Black Hole Science: ब्लैक होल हमेशा से ही ब्रह्मांड के सबसे बड़े रहस्यों में से एक रहे हैं। लेकिन अब खगोलविदों ने ऐसा ब्लैक होल खोज लिया है जिसने हमारी समझ को ही चुनौती दे दी है। इसका नाम है RACS J0320-35। यह ब्लैक होल बिग बैंग के करीब 92 करोड़ साल बाद बना था और तब से लगातार तेजी से बढ़ रहा है। नासा के चंद्रा एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी की मदद से जब इसकी जांच की गई, तो पता चला कि यह ब्लैक होल लगभग एक अरब सूरज के बराबर भारी है।
एडिंग्टन लिमिट को तोड़ा, बढ़ रहा है बेलगाम- Black Hole Science
वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्लैक होल की बढ़त पर एक सीमा होती है, जिसे एडिंग्टन लिमिट कहा जाता है। यह सिद्धांत बताता है कि ब्लैक होल रेडिएशन और गुरुत्वाकर्षण के बीच संतुलन बनाकर ही बढ़ सकते हैं, जिससे उनकी वृद्धि की गति सीमित रहती है। लेकिन RACS J0320-35 इस सीमा को 2.4 गुना पार कर चुका है। मतलब यह ब्लैक होल हर साल 300 से 3,000 सूरज जितना मटेरियल निगल रहा है, जो खगोल विज्ञान की मौजूदा थ्योरी के लिए बड़ा झटका है।
वैज्ञानिकों की प्रतिक्रिया और नई खोज
हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के लुका इघिना ने कहा, “यह देखकर चौंका देने वाला है कि कोई ब्लैक होल इतनी रफ्तार से बढ़ सकता है। अगर यह दानव नियमों को तोड़ते हुए भी स्थिर है, तो शायद ब्रह्मांड में कोई नई भौतिकी चल रही है, जिसे हम अभी समझ नहीं पाए हैं।”
वैज्ञानिकों ने एक्स-रे, इन्फ्रारेड और ऑप्टिकल डेटा का इस्तेमाल करते हुए इस ब्लैक होल की मास और ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह ब्लैक होल संभवतः एक बड़े तारे के फटने से बना था, जिसकी मास 100 सूरज से कम थी। लेकिन इतनी छोटी शुरुआत के बाद यह कैसे इतनी तेजी से बड़ा हुआ, यह अभी भी एक बड़ा सवाल है।
प्राचीन ब्रह्मांड की नई तस्वीर
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने पहले भी कुछ ऐसे तेज़-तर्रार ब्लैक होल्स खोजे हैं, जो शुरुआती ब्रह्मांड में तेजी से बढ़ रहे थे। सवाल अब ये है कि क्या शुरुआती ब्रह्मांड में ऐसे ‘फास्ट ईटर्स’ सामान्य थे? अगर हां, तो हमारी अब तक की ब्रह्मांडीय थ्योरी गलत साबित हो सकती है और ब्रह्मांड की शुरुआत हमारी कल्पना से कहीं ज्यादा जटिल थी।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये ब्लैक होल सिर्फ मटेरियल निगलने वाले दानव नहीं हैं, बल्कि ये ऊर्जा के शक्तिशाली जेट्स भी छोड़ते हैं, जो शुरुआती गैलेक्सियों के निर्माण और आकार देने में अहम भूमिका निभाते होंगे। यानी ये ब्लैक होल ब्रह्मांड को ना केवल निगलते, बल्कि उसकी रूपरेखा भी बनाते हैं।
भविष्य की खोजों के लिए नई राह
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि ब्रह्मांड ने पहली बार इतने विशाल ब्लैक होल्स कैसे बनाए? RACS J0320-35 इस रहस्य की चाबी साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस खोज से शुरुआती ब्रह्मांड के कई अनसुलझे सवालों का जवाब मिल सकता है।
यह शोध 8 सितंबर को Astrophysical Journal Letters में प्रकाशित हुआ है और इसे खगोल विज्ञान की दुनिया में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। इस खोज ने भविष्य में ब्रह्मांड की समझ को नई दिशा देने की संभावनाओं को बढ़ा दिया है।