छोल भटूरे ने कैसे तय किया इतिहास का सफर?

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Chole Bhature History – दिल्ली और छोले भटूरे के बीच एक ऐसा रोमांस है, जो शायद कहीं और देखने को नहीं मिल सकता. हर साल, जैसे ही राजधानी में कड़ाके की ठंड पड़ती है, सैकड़ों लोग खुद को गर्म रखने के लिए अपने पसंदीदा मसालेदार छोले के कटोरे और तली हुई पूरियों की ओर रुख करते हैं.

दिल्ली के हर गली-सड़क में छोले-भटूरे बिकते दिख जाएंगे. इस स्वादिष्ट व्यंजन का मज़ा लेने के लिए हर रोज़ सैकड़ों लोग कतार में खड़े होते हैं और अपनी बारी का इंतजार करते हैं. इस व्यंजन में दो चीजें होती हैं, एक मसाले दार काबुली चने के छोले और दूसरा भटूरा, एक तरह की मैदे की तली हुई पूरी. दोनों की जोड़ी को कहा जा सकता है कि यह सीधे स्वर्ग से बन कर आई है.

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स्वाद से भरपूर इस व्यंजन की जोड़ी के साथ, अगर लस्सी, अचार या फिर प्याज़ मिल जाए, तो फिर तो समझो आनंद ही आनंद. लेकिन सवाल यह है कि आज हर कोने पर मिलने वाले इस डिश ने दिल्ली की सड़कों तक रास्ता बनाया कैसे?

भारत का विभाजन लाया छोले भटूरे – Chole Bhature History

चने और मसाले का एक और वर्जन भी अब मार्किट में अवेलेबल है, जिसमे छोले को  मसलों के मिक्सचर में पकाया जाता है. और आम तौर पर एक फ्लैटब्रेड के साथ परोसा जाता है. पुराने समय में व्यापार मार्गों के जरिए  भारत और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के बीच व्यापार शुरू हुआ. इस दौरान ही चना मसाला ने अन्य मसालों और अन्य लजीज पकवानों के साथ भारत में एंट्री की. कहा जाता है कि मुगल शासकों द्वारा चना मसाला को भारतीय उपमहाद्वीप में लेकर आया गया. मुगलों द्वारा लाए गए खाने में फारसी, तुर्की और भारतीय स्वाद का मिश्रण था.

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बात उस वक़्त की है जब भारत और पाकिस्तान की बीच बंटवारा हुआ है. 1947 का विभाजन केवल भारतीय संघ को दो भागों में विभाजित करने के लिए खींची गई रेखा नहीं थी. बल्कि यह परिवारों, प्रेम, संस्कृतियों और मानदंडों का विभाजन था. कई परिवार बिखर गए, सैंकड़ों लोगों की जानें चली गईं और रोज़ की दिनचर्या ठप हो गई. लेकिन जैसा कि कहा जाता है, कुछ अच्छी चीज़ें सबसे बुरे समय से निकलती हैं, इस समय भी कुछ ऐसा ही हुआ.

Chole Bhature History
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Chole Bhature History – कहानी यह है कि सामूहिक पलायन के कारण, दोनों पक्षों में शरणार्थियों का तांता लगा हुआ था. हिंदू उस हिस्से में जाने के लिए हाथ-पांव मार रहे थे, जो अब भारत में है, जबकि मुसलमान नए पाकिस्तान की ओर कूच कर रहे थे. इस मुश्किल में, पेशोरी लाल लांबा नाम का एक शख्स लाहौर से पलायन कर गया. वह भारत में न केवल एक बेहतर जीवन की आशा लेकर आया, बल्कि एक रेसिपी भी लेकर आया, जो दिल्ली के इतिहास में दर्ज़ हुआ. उन्होंने कनॉट प्लेस में क्वालिटी रेस्तरां की शुरुआत की और अपने प्रतिष्ठित छोले के साथ सैंडविच और अन्य स्नैक्स परोसना शुरू किया.

दिल्ली कैसे पहुंच गया छोला भटूरा?

ऐसा माना जाता है कि ये खामीरे रोटी या कह दें की पूंजाबी रसोइयो द्वारा तैयार की गयी थी.  ये पंजाबी रसोइए भरवां पकवान तैयार करने में एक्सपर्ट होने के तौर पर जाने जाते थे. कहा जाता है कि सीता राम नाम के एक पंजाबी सज्जन 1947 के विभाजन के दौरान अपने परिवार के साथ पश्चिम पंजाब से चले और दिल्ली पहुंचे. यहां उन्होंने दिल्ली के पहाड़गंज में अपनी दुकान ‘सीता राम दीवान चंद’ खोली.

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दुकान खोलने के बाद उन्होंने और उनके बेटे दीवान चंद ने पंजाबी छोले के साथ-साथ लगभग 12 आने में भटूरा नामक खमीरी रोटी बेचना शुरू किया. पंजाबी छोले पहले ही दिल्ली पहुंच चुके थे और वह अपने मसालेदार स्वाद के लिए जाने जाते थे. इस तरह छोले और भटूरे का कॉम्बिनेशन शुरू हुआ, जो आज पूरे उत्तर भारत में खाया जाता है.

छोले भटूरे कैसे बनाएं? Chole Bhature History

  • छोले को प्रेशर कुकर में डालें. टी बैग, 6-8 कप पानी और नमक डालें, ढककर 15-20 मिनट या पूरी तरह से नरम होने तक पकाएं. छोले को छान लें, टी बैग्स को फेंक दें और स्टॉक को सुरक्षित रख लें.
  • एक परात में मैदा, बेकिंग पाउडर, बेकिंग सोडा, नमक और पिसी चीनी मिलाकर छान लें. दही डालें और अच्छी तरह मिलाएँ.
  • थोड़ा पानी डालकर नरम आटा गूंथ लें. 1 टेबल स्पून तेल डालकर अच्छी तरह गूंद लें. 15-20 मिनट के लिए अलग रख दें.
  • एक नॉन स्टिक पैन में घी गरम करें. ज़ीरा और हरी मिर्च डालें और 30 सेकंड के लिए भूनें.
  • अदरक-हरी मिर्च का पेस्ट डालें और 30 सेकंड के लिए भूनें. धनिया पाउडर, जीरा पाउडर और लाल मिर्च पाउडर डालें और मिलाएं.
  • छोले मसाला और अमचूर पाउडर डालकर मिला लें. बचा हुआ स्टॉक डालें, मिलाएँ और मिश्रण को उबाल आने दें. उबले हुए चने और 3/4 कप पानी डालें, मिलाएँ और मध्यम आँच पर 8-10 मिनट तक पकाएँ. हल्का मैश करें.
  • सूखे अनार का पाउडर और गरम मसाला पाउडर डालें और मिलाएँ. 1/4 कप पानी डालें. टमाटर को काट कर पैन में डालें, मिलाएं और 2-3 मिनट तक पकाएँ.
  • एक कढ़ाई में पर्याप्त तेल गरम करें. आटे को बराबर भागों में बाँटकर बॉल्स बना लें. चकले पर थोड़ा सा तेल लगाकर चिकना कर लीजिए और लोई को मोटा बेल लीजिए.
  • भटूरों को गर्म तेल में हल्का सुनहरा और फूला हुआ होने तक डीप फ्राई करें. अब्सॉर्बेंट पेपर पर निकाल लें. छोले को धनिये से सजाएं और भटूरे के साथ गरमा-गरम परोसें.

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