No Detention Policy: केंद्र सरकार ने सोमवार को शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव करते हुए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को समाप्त कर दिया है। इस पॉलिसी के तहत पहले 5वीं और 8वीं कक्षा में फेल होने वाले छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था। नई पॉलिसी के तहत अब फेल होने वाले छात्रों को प्रमोट नहीं किया जाएगा।
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क्या है नई पॉलिसी? (What is No Detention Policy)
सरकार ने छात्रों के प्रदर्शन को सुधारने और शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए यह बदलाव किया है। नए नियमों के तहत:
- फेल होने वाले छात्रों को दो महीने के भीतर फिर से परीक्षा देने का मौका मिलेगा।
- अगर छात्र री-एग्जाम में भी फेल हो जाते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में दोबारा पढ़ना होगा।
- हालांकि, सरकार ने यह प्रावधान रखा है कि 8वीं तक के छात्रों को स्कूल से नहीं निकाला जाएगा।
किन स्कूलों पर होगा असर?
केंद्र सरकार की इस पॉलिसी का प्रभाव केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित 3,000 से अधिक स्कूलों पर होगा।16 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेश (दिल्ली और पुडुचेरी) पहले ही नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर चुके हैं। शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि शिक्षा राज्य का विषय है, इसलिए राज्य सरकारें अपने हिसाब से निर्णय ले सकती हैं।
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पॉलिसी में बदलाव क्यों किया गया?
2010-11 में लागू की गई नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत छात्रों को 8वीं कक्षा तक फेल नहीं किया जाता था। इस पॉलिसी का उद्देश्य था कि छात्रों पर परीक्षा का दबाव न पड़े और उनकी शिक्षा सुगम हो। लेकिन इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव सामने आए:
- शिक्षा के स्तर में गिरावट: फेल न होने के कारण छात्रों में पढ़ाई को लेकर गंभीरता कम हो गई।
- बोर्ड परीक्षाओं पर असर: 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के परिणामों में गिरावट देखी गई।
- शिक्षकों और अभिभावकों की चिंता: लंबे समय से शिक्षक और अभिभावक इस पॉलिसी को हटाने की मांग कर रहे थे।
इन समस्याओं को देखते हुए सरकार ने 2018 में राइट टू एजुकेशन एक्ट में संशोधन करने का प्रस्ताव पेश किया। 2019 में राज्यसभा में इस बिल के पास होने के बाद इसे राज्यों को लागू करने का अधिकार दिया गया।
क्या है नो डिटेंशन पॉलिसी? (No Detention Policy)
नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को फेल नहीं किया जाता था। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सभी छात्रों को बुनियादी शिक्षा मिले। लेकिन समय के साथ यह पॉलिसी विवाद का विषय बन गई, क्योंकि छात्रों की सीखने की क्षमता और प्रदर्शन में गिरावट देखी गई।
कैसे लागू होगी नई पॉलिसी?
5वीं और 8वीं कक्षा के छात्रों के लिए नियमित परीक्षाएं कराई जाएंगी। फेल होने वाले छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा। री-एग्जाम में फेल होने पर छात्रों को उसी कक्षा में दोबारा पढ़ना होगा।
भविष्य पर प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि इस पॉलिसी के बदलाव से:
- छात्रों में पढ़ाई के प्रति गंभीरता बढ़ेगी।
- शिक्षा का स्तर सुधरेगा।
- बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।
सरकार का यह फैसला शिक्षा के गिरते स्तर को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इसे लागू करने में राज्यों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को इस नई पॉलिसी के अनुकूल होने में समय लगेगा। लेकिन लंबे समय में यह बदलाव छात्रों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
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