Tesla FSD: एलन मस्क की कंपनी टेस्ला, जो अब तक ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी का चेहरा मानी जाती रही है, एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इस बार मामला उस फुल सेल्फ-ड्राइविंग (FSD) फीचर का है, जिसे एलन मस्क ने ड्राइविंग इतिहास का “सबसे बड़ा सॉफ़्टवेयर अपग्रेड” कहा था। लेकिन अब यही टेक्नोलॉजी अमेरिका की सबसे बड़ी सड़क सुरक्षा एजेंसी NHTSA (नेशनल हाईवे ट्रैफिक सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन) की जांच के दायरे में आ चुकी है।
शिकायतों से उठे सवाल- Tesla FSD
FSD को लेकर कुछ समय से ड्राइवरों की शिकायतें सामने आ रही थीं। आरोप है कि कुछ टेस्ला गाड़ियाँ रेड लाइट पर नहीं रुकीं, कुछ ने गलत दिशा में गाड़ी चलाई, और कुछ मामलों में तो रेलवे क्रॉसिंग पर भी खतरा पैदा किया। NHTSA का कहना है कि FSD सिस्टम कई बार ड्राइवर को समय रहते हस्तक्षेप करने का मौका नहीं देता, खासकर रेलवे क्रॉसिंग और सड़क पार करने जैसे खतरनाक मोड़ पर।
29 लाख कारें जांच के घेरे में
यह कोई छोटी-मोटी जांच नहीं है। NHTSA के अनुसार, लगभग 2.9 मिलियन (29 लाख) टेस्ला गाड़ियाँ, जिनमें FSD सॉफ्टवेयर इंस्टॉल है, जांच की जद में आ गई हैं। चाहे Model 3 हो, Model S, Model X या Model Y — सभी पर सवाल उठ रहे हैं। NBC न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ वीडियो में टेस्ला की कारें रेलवे क्रॉसिंग गेट्स के नीचे से गुजरती दिखाई दीं, जो सीधे-सीधे सुरक्षा नियमों का उल्लंघन है।
मस्क का जवाब और आत्मविश्वास
टेस्ला के CEO एलन मस्क इस पूरे मामले को लेकर शांत नहीं हैं। उन्होंने लगातार सोशल मीडिया पर FSD की क्षमता के वीडियो और पोस्ट साझा किए हैं। हाल ही में उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें FSD वर्जन 14.1 ने लॉस एंजेलिस की भीड़भाड़ वाली ट्रैफिक में एक घंटे तक बिना किसी ड्राइवर की मदद के कार को चलाया। मस्क के अनुसार, पार्किंग, कंस्ट्रक्शन जोन और पैदल यात्रियों के बीच यह सिस्टम बिल्कुल स्मूद चला।
उन्होंने एक और वीडियो में दिखाया कि कैसे टेस्ला कार ने मल्टी-स्टोरी मॉल में पार्किंग से खुद ही प्रवेश और निकास किया, वो भी बिना ड्राइवर के किसी दखल के।
लेकिन अमेरिकी एजेंसियों के लिए मस्क के ये वीडियोज़ काफी नहीं हैं। उन्हें चाहिए पुख्ता सबूत कि यह तकनीक हर परिस्थिति में भरोसेमंद और सुरक्षित है।
FSD आखिर है क्या?
टेस्ला का FSD एक सेमी-ऑटोनॉमस ड्राइविंग सिस्टम है। यह कैमरा, सेंसर और AI बेस्ड सॉफ़्टवेयर की मदद से ट्रैफिक सिग्नल, लेन, पैदल यात्री और अन्य वाहनों को पहचानकर खुद से निर्णय लेता है। लेकिन यह पूरी तरह ऑटोनॉमस नहीं है, यानी ड्राइवर को हर वक्त अलर्ट रहना होता है और ज़रूरत पड़ने पर कार का कंट्रोल संभालना होता है।
सवाल तकनीक का नहीं, जिम्मेदारी का है
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या तकनीक ने इंसानी सतर्कता को कमजोर कर दिया है? NHTSA की जांच इस बात पर फोकस कर रही है कि जब FSD असुरक्षित निर्णय लेता है, तो ड्राइवर को समय पर अलर्ट मिलता है या नहीं।
यह मुद्दा केवल टेस्ला तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आने वाले समय की ऑटोनॉमस कार टेक्नोलॉजी और उसके नियमन को लेकर एक दिशा तय कर सकता है। जब गाड़ियां खुद से चलेंगी, तो गलती किसकी मानी जाएगी — टेक्नोलॉजी की, ड्राइवर की, या निर्माता की?