Animal Husbandry Business: नौकरी छोड़ गांव लौटे, पशुपालन से बनाई नई पहचान, जानें शरद दीक्षित की प्रेरणादायक कहानी

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Animal Husbandry Business: कई लोग अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं होते, लेकिन उनमें से कुछ ही लोग अपने सपनों को पूरा करने के लिए साहसिक कदम उठाते हैं। ऐसा ही एक नाम है रायबरेली के शरद दीक्षित, जिन्होंने नौकरी छोड़कर पशुपालन को अपनाया और आज लाखों में कमाई कर रहे हैं।

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नौकरी से ऊबकर गांव लौटे, पशुपालन में तलाशा भविष्य (Animal Husbandry Business)

शरद दीक्षित पहले लखनऊ की एक कॉस्मेटिक कंपनी में सेल्स मैनेजर के रूप में कार्यरत थे, लेकिन कार्यालय की सीमित जिंदगी उन्हें रास नहीं आई। उन्होंने कुछ अलग और स्वतंत्र करने की ठानी और अपने गांव लौटने का फैसला किया। गांव में आने के बाद उन्होंने पहले पशुपालन विभाग से संपर्क किया, और इस क्षेत्र में संभावनाओं को समझकर इसे करियर के रूप में अपनाने का निश्चय किया।

धीरे-धीरे मेहनत, समर्पण और सही तकनीक का उपयोग कर उन्होंने इस व्यवसाय में अपनी पहचान बनाई। उनका मानना है कि पशुपालन सिर्फ आमदनी का जरिया नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।

उन्नत नस्लों की गाय-भैंस से उच्च गुणवत्ता का दूध उत्पादन

शरद दीक्षित के पास गिर, शाहीवाल, एचएफ और राठी नस्ल की गायें हैं, जो बेहतर गुणवत्ता का दूध देती हैं। वहीं, भैंसों में उन्होंने मुर्रा और भदावरी नस्लों को शामिल किया है।

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वर्तमान में उनके पास 22 गायें और 8 भैंस हैं, जिनसे वे प्रतिदिन 180 से 200 लीटर दूध का उत्पादन कर रहे हैं। बाजार में शुद्ध और उच्च गुणवत्ता वाले दूध की मांग लगातार बनी रहती है, जिससे उनका कारोबार तेजी से बढ़ रहा है।

पशुपालन से सालाना 8-10 लाख रुपये की कमाई

शरद दीक्षित की सालाना कमाई 8 से 10 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है। वे बताते हैं कि यदि सही तकनीक और देखभाल के साथ यह व्यवसाय किया जाए, तो यह बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।

उनका मानना है कि मेहनत और सही प्रबंधन से पशुपालन की कमाई किसी भी अच्छी नौकरी से कहीं अधिक हो सकती है। इसमें व्यक्ति खुद का मालिक होता है और किसी के अधीन काम नहीं करना पड़ता।

केवल दूध नहीं, गोबर से भी हो रही अच्छी कमाई

शरद दीक्षित का व्यवसाय सिर्फ दूध उत्पादन तक सीमित नहीं है। वे गोबर से जैविक खाद बनाकर भी अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। जैविक खेती की बढ़ती मांग को देखते हुए गोबर खाद की बिक्री एक अतिरिक्त कमाई का जरिया बन गई है।

वे बताते हैं कि गोबर से खाद और बायोगैस का उत्पादन भी किया जा सकता है, जिससे पशुपालन का मुनाफा कई गुना बढ़ सकता है।

युवाओं के लिए प्रेरणा – स्वरोजगार से आत्मनिर्भरता की ओर

शरद दीक्षित की कहानी उन युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो नौकरी की एकरसता से ऊब चुके हैं और कुछ नया करना चाहते हैं। उनका कहना है,
“स्वरोजगार से न केवल आर्थिक स्थिरता मिलती है, बल्कि आत्मनिर्भरता भी आती है। पशुपालन में भविष्य उज्ज्वल है, बस सही योजना और मेहनत की जरूरत होती है।”

पशुपालन से एक नई पहचान

शरद दीक्षित ने अपनी सूझबूझ, मेहनत और साहस से यह साबित कर दिया कि नौकरी के अलावा भी सफलता के रास्ते खुले हैं। उन्होंने पशुपालन को सिर्फ एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक समर्पित कार्य के रूप में अपनाया और अब लाखों में कमाई कर रहे हैं।

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उनकी सफलता युवाओं और किसानों को एक नई दिशा दिखा रही है, जो अपने दम पर कुछ बड़ा करना चाहते हैं। अगर सही रणनीति, सही नस्ल और उचित प्रबंधन के साथ इस क्षेत्र में काम किया जाए, तो पशुपालन से भी शानदार भविष्य बनाया जा सकता है।

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