Merchant Navy And Indian Navy: इंडियन नेवी या मर्चेंट नेवी… कहां है लाखों की कमाई और कहां असली सुरक्षा?

Merchant Navy And Indian Navy
Source: Google

Merchant Navy And Indian Navy: समंदर की गहरी नीली लहरें देखने में भले शांत लगें, लेकिन इन्हीं लहरों के ऊपर दो बिल्कुल अलग दुनिया चलती हैं। एक तरफ है इंडियन नेवी, जो देश की सुरक्षा के लिए हर पल तैयार खड़ी रहती है, और दूसरी तरफ मर्चेंट नेवी, जो दुनिया भर में माल ढोकर अरबों का व्यापार संभालती है। नाम लगभग एक जैसे, लेकिन काम, जिंदगी और कमाई तीनों बिल्कुल अलग। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर किस राह पर ज्यादा पैसा है और किस राह में असली सुरक्षा?

और पढ़ें: Lieutenant General Katiyar का साफ संदेश: चीन-पाक दोनों मोर्चों पर हर वक्त रहना होगा सतर्क

दो दुनिया, दो मकसद (Merchant Navy And Indian Navy)

समुद्री दुनिया सतह पर भले एक जैसी लगे, लेकिन जिम्मेदारियों के स्तर पर दोनों नेवियों की दिशा एक-दूसरे से कोसों दूर है। इंडियन नेवी का काम देश के समुद्री बॉर्डर की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके जहाज सरकार के स्वामित्व में होते हैं और हर मिशन में राष्ट्रीय हित सर्वोच्च होता है। जहां भी खतरा हो, नेवी वहीं मौजूद मिलती है।

इसके उलट, मर्चेंट नेवी समुद्र को एक विशाल व्यापारिक रास्ता मानती है। इसके जहाज तेल, कंटेनर, गैस और तरह-तरह का सामान दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचाते हैं। यह सुरक्षा नहीं, बल्कि ग्लोबल ट्रेड की रीढ़ है।

ट्रेनिंग से लेकर डिग्री तक

इंडियन नेवी में भर्ती सिर्फ नौकरी नहीं, एक सम्मान है। चयन के बाद कैडेट्स को NDA या INA जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में ट्रेनिंग मिलती है, जहां बी.टेक डिग्री के साथ सैन्य अनुशासन और नेतृत्व सिखाया जाता है। यहां टीमवर्क से लेकर संकट में निर्णय लेने की क्षमता तक, हर चीज पर गहन फोकस होता है।

दूसरी तरफ, मर्चेंट नेवी में प्रवेश के लिए 10+2 में PCM जरूरी है। इसके बाद 18 महीने की ट्रेनिंग और समुद्र में असिस्टेंट ऑफिसर की शुरुआत। यहां इंजीनियरिंग, नेविगेशन और अंतरराष्ट्रीय समुद्री नियमों का ज्ञान बेहद महत्वपूर्ण होता है।

ड्यूटी की रफ्तार भी अलग

इंडियन नेवी में ड्यूटी तय नहीं होती। कभी 8 घंटे की शिफ्ट, तो कभी 48 घंटे तक भी ऑपरेशन चलते रहते हैं। हर स्थिति में अलर्ट रहना पड़ता है। प्रमोशन भी अनुभव, टेस्ट और समय स्केल पर निर्भर करता है।

मर्चेंट नेवी में शिफ्ट ज्यादा व्यवस्थित होती है 8 से 9 घंटे की ड्यूटी, बाकी समय आराम। प्रमोशन पूरी तरह समुद्र में बिताए गए समय और परीक्षाओं पर आधारित है। जितना ज्यादा समय पानी पर बिताओ, उतनी तेज तरक्की।

फायदे और सुविधाएं कौन कहां आगे?

इंडियन नेवी अपने अधिकारियों और उनके परिवारों को कई सुविधाएं देती है जैसे सरकारी घर, सब्सिडी वाली कैंटीन, फ्री मेडिकल सुविधा, बच्चों की शिक्षा में मदद और रिटायर होने के बाद पेंशन। यह एक स्थिर और सुरक्षित करियर बनाता है।

वहीं मर्चेंट नेवी में सुविधाएं अंतरराष्ट्रीय नियमों के हिसाब से मिलती हैं जैसे बेहतरीन रहने की सुविधा, डॉलरों में सैलरी, विदेश घूमने का अवसर और कॉन्ट्रैक्ट खत्म होते ही लंबी छुट्टियाँ। लेकिन पेंशन या स्थायी सुरक्षा इसमें नहीं मिलती।

सबसे बड़ा सवाल किसमें ज्यादा कमाई?

अगर बात केवल पैसों की हो, तो मर्चेंट नेवी की कमाई भारी पड़ती है। शुरुआती सैलरी ही 3 लाख सालाना से शुरू होकर 20.8 लाख या उससे भी ज्यादा पहुंच सकती है। सैलरी डॉलर में मिलती है और टैक्स में भी राहत मिलती है।

इंडियन नेवी की सैलरी सरकार द्वारा तय होती है और रैंक व जिम्मेदारी के अनुसार बढ़ती है। यहां पैसा भले कम दिखे, लेकिन स्थिरता, सुरक्षा, सम्मान और पेंशन इसे खास बनाते हैं।

और पढ़ें: IVF Cost In India: भारत में IVF का बढ़ता खर्च बना मिडल क्लास के लिए बड़ी चुनौती, नई स्टडी में कई चौंकाने वाले खुलासे

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here