Land Rover Village: पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग से करीब 23 किलोमीटर दूर बसा माने भंजांग भारत-नेपाल की सीमा पर स्थित एक छोटा लेकिन बेहद खास गांव है। इस गांव की पहचान उसके खूबसूरत पहाड़ी नज़ारों या बादलों से घिरी वादियों से ही नहीं, बल्कि वहां चलने वाली पुरानी विंटेज लैंड रोवर जीपों से है। यहां लगभग हर घर के बाहर एक लैंड रोवर खड़ी नजर आती है, कुछ तो 1950 के दशक की हैं। इसी वजह से माने भंजांग को अब लोग प्यार से “द लैंड रोवर विलेज” कहते हैं।
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कैसे पहुंचीं ये लैंड रोवर गाड़ियां इस गांव तक? Land Rover Village
इस गांव और इन गाड़ियों की कहानी अंग्रेजों के ज़माने से जुड़ी है। कहा जाता है कि आज़ादी से पहले यहां रहने वाले ब्रिटिश अधिकारी अपने साथ ये लैंड रोवर जीपें लेकर आए थे, ताकि वे पहाड़ी इलाकों में आसानी से यात्रा कर सकें। जब वे भारत छोड़कर गए, तो उन्होंने ये गाड़ियां स्थानीय लोगों को सौंप दीं। तब से लेकर आज तक ये गाड़ियां यहां की सड़कों पर दौड़ रही हैं कभी सैलानियों को लेकर, तो कभी सामान पहुंचाने के लिए।
पुरानी, लेकिन ताकत में किसी से कम नहीं
इन गाड़ियों की उम्र भले ही सत्तर साल से ज़्यादा हो चुकी है, लेकिन ताकत और मजबूती में ये आज की मॉडर्न एसयूवी को भी टक्कर देती हैं। इनका इंजन पुराना है, मगर दमदार। ये बिना रुके हिमालय की ऊबड़-खाबड़, पतली और खतरनाक सड़कों पर दौड़ती हैं। स्थानीय ड्राइवर इन्हें अपना गर्व मानते हैं और कहते हैं, “लैंड रोवर सिर्फ गाड़ी नहीं, हमारी पहचान है।”
पर्यटन की रफ्तार बढ़ा रही हैं पुरानी जीपें
माने भंजांग, सन्दकफू ट्रेक का शुरुआती बिंदु है — जो दुनिया भर के ट्रेकर्स का सपना माना जाता है। यही वजह है कि यहां की लैंड रोवर जीपें सैलानियों के लिए एक आकर्षण बन चुकी हैं। ये विंटेज टैक्सियां यात्रियों को सन्दकफू तक ले जाती हैं, जहां से लोग माउंट एवरेस्ट और कंचनजंघा जैसी चोटियों का शानदार दृश्य देख सकते हैं। इन गाड़ियों की वजह से न सिर्फ गांव का पर्यटन बढ़ा है, बल्कि स्थानीय लोगों की आजीविका भी इन्हीं पर निर्भर करती है।
सोशल मीडिया पर छाया ‘लैंड रोवर विलेज’
हाल ही में माने भंजांग का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। उसमें दिखा कि कैसे पूरा गांव विंटेज गाड़ियों से भरा पड़ा है और लोग अब भी इन्हें गर्व से चला रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “ये जगह विरासत और एडवेंचर का संगम है।” दूसरे ने कमेंट किया, “मेरे पिता के पास भी ऐसी ही लैंड रोवर थी, देखकर पुरानी यादें ताजा हो गईं।” इस वीडियो के बाद लोग इस गांव को “भारत की चलती-फिरती म्यूज़ियम” कहने लगे हैं।
सिर्फ एक गांव नहीं, एक जिंदा इतिहास
माने भंजांग सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक जीवित विरासत है। यहां इतिहास संग्रहालयों में बंद नहीं, बल्कि सड़कों पर दौड़ता है। इन पुरानी जीपों ने न सिर्फ गांव को पहचान दी है बल्कि लोगों को आत्मनिर्भर भी बनाया है। यह गांव इस बात की मिसाल है कि कैसे पुरानी चीजें भी नई पहचान गढ़ सकती हैं।
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