Science News: बृहस्पति (Jupiter) हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह, जिसे अब वैज्ञानिक “धरती का रक्षक” कह रहे हैं। राइस यूनिवर्सिटी (Rice University) के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक ऐसा अध्ययन किया है जिसने इस दानव ग्रह की भूमिका पर नई रोशनी डाली है। उनका कहना है कि बृहस्पति न केवल सूर्य से चौथा ग्रह बनने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण था, बल्कि यह धरती, शुक्र और मंगल जैसे ग्रहों के जन्म और स्थिरता का कारण भी है।
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बृहस्पति बना धरती का ‘ढाल’- Science News
शोध के मुताबिक, बृहस्पति का शुरुआती तेज विकास सूर्य की ओर बहने वाली गैस और धूल के प्रवाह को रोकने का कारण बना। अगर ऐसा नहीं होता, तो वही गैस और धूल सूर्य में समा जाती और पृथ्वी, शुक्र और मंगल के बनने के लिए पर्याप्त सामग्री बचती ही नहीं। इस तरह से बृहस्पति ने अनजाने में ही हमारे ग्रहों के बनने का रास्ता साफ किया।
राइस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आंद्रे इजिडोरो कहते हैं,
“बृहस्पति सिर्फ सबसे बड़ा ग्रह नहीं बना, बल्कि इसने अंदरूनी सौरमंडल का पूरा ढांचा तय किया। अगर यह ग्रह नहीं होता, तो शायद धरती वैसी नहीं होती जैसी आज हम जानते हैं।”
बृहस्पति के बिना सौरमंडल कैसा होता?
इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि बृहस्पति ने अपने बनने के दौरान गैस और धूल के बीच छल्ले (Rings) और खाली स्थान (Gaps) बनाए, जिससे सौरमंडल का ढांचा तय हुआ। इन गैप्स ने यह तय किया कि पत्थरीले ग्रह कहाँ और कैसे बनेंगे। यानी, अगर बृहस्पति नहीं होता, तो सौरमंडल में ग्रहों का गठन एकदम अलग ढंग से होता शायद धरती भी अस्तित्व में न आती।
कंप्यूटर सिमुलेशन से खुला राज़
वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर सिमुलेशन के जरिए यह पता लगाया कि जब बृहस्पति तेजी से बढ़ रहा था, तो उसने सूर्य के चारों ओर मौजूद गैस और धूल की डिस्क पर क्या असर डाला। परिणाम चौंकाने वाले थे — बृहस्पति की ग्रैविटी ने डिस्क में बड़ी लहरें पैदा कीं, जिससे वह अस्त-व्यस्त हो गई। यह स्थिति कुछ वैसी थी जैसे ब्रह्मांड में ट्रैफिक जाम (Cosmic Traffic Jam) लग गया हो।
उल्कापिंडों के रहस्य से भी जुड़ा है बृहस्पति
राइस यूनिवर्सिटी के छात्र वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि यह अध्ययन दो पुराने रहस्यों को एक साथ जोड़ता है —
- उल्कापिंडों में पाए जाने वाले दो अलग-अलग आइसोटोप फिंगरप्रिंट्स, और
- ग्रहों के बनने की गति (Formation Timeline)।
पहले यह समझना मुश्किल था कि कुछ उल्कापिंड पहले ठोस पिंडों के बनने के 20-30 लाख साल बाद क्यों बने। लेकिन अब वैज्ञानिकों का मानना है कि यह देरी बृहस्पति की वजह से हुई, जिसने गैस और धूल के बहाव को नियंत्रित कर नए उल्कापिंड बनने के हालात तैयार किए।
बृहस्पति — सौरमंडल का असली आर्किटेक्ट
इस शोध से यह साफ हो गया है कि बृहस्पति सिर्फ एक विशाल गैस ग्रह नहीं है, बल्कि उसने हमारे सौरमंडल के जन्म और विकास की दिशा तय की। इसकी ग्रैविटी ने न केवल दूसरे ग्रहों के रास्ते बनाए बल्कि उन्हें स्थिर भी रखा।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर बृहस्पति अपने समय पर न बनता, तो धरती का अस्तित्व, जीवन की संभावना और हमारा पूरा ब्रह्मांडीय संतुलन कुछ और ही होता।
संक्षेप में कहें तो — हम जिस धरती पर खड़े हैं, उसका श्रेय किसी हद तक बृहस्पति को ही जाता है।
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