरी कुर्सी बची तो देश बचेगा.इंदिरा गांधी और उनके सलाहकारों ने 1975 में देश को असुरक्षित बता कर लोकतंत्र को दरकिनार करके अपनी सोच और ज़िद से एकतंत्र का गठन किया. ठीक वैसी ही स्तिथि आज है,मैं हूँ तो देश है और मेरे विरोधी देशद्रोही है. एक व्यक्ति सर्वोपरी है और सब कुछ उसके बाद ही आता है. यह वही एकतंत्र वाली तानाशाही मनोदशा है जो इंदिरा की थी,जिसमे सत्ता लोलुपता का बीज प्रथम है. इसी की वजह से कुर्सी को बचाने के लिए तमाम अलोकतांत्रिक कार्यों को किया जाता है. भले ही देश खोखला हो जाये,आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत में सीरिया जैसे हालात क्यो न हो जाये?
26 जून 1975 की इमरजेंसी में प्रचार था इंडिया इज़ इंदिरा एन्ड इंदिरा इज़ इंडिया! सोवियत संघ के स्तालिन की तानाशाही ने भी गरीब के नाम पर खुली जेल बनाई तो इंदिरा गांधी ने गरीब के लिए 19 महीने की इमरजेंसी की बन्द जेलों में विरोधियों को ठूंसा.
हाँ,इंदिरा के 15साल राज की हकीकत है कि 19 महीने की इमरजेंसी की अवधि को छोड़कर बाकी 13 साल उन्होंने भारत को जिंदा लोकतंत्र का भरपूर अनुभव करवाया. 13 साल की अवधि का वह इंदिरा राज हाई कोर्ट,सुप्रीम कोर्ट से निर्भय फैसलों का था. हाई कोर्ट के एक अदने से जज ने इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया था. तब अखबारों ने दिखाया कि सत्ता को कैसे जवाबदेह बनाया जाता है और विपक्ष ने दिखाया कि विपक्ष क्या होता है! सर्वप्रथम विपक्ष का गैरकाँग्रेसवाद इंदिरा राज में ही खिला था. निष्कर्ष यही है कि विपक्ष और लोकतंत्र की आज़ादी, वैसी हिम्मत किसी और प्रधानमंत्री के कार्यकाल में नही खिली.
इंदिरा राज में ही विश्वविद्यालयों से नोजवानों ने लोकतांत्रिक राजनीति की शुरुआत की. लालू यादव,अरूण जेटली,नीतीश कुमार नाम के छात्र नेताओं को इंदिरा राज में ही चमकने का मौका मिला. ज़रा सोचिए मोरारजी भाई और उसके बाद इंदिरा कांग्रेस में भी चंद्रशेखर,मोहन धारिया जैसे उन युवा तुर्क कांग्रेसियों की,जिन्होंने हिंदुओं को दिखलाया कि ज़िंदा कौम का मतलब है जिंदा लोकतंत्र, और सत्ता कितनी ही ताकतवर क्यों न हो उसको घेरकर जवाबदेह बनाना ही वास्तव में देश है,यही किसी भी कौम के लिए पहली और महत्वपूर्ण ज़रूरत है. झण्डे उठा लेने और धार्मिक नारे लगाने से केवल रोड जाम किये जा सकते है इससे अधिक कुछ नही. जो साबित करता है कि यह लोग केवल मार्कशीट दिखा कर ही पढ़े लिखे समझे जा सकते है. सामाजिक ताने-बाने और देश हित की जानकारी इनको चुटकी बराबर भी नही है.
देश हित का सम्पूर्ण ज्ञान होने पर ही विचार करें, कि यदि नवंबर 2018 का आज का वक़्त इंदिरा गांधी के लोकतांत्रिक आबोहवा वाले 13 साल के राज जैसा मीडिया क्यों लिए हुए नही है?अदालतें,चीफ जस्टिस,राजनैतिक पार्टियाँ,सत्तारूढ़ पार्टी वैसी क्यों नही है?
राहुल गांधी सितंबर महीने में हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थ माने जाने वाले कैलास मानसरोवर की दस दिनों की यात्रा करके लौटे थे. पिछले दो सालों से वो लगातार हिंदू मंदिरों पर जाकर मत्था टेकते दिख रहे हैं. इसे लेकर अगर सवाल उठ रहे हैं, तो कुछ इसे जायज भी ठहरा रहे हैं. राहुल की इन यात्राओं से उनकी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खुद ब खुद याद आ जाती हैं. जो देश में कहीं की यात्रा पर जाती थीं तो उसमें एक मंदिर दर्शन भी अनिवार्य तौर पर होता था.
क्या है इंदिरा का हिंदुत्व, इंदिरा प्रियदर्शिनी जिस घर में पैदा हुईं. वो हिंदुओं का घर था. हालांकि उनके पिता जवाहरलाल नेहरू नास्तिक थे. धर्म की बजाए वो वैज्ञानिक दृष्टि पर जोर देते थे. उनकी मां कमला कश्मीरी पंडितों के कौल परिवार से थीं. मां पूरी तरह हिंदू रीतिरिवाजों का पालन करने वाली महिला थीं. इंदिरा ने खुद एक पारसी फिरोज गांधी से शादी की लेकिन वो हमेशा मन और कर्म से हिंदू रीतिरिवाजों का पालन करती रहीं.
उनकी शादी की वजह ही थी कि बहुत से लोगों के अनुसार वह पारसी से शादी के करने के कारण गैर हिंदू थीं लेकिन इंदिरा खुद को हमेशा हिंदू ही मानती रहीं. हालांकि वो लगातार एक प्रधानमंत्री के तौर पर सेकूलर भारत की पक्षधर रहीं.
सोनिया गांधी ने इंदिरा के जन्मदिन पर कहा एक प्रधानमंत्री के तौर पर उनका एक ही धर्म था, वो था भारतीयता, उनके लिए सभी धर्म और उसके लोग बराबर थे. बता दें कि 20 सालों तक इंदिरा गांधी के डॉक्टर रहे केपी माथुर ने अपनी किताब ‘द अनसीन इंदिरा गांधी’ में लिखा था कि इंदिरा ने अपने आधिकारिक प्रधानमंत्री निवास में एक छोटा सा कमरा पूजा के लिए बना रखा था.और इस पूजा कक्ष में सभी धर्मों के देवताओं की तस्वीरें थीं. इसमें राम, कृष्ण, क्राइस्ट, बुद्ध, रामकृष्ण परमहंस, अरविंद आश्रम की मां की तस्वीरें शामिल थीं.
(हसन हैदर)