Kyu-Shirataki Railway Station: इस दौर में, जहां हर चीज़ को प्रॉफिट और लॉस के तराजू पर तौला जाता है, वहीं जापान ने एक ऐसा फ़ैसला लिया जो आज भी इंसानियत की सबसे खूबसूरत मिसालों में गिना जाता है। ये कहानी है जापान के होक्काइदो द्वीप की एक शांत जगह पर बने छोटे से रेलवे स्टेशन क्यू-शिराताकी की। एक ऐसा स्टेशन जो सुनसान सा था, जहां कोई भीड़ नहीं थी, ना ही कोई धंधा। लेकिन फिर भी ये स्टेशन सालों तक खुला रहा। वजह जानकर आप भी मुस्कुरा देंगे – ये स्टेशन सिर्फ एक हाई स्कूल छात्रा, काना हराडा के लिए चालू रखा गया था।
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स्टेशन जो एक सपने की तरह था- Kyu-Shirataki Railway Station
जापान रेलवे इस स्टेशन को बंद करने वाला था। यहां से ना तो कोई मालगाड़ी जाती थी, ना ही यात्रीगणों की गहमागहमी दिखती थी। प्रॉफिट के लिहाज से देखें तो इसे बंद करना एक “बिज़नेस डिसीज़न” बनता था।
लेकिन जब अधिकारियों को पता चला कि इसी स्टेशन से एक लड़की रोज़ स्कूल जाती है, और अगर ये बंद हो गया तो उसे रोज़ 73 मिनट पैदल चलकर दूसरी ट्रेन पकड़नी पड़ेगी तब सब कुछ बदल गया।
रेलवे ने ठान लिया कि जब तक काना अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर लेती, तब तक स्टेशन चालू रहेगा।
सिर्फ उसी के लिए रुकती थी ट्रेन
सालों तक, इस स्टेशन पर सिर्फ दो ट्रेनें रुकती थीं एक सुबह उसे स्कूल ले जाने के लिए, और दूसरी शाम को वापस लाने के लिए।
काना के लिए ये सफर आसान नहीं था। उसे किसी भी एक्स्ट्रा एक्टिविटी में हिस्सा नहीं लेना पड़ता था क्योंकि ट्रेन का टाइम फिक्स था। कई बार क्लास खत्म होते ही उसे दौड़कर स्टेशन पहुंचना पड़ता था ताकि ट्रेन न छूटे। लेकिन वो जानती थी कि यही एक रास्ता है उसके सपनों तक पहुंचने का।
जब स्टेशन ने कहा अलविदा
मार्च 2016 में, जब काना ने हाई स्कूल से ग्रेजुएट किया, तब जाकर क्यू-शिराताकी स्टेशन को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। उसके आखिरी स्कूल दिन के साथ ही स्टेशन का सफर भी खत्म हुआ।
ये कहानी उस वक्त पूरी दुनिया में वायरल हुई। हर किसी ने जापान रेलवे के इस फैसले को सलाम किया। क्योंकि यहां न कोई वोट बैंक था, न ही कोई बड़ा आंदोलन। बस एक लड़की का सपना था… और एक सिस्टम जिसने उसे टूटने नहीं दिया।
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