AI Will Collect Toll: 2026 तक बदल जाएगा टोल सिस्टम, AI से कटेगा टैक्स और बचेगा समय

AI Will Collect Toll
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AI Will Collect Toll: देश की सड़कों पर सफर करने वालों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। आने वाले समय में हाईवे और टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारें इतिहास बन सकती हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब टोल टैक्स वसूली की जिम्मेदारी संभालने जा रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को बताया कि सेटेलाइट और AI आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम को साल 2026 के अंत तक देशभर में लागू करने की तैयारी है।

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बिना रुके 80 की रफ्तार से निकल सकेगी गाड़ी (AI Will Collect Toll)

नितिन गडकरी ने बताया कि नया टोल सिस्टम पूरी तरह टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा। इसमें वाहन चालकों को टोल गेट पर रुकने की जरूरत नहीं होगी। गाड़ी चाहे 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ही क्यों न चल रही हो, टोल अपने आप कट जाएगा। इस सिस्टम से न सिर्फ समय बचेगा, बल्कि ईंधन की भी बड़ी बचत होगी।

मंत्री के मुताबिक, AI आधारित टोल सिस्टम से हर साल करीब 1500 करोड़ रुपये का फ्यूल सेविंग होगी और सरकार के राजस्व में लगभग 6000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

हाईवे से गायब होंगे टोल बूथ

AI बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम को तकनीकी भाषा में मल्टी लेन फ्री फ्लो (MLFF) सिस्टम कहा जाता है। इसके तहत हाईवे पर मौजूदा टोल बूथ हट जाएंगे। उनकी जगह सड़क पर एक खास तरह का लोहे का स्ट्रक्चर लगाया जाएगा, जिसे गैंट्री कहा जाता है।

इन गैंट्री पर हाई-रेजोल्यूशन कैमरे और एडवांस सेंसर लगाए जाएंगे। जैसे ही कोई वाहन एंट्री और एग्जिट पॉइंट से गुजरेगा, कैमरे उसकी नंबर प्लेट को स्कैन और पहचान लेंगे। इसके बाद तय दूरी के हिसाब से टोल अपने आप कट जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया पूरी तरह ऑटोमैटिक होगी।

FASTag से कितना अलग होगा नया सिस्टम?

फिलहाल देश में FASTag आधारित टोल सिस्टम चल रहा है। इसमें गाड़ी के शीशे पर एक RFID स्टिकर लगाया जाता है, जो बैंक अकाउंट या वॉलेट से जुड़ा होता है। टोल गेट पर सेंसर उस टैग को पढ़ते हैं और बैलेंस कट जाता है।

हालांकि FASTag में दिक्कत यह है कि अगर बैलेंस खत्म हो जाए या टैग ब्लैकलिस्ट हो जाए, तो गेट नहीं खुलता और फिर कैश या अन्य तरीके से भुगतान करना पड़ता है। इससे जाम की स्थिति बन जाती है।

GPS और OBU की भूमिका क्या होगी?

GPS आधारित टोल सिस्टम यानी GNSS के लिए वाहन में एक खास डिवाइस लगानी होती है, जिसे OBU (On Board Unit) कहा जाता है। लेकिन AI बेस्ड टोल सिस्टम इससे अलग होगा। यह मुख्य रूप से बाहरी कैमरों और गाड़ी की नंबर प्लेट पर निर्भर करेगा।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि जिन गाड़ियों में GPS या OBU नहीं भी लगा है, उनसे भी टोल आसानी से वसूला जा सकेगा।

सफर होगा आसान और तेज

कुल मिलाकर AI आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम से सफर ज्यादा तेज, आसान और तनावमुक्त हो जाएगा। टोल प्लाजा पर रुकने की झंझट खत्म होगी और हाईवे पर ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा, तो 2026 के बाद भारत की सड़कों पर टोल का अनुभव पूरी तरह बदल जाएगा।

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