Lucknow News:उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल से चिकित्सा जगत और आम लोगों के लिए एक चौंकाने वाला लेकिन राहत भरा मामला सामने आया है। यहां डॉक्टरों की टीम ने डेढ़ साल के मासूम बच्चे की पीठ पर उग आई 14 सेंटीमीटर लंबी पूंछ को सफलतापूर्वक हटा दिया। इस सर्जरी की खास बात यह थी कि यह पूंछ सिर्फ बाहरी मांस का टुकड़ा नहीं थी, बल्कि यह बच्चे की रीढ़ की हड्डी की गहराई से जुड़ी हुई थी।
बलरामपुर अस्पताल के वरिष्ठ पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. अखिलेश कुमार ने बताया कि बच्चा जन्म से ही अपनी पीठ के निचले हिस्से में एक उभार के साथ था, जो समय के साथ पूरी तरह पूंछ की शक्ल ले चुका था। मेडिकल भाषा में इसे ‘ह्यूमन टेल’ या ‘सूडो टेल’ कहा जाता है। शुरुआत में यह केवल एक छोटे उभार जैसा दिख रहा था, लेकिन धीरे-धीरे यह 14 सेंटीमीटर लंबा हो गया और इसमें संवेदना भी विकसित हो गई।
रीढ़ की हड्डी से गहरा कनेक्शन- Lucknow News
डॉ. अखिलेश ने बताया कि यह पूंछ स्पाइनल कॉर्ड की झिल्लियों से गहराई में जुड़ी थी। इसी वजह से बच्चा किसी भी सामान्य गतिविधि जैसे लेटना, करवट बदलना या चलने की कोशिश करने पर दर्द से कराह उठता था। पूंछ में खिंचाव होते ही बच्चा जोर-जोर से रोने लगता था। इस कारण परिजन काफी परेशान थे और बच्चे की सामान्य गतिविधियों में बहुत कठिनाई हो रही थी।
डेढ़ घंटे में जटिल सर्जरी पूरी
बच्चे की तकलीफ को देखते हुए डॉक्टरों ने तुरंत सर्जरी का निर्णय लिया। यह सर्जरी बेहद चुनौतीपूर्ण थी, क्योंकि स्पाइनल कॉर्ड के संवेदनशील हिस्से से जुड़ी पूंछ को हटाते समय एक छोटी गलती भी बच्चे को स्थायी रूप से अपंग कर सकती थी।
बच्चे को गुरुवार को भर्ती किया गया और उसी दिन उसकी एमआरआई और अन्य जरूरी जांचें की गईं। अगले दिन, यानी शुक्रवार को डॉ. अखिलेश कुमार और उनकी टीम ने लगभग डेढ़ घंटे की मेहनत के बाद यह सर्जरी सफलतापूर्वक की। डॉक्टरों ने पूरी सावधानी बरतते हुए पूंछ को स्पाइन को नुकसान पहुंचाए बिना जड़ से हटा दिया।
परिवार की शंकाएं और अंधविश्वास
इस तरह के मामले अक्सर भारत में अंधविश्वास और भ्रम से जुड़ जाते हैं। कई लोग इसे किसी दैवीय चमत्कार या ‘हनुमान जी का अवतार’ मानते हैं और इलाज कराने में देर कर देते हैं। इस बच्चे के परिजन भी शुरू में कई तरह के भ्रम में थे।
डॉक्टरों ने सबसे पहले माता-पिता की काउंसिलिंग की और उन्हें समझाया कि यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि एक मेडिकल कंडिशन है जिसे ‘स्पाइना बिफिडा ऑक्ल्टा’ से जोड़ा जा सकता है। समय पर सर्जरी न होने पर बच्चे को गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का सामना करना पड़ सकता था। काउंसिलिंग के बाद परिवार ऑपरेशन के लिए तैयार हुआ।
स्थानीय डॉक्टरों ने भी हाथ खड़े किए थे
बच्चे के पिता सुशील कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे की समस्या के लिए कई निजी अस्पताल और स्थानीय डॉक्टरों से संपर्क किया, लेकिन कोई भी ऑपरेशन करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। निराशा के बाद वे बलरामपुर अस्पताल पहुंचे। यहां अस्पताल की निदेशक डॉ. कविता आर्या और सर्जन डॉ. अखिलेश कुमार ने केस की गंभीरता समझी और चुनौती स्वीकार की।
सफल सर्जरी की कहानी
इस दुर्लभ सर्जरी का श्रेय बलरामपुर अस्पताल की पूरी टीम को जाता है। टीम में शामिल थे:
- सर्जन: डॉ. अखिलेश कुमार (पीडियाट्रिक सर्जन)
- एनेस्थीसिया टीम: डॉ. एस.ए. मिर्जा, डॉ. एम.पी. सिंह
- नर्सिंग स्टाफ: निर्मला मिश्रा, अंजना सिंह
- सहयोगी: डॉ. मनीष वर्मा (इंटर्न) और वार्ड बॉय राजू
सर्जरी के बाद बच्चे को कुछ दिन आईसीयू में निगरानी में रखा गया। अब वह पूरी तरह खतरे से बाहर है और जल्द ही घर लौटेगा।
