Cute Aggression: आपने कभी नोटिस किया है कि जब कोई बच्चा बहुत प्यारा लगता है या किसी जानवर का बच्चा देखकर मन करता है कि उसे कसकर गले लगाएं, या गाल खींच लें तो ये महज मज़ाक या पागलपन नहीं है। इस अजीब-सी लगने वाली लेकिन आम भावना का नाम है: क्यूट एग्रेसन (Cute Aggression)।
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ये वो अहसास है जो हम सभी ने कभी न कभी महसूस किया है जब किसी की क्यूटनेस इतनी ज़्यादा हो कि दिल करता है उसे मसल दें, दबा लें या प्यार में झिंझोड़ दें। यह व्यवहार आमतौर पर मासूमियत भरा होता है, जिसका मकसद किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि एक ज़बरदस्त इमोशनल ओवरलोड से खुद को संभालना होता है।
मेरे बेटे की मासूमियत और बिल्ली का बच्चा- Cute Aggression
बीबीसी की रिपोर्ट में, एक मां ने शेयर किया कि जब उनका बेटा घर में पालने वाले बिल्ली के बच्चे को देखता है, तो उसका चेहरा खिल उठता है। बार-बार मना करने के बावजूद वह उसे कसकर पकड़ लेता है। यह कोई शरारत नहीं, बल्कि उसके प्यार जताने का तरीका है।
दरअसल, यह भावना अकेले बच्चों तक सीमित नहीं है। वयस्क भी जब किसी बेबी के गुलाबी गाल या पालतू जानवर के भोले चेहरे को देखते हैं, तो उन्हें छूने, गले लगाने या यहां तक कि ‘काट’ लेने का मन करता है।
क्या है ‘क्यूट एग्रेसन’?
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स की प्रोफेसर लिसा ए. विलियम्स बताती हैं कि क्यूट एग्रेसन दरअसल एक ऐसा तरीका है जिससे हमारा दिमाग अत्यधिक पॉज़िटिव इमोशन्स को बैलेंस करता है। जब हम कोई अत्यंत प्यारी चीज़ देखते हैं जैसे बच्चों की मासूम मुस्कान या पपी की भोली आंखें तो हमारा दिमाग ओवरलोड हो जाता है।
उस वक़्त हम जो महसूस करते हैं जैसे ‘काटने’ या ‘झिंझोड़ने’ की इच्छा वो दिमाग की तरफ से एक रिलीफ मेकेनिज़्म है। यह गुस्सा नहीं होता, बल्कि बेहद प्यार के इमोशन्स को संभालने का तरीका होता है।
क्यों होता है ऐसा?
जब भी हम किसी प्यारी चीज़ को देखते हैं, हमारा दिमाग डोपामाइन नाम का ‘फील-गुड’ हार्मोन रिलीज़ करता है। ये वही हार्मोन है जो हमें स्वादिष्ट खाना खाने, किसी उपलब्धि पर गर्व करने या किसी से प्यार होने पर महसूस होता है।
लेकिन कभी-कभी ये भावनाएं इतनी ज्यादा होती हैं कि दिमाग उन्हें कंट्रोल नहीं कर पाता। तब सक्रिय होता है दिमाग का एक हिस्सा एमीग्डाला, जो तुरंत उस उत्साह को थामने की कोशिश करता है। और तभी हम अजीब-सी ‘आक्रामक’ पर प्यारी प्रतिक्रिया देते हैं।
हर कोई ऐसा महसूस करता है?
मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि लगभग 50-60% लोग क्यूट एग्रेसन महसूस करते हैं, लेकिन सभी नहीं। जिन लोगों को ऐसा नहीं लगता, इसका मतलब यह नहीं कि वे भावनाहीन हैं। शायद वे इसे अलग तरीके से व्यक्त करते हैं, या उनकी प्रतिक्रिया ज़्यादा शांत होती है।
क्यों जरूरी है इसे समझना?
क्यूट एग्रेसन पूरी तरह सामान्य है। ये दिखाता है कि हमारा दिमाग कैसे बेहद पॉजिटिव और तीव्र भावनाओं को बैलेंस करता है। लेकिन अगर हम इन भावनाओं को कंट्रोल न कर पाएं, तो वह नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए, चाहे बच्चा हो या पालतू जानवर प्यार जताते वक़्त संयम भी ज़रूरी है।
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